नक्शे को चट कर गए दीमक, कमिश्नर के यहां मंजूरी को अटकी फाइल

जफराबाद कस्बे में नागरिकों को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन स्तर से एक वर्ष पूर्व बाईपास की मंजूरी दी गई है। इसमें किसानों के भूमि अधिग्रहण की फाइल पिछले आठ माह से कमिश्नर के यहां लिखा-पढ़ी को लेकर चक्कर काट रही है। कभी कोई कारण तो कभी कुछ वजह बताकर फाइल को कई बार जिला प्रशासन को वापस कर दिया गया। वर्तमान में कमिश्नर द्वारा काश्तकारों के भूमि का नक्शा मंगवाया है, जिसमें पेंच यह फंसा कि नक्शे को दीमक ने चट कर दिया। एक बार फिर नक्शे को राजस्व परिषद लखनऊ से मंगाकर फाइल को मंजूरी के लिए लगाया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 04:20 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 04:20 PM (IST)
नक्शे को चट कर गए दीमक, कमिश्नर के यहां मंजूरी को अटकी फाइल
नक्शे को चट कर गए दीमक, कमिश्नर के यहां मंजूरी को अटकी फाइल

जागरण संवाददाता, जौनपुर : जफराबाद कस्बे में नागरिकों को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन स्तर से एक वर्ष पूर्व बाईपास की मंजूरी दी गई है। इसमें किसानों के भूमि अधिग्रहण की फाइल पिछले आठ माह से कमिश्नर के यहां लिखा-पढ़ी को लेकर चक्कर काट रही है। कभी कोई कारण तो कभी कुछ वजह बताकर फाइल को कई बार जिला प्रशासन को वापस कर दिया गया। वर्तमान में कमिश्नर द्वारा काश्तकारों की भूमि का नक्शा मंगवाया गया है, जिसमें पेच यह फंसा कि नक्शे को दीमक ने चट कर दिया। एक बार फिर नक्शे को राजस्व परिषद लखनऊ से मंगाकर फाइल को मंजूरी के लिए लगाया गया है।

जफराबाद रेलवे क्रा¨सग के पास यह मार्ग अहमदपुर शिवाला से लाडनपुर चौराहा तक जाएगा। इससे लोगों को जाम की समस्या से निजात मिल जाएगी, जिन लोगों को बाजार में कोई काम नहीं होगा वह बाहर से निकल जाएंगे। साढ़े तीन किमी की यह सड़क 21.72 करोड़ की लागत से बननी है। इसमें किसानों के छह एकड़ की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसके तहत 14 करोड़ रुपये किसानों को भूमि के लिए दिया जाएगा। नियमत: दस करोड़ रुपये से अधिक अधिग्रहण के मामले स्वीकृति के लिए कमिश्नर के यहां भेजे जाते हैं। आलम यह है कि अधिग्रहण की फाइल पिछले आठ माह से अधिक समय से कमिश्नर कार्यालय जा रही है। उस पर स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। कभी खुली बैठक को लेकर तो कभी कागजी अभिलेखों व अब नक्शा गायब होने को लेकर। पता चला कि चार गांवों का नक्शा दीमक ने पूरी तरह चट कर दिया है। यह सभी नक्शे राजस्व अभिलेखों में 1890 से रखे थे। इसको राजस्व परिषद लखनऊ से मंगाकर पुन: जिलाधिकारी के माध्यम से कमिश्नर के यहां भेजा जा रहा है। कमिश्नर ने नक्शे के साथ रकबा, भूमि अधिग्रहण की धनराशि कैसे दी जा रही इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है। इसकी विस्तार से चर्चा है। विभागीय अधिकारियों की माने तो किसानों से भूमि अधिग्रहण के लिए सहमति पत्र ले लिया गया है। साथ ही भूमि अधिग्रहण अधिकारी वाराणसी के खाते में अधिग्रहण का बजट भी दे दिया गया है। स्वीकृति मिलते ही रजिस्ट्री शुरू हो जाएगी। अगर जल्द मंजूरी मिल जाती है तो छह माह के अंदर जफराबाद बाईपास मार्ग बनकर तैयार हो जाएगा। इन गांवों की भूमि का होगा अधिग्रहण:- लाडनपुर, ताड़तला, दाऊदपुर, रामदासपुर, गोंडान-2, पिपरियाकत, चकवाजिदपुर, नासही, मखदूमपुर, दरीबा गांव को लिया गया। बोले जिम्मेदार :-

जफराबाद बाईपास मार्ग के लिए फाइल स्वीकृति को कमिश्नर वाराणसी के यहां भेजी गई गई थी। नक्शा पूरी तरह स्पष्ट न होने से पुन: वापस भेजा गया है। इसका मैप दीमक चट गया था, जिसको राजस्व परिषद लखनऊ से मंगाया गया। इसको डीएम के माध्यम से पुन: अनुमति के लिए भेजा जा रहा है। दस करोड़ से अधिक के अधिग्रहण मामले में कमिश्नर से अनुमति लेनी पड़ती है। करीब आठ माह से यह प्रक्रिया चल रही है।

राधाकृष्ण-अधिशासी अभियंता-पीडब्लूडी प्रांतीय खंड

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