पानी रे पानी

झाँसी : सूर्य ने भले ही अभी अपने तेवर तीखे नहीं किए हैं, लेकिन भविष्य के हालात से निपटने की तैयारिया

By Edited By: Publish:Tue, 24 Mar 2015 12:57 AM (IST) Updated:Tue, 24 Mar 2015 12:57 AM (IST)
पानी रे पानी

झाँसी : सूर्य ने भले ही अभी अपने तेवर तीखे नहीं किए हैं, लेकिन भविष्य के हालात से निपटने की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। प्रशासन ने हर साल होने वाली पानी की समस्या से निपटने का तानाबाना बुन लिया है। मण्डलायुक्त के. राममोहन राव ने जल संस्थान अधिकारियों को चेतावनी दी है कि पानी की समस्या सामने आई, तो सम्बन्धित अवर अभियन्ता के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करा दी जाएगी। ़िजलाधिकारी अनुराग यादव ने भी पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करने के तमाम दिशा-निर्देश ़जारी किए हैं। सत्यम कॉलनि, अन्नपूर्णा कॉलनि व डड़ियापुरा के समस्याग्रस्त क्षेत्र के लिए ़िजलाधिकारी ने क्रिटिकल गैप मद से 10 लाख रुपए जल संस्थान को उपलब्ध करा दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने ख़्ाराब हैण्डपम्प की सूची तलब करते हुए जनपद के उन 57 गाँवों पर विशेष निगाह रखने के निर्देश दिए हैं, जहाँ पारा चढ़ते ही लोगों को बूँद-बूँद पानी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। रक्सा समूह पेयजल योजना की टेस्टिंग का कार्य लगभग अन्तिम चरण में है। यदि कोई तकनीकी समस्या नहीं आई, तो इस क्षेत्र के वाशिन्दों को इस बार पानी नहीं ख़्ारीदना पड़ेगा।

बिक नहीं पाएगा टैंकर का पानी

सिस्टम

झाँसी : लोगों की प्यास बुझाने के लिए भेजे जाने वाले टैंकर के पानी की सौदेबाजी करना अब आसान नहीं होगा। अगर टैंकर ले जाने वाले टै्रक्टर की स्टीयरिंग कहीं और के लिए मुड़ी, तो अधिकारियों को पता चल जाएगा। पानी की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए इस बार टैंकर ले जाने वाले टै्रक्टर को जीपीएस (ग्लोबल प़िजशनिंग सिस्टम) से लैस करने का निर्णय लिया गया है।

ग्रामीण क्षेत्र की बात तो दूर, महानगर में ही पानी को लेकर अक्सर समस्या बनी रहती है। कई ऐसी कॉलनि हैं, जहाँ पानी की अब तक कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। पाइप लाइन न बिछने के कारण यहाँ के लोग हैण्डपम्प व बोरिंग का पानी पीते हैं। गर्मी में जब पारा 45 डिग्री पार करता है, जल स्तर भी धरातल की ओर चला जाता है। उस समय हैण्डपम्प व बोरिंग जैसे साधन साथ छोड़ देते हैं और पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। हालात बिगड़ने पर जल संस्थान द्वारा यहाँ टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। इस समय विभाग के पास 32 टैंकर हैं। दरअसल, विभाग पर टैंकर का पानी बेचने के आरोप लगते रहे हैं। जनता टैंकर न पहुँचने का रोना रोती है, तो इससे उलट विभाग की डायरी में टैंकर से सप्लाई की रिपोर्ट चस्पा होती है। अधिकारी भी ऐसे आरोप-प्रत्यारोप से परेशान चल रहे थे। इस बार ़िजलाधिकारी ने टैंकर को ले जाने वाले प्रत्येक टै्रक्टर को जीपीएस से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। अधिशासी अभियन्ता जल संस्थान आरएस यादव ने बताया कि समस्याग्रस्त क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए टैंकर खड़ा करने वाले स्थान निर्धारित कर लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि दतिया गेट फिल्टर, तालपुरा व मसीहागंज से टैंकर भरे जाते हैं। तीनों सर्किल के स्थान ही निर्धारित नहीं होंगे, बल्कि रूट भी तय किया जाएगा, ताकि चालक अपनी मर्जी से कहीं और टैंकर न ले जा सके। मोहल्ले के लोगों के मोबाइल व टेलिफोन नम्बर्स भी एकत्र करने के निर्देश अवर अभियन्ताओं को दिए गए हैं। इन नम्बर्स से टैंकर पहुँचने की नियमित जाँच की जाएगी।

तीन कॉलनि की परेशानी होंगी कम

झाँसी : समानान्तर जल संस्थान व आधी-अधूरी सरकारी व्यवस्थाओं से प्यास बुझा रहे सत्यम कॉलनि, अन्नपूर्णा कॉलनि व डड़ियापुरा क्षेत्र के लोगों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। ़िजलाधिकारी के निर्देश पर यहाँ बोरिंग के जरिए जलापूर्ति करने की कोशिश जल संस्थान ने प्रारम्भ कर दी है।

बड़ागाँव गेट बाहर रहने वाले बड़े हिस्से में पेयजल व्यवस्था बदहाल बनी हुई है। गर्मी आने पर तो स्थिति काफी नाजुक हो जाती है और नौबत अ़फसरों के दरवा़जे पर हो-हल्ले तक की आ जाती है। इस परेशानी का लाभ उठाकर कुछ लोगों ने इस क्षेत्र में जल संस्थान के समानान्तर व्यवस्था बना दी है। यह लोग गहरे बोर या कुँए से पानी लेकर पाइप लाइन के जरिए लोगों को सप्लाई कर रहे हैं, जिसके एवज में हर महीने शुल्क वसूला जाता है। सबसे अधिक दिक्कत सत्यम, अन्नपूर्णा कॉलनि व ड़िजयापुरा क्षेत्र में आती है। ़िजलाधिकारी ने इस क्षेत्र की पेयजल व्यवस्था सुधारने के लिए क्रिटिकल गैप फण्ड से 10 लाख रुपए अवमुक्त कर दिए हैं। जल संस्थान के अधिशासी अभियन्ता ने बताया कि नारायण बाग के गेट संख्या 2 के पास विभाग का पूर्व में ट्यूबवेल लगा था, जिसका डिस्चार्ज कम हो गया है। इसके बगल में एक बोर करते हुए पम्प लगाया जाएगा। 940 मीटर लम्बी पाइप लाइन के जरिए दोनों कॉलनि के ऊपरी हिस्से को जलापूर्ति की जाएगी। उधर, डड़ियापुरा में भी मिनी ट्यूबवेल स्थापित करते हुए पेयजल आपूर्ति की जाएगी। हालाँकि पानी की उपलब्धता को लेकर अधिकारी कोई भी दावा करने से इन्कार कर रहे हैं, लेकिन जल संस्थान ने मध्य अप्रैल तक यह काम कराने का दावा किया है। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो तीनों बस्तियों के निवासियों की थोड़ी समस्या का समाधान अवश्य हो जाएगा।

रक्सा : ख़्ारीदना नहीं पड़ेगा पानी

जाएगी योजना

झाँसी : अब तक की गई टेस्टिंग के परिणाम अच्छे संकेत दे रहे हैं। आगे कोई दिक्कत नहीं आई, तो इन गर्मियों में रक्सा व पास के पाँच और गाँवों के लोगों को पीने के लिए पानी नहीं ख़्ारीदना पड़ेगा। जल निगम द्वारा अप्रैल माह के अन्त में पानी की सप्लाई प्रारम्भ करने का दावा किया गया है।

रक्सा क्षेत्र में रहने वाले लोग सालों से पीने के पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं। वहाँ गर्मी शुरू होते ही पानी के लिए हाहाकार मचने लगता है। नौबत यहाँ तक आ जाती है कि लोगों को पानी मोल लेकर गला तर करना पड़ता है। इस समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए बुन्देलखण्ड विकास पैकेज से 21 करोड़ 15 लाख रुपए की योजना बनाई गई। योजना के तहत पहूज बाँध से कच्चा पानी लेकर उसे फिल्टर किया जाना है और पाइपलाइन के जरिए पाँच गाँवों में जलापूर्ति की जानी है। इसके लिए पहूज डैम के डूब क्षेत्र के छोर पर एक कूप का निर्माण किया गया। वहाँ से पानी लेकर ढिमरपुरा में बनाए जाने वाले फिल्टर प्लाण्ट तक पहुँचाया जाएगा। पानी को स्टोर करने के लिए सीडब्ल्यूआर तथा दो ओवरहैड टैंक बनाए गए हैं। योजना से प्रतिदिन 2.6 एमएलडी पानी की सप्लाई की जाएगी। इसके लिए ढिमरपुरा में 350 किलोलिटर तथा रक्सा में 550 किलोलिटर क्षमता के ओवरहैड टैंक की स्थापना की गई है। टंकियों से पाँच गाँव में 26.25 किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन के जरिए जलापूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। विभाग ने 26.25 किलोमीटर की पाइप लाइन बिछाते हुए पाली पहाड़ी, ढिमरपुरा, अठौंदना, डेली, रक्सा, सिजवाहा गाँव में पानी पहुँचाने का काम लगभग पूरा कर लिया है। बताया गया है कि डेली, अठौंदना, पाली पहाड़ी, ढिमरपुरा आदि गाँव में टेस्टिंग हो चुकी है, जबकि ओवर हैड टैंक की जाँच भी पूरी हो गई है। अधिकारियों का दावा है कि अप्रैल माह के अन्त तक योजना से पानी की सप्लाई प्रारम्भ कर दी जाएगी।

हर गाँव में लगेंगे 2-3 स्टैण्ड पोस्ट

रक्सा समेत आधा दर्जन गाँवों में पाइप लाइन तो बिछ गई है, लेकिन अब तक किसी ग्रामीण ने कनेक्शन लेने का प्रयास नहीं किया है। जल निगम के अधिकारियों ने बताया कि जलापूर्ति प्रारम्भ होने के बाद ही कनेक्शन लेने के लिए ग्रामीण आगे आएंगे। फिलहाल विभाग ने प्रत्येक गाँव में 2 से 3 स्टैण्ड पोस्ट स्थापित करने का निर्णय लिया है। इनकी संख्या अधिक हो सकती थी, लेकिन पानी की बर्बादी रोकने के लिए इनकी संख्या कम रखी गई है।

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