जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार अर्थदंड का अल्टीमेटम

लाइन बाजार थाना क्षेत्र के मारपीट के मुकदमे में आरोपितों की जमानत में फर्जीवाड़ा हुआ था। जमानतदारों में किसी की फोटो भिन्न थी तो किसी का कागज फर्जी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 07:40 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 06:04 AM (IST)
जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार अर्थदंड का अल्टीमेटम
जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार अर्थदंड का अल्टीमेटम

जागरण संवाददाता, जौनपुर: लाइन बाजार थाना क्षेत्र में मारपीट के मुकदमे में आरोपितों की जमानत में फर्जीवाड़ा हुआ था। जमानतदारों में किसी की फोटो भिन्न थी तो किसी का कागज फर्जी। अधूरी सूचना देने पर राज्य सूचना आयोग ने जनसूचना अधिकारी एसपी कार्यालय को 25,000 रुपये अर्थदंड का अल्टीमेटम देने के साथ स्पष्टीकरण सहित एक जनवरी 2020 को तलब किया है।

जय कुमार गौड़ निवासी ग्राम कुंवरदा ने अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम सिंह के माध्यम से पुलिस उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया था कि जय कुमार व नरेंद्र कुमार के बीच विवाद होने पर मारपीट हुई। धारा 325 की बढ़ोत्तरी होने पर 23 सितंबर 2016 को चार्जशीट दाखिल की गई। सीजेएम कोर्ट में आरोपितों द्वारा कराई गई जमानत में फर्जीवाड़ा किया गया। छह में से पांच जमानतदारों की जमानतें या तो फर्जी या अपूर्ण हैं। जमानतदार रामपाल की जगह दूसरे की फोटो लगी है। उसका पहचान पत्र नहीं लगा है। बलराम की कोई खतौनी भी नहीं लगी है। धीरज द्वारा लगाए गए वाहन के कागज में रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है। धर्मेंद्र की जगह दूसरे व्यक्ति की फोटो लगी है। पहचान भी पत्र नहीं लगाया गया है। फूलचंद की खतौनी तीन साल पुरानी लगाई गई है। जमानत सात जनवरी 2017 को ली गई है। फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपितों व जमानतदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

कार्रवाई न होने पर वादी ने जनसूचना अधिकारी एसपी कार्यालय से सूचना मांगी लेकिन नहीं दी गई। इस पर प्रथम अपील एडीजी वाराणसी व दूसरी अपील राज्य सूचना आयोग में की गई। मामले में कुछ बिदुओं पर सूचना नहीं दी गई। आवेदक जय कुमार ने सीजेएम के समक्ष भी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। कोर्ट ने 26 अगस्त 2019 को प्रकीर्ण वाद दर्ज कर 6 सितंबर 2019 को नोटिस जारी किया। उधर अधूरी सूचना को लेकर राज्य सूचना आयुक्त ने एसपी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी को अल्टीमेटम दिया कि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण दें कि संपूर्ण सूचना न देने पर क्यों न उन्हें 25,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया जाए।

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