बेसहारा नहीं रोजगार देने का माध्यम बनेंगे गोवंश

बेसहारा भटक रहे गोवंश अब अन्नदाताओं के बर्बादी का कारण नहीं बेरोजगारों के जीविकोपार्जन का माध्यम बनेंगे। कृषक प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) को गोशाला संचालन की जिम्मेदारी दी जा रही है। जनपद में दो गोशालाओं का संचालन संस्थाओं के माध्यम से शुरू भी हो चुका है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 08:28 PM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 08:28 PM (IST)
बेसहारा नहीं रोजगार देने का माध्यम बनेंगे गोवंश
बेसहारा नहीं रोजगार देने का माध्यम बनेंगे गोवंश

जागरण संवाददाता, जौनपुर : बेसहारा भटक रहे गोवंश अब अन्नदाताओं के बर्बादी का कारण नहीं, बेरोजगारों के जीविकोपार्जन का माध्यम बनेंगे। कृषक प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) को गोशाला संचालन की जिम्मेदारी दी जा रही है। जनपद में दो गोशालाओं का संचालन संस्थाओं के माध्यम से शुरू भी हो चुका है। इन गोशालाओं में रखे गए पशुओं के गोबर व मूत्र से पर्यावरण की दृष्टि से इको फ्रेंडली गौ आधारित उत्पाद बनाए जाएंगे। इतना ही नहीं गांव के बेरोजगार युवाओं व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के रोजगार सृजन के लिए प्रशिक्षण देकर उनको स्वावलंबी भी बनाया जाएगा।

सरकार की गो आधारित ग्राम्य विकास मंशा को मूर्त रूप देने के लिए जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने पहल शुरू कर दी है। बेसहारा पशुओं को रोजगार देने की भूमिका में लाने के लिए केराकत के सरौनी पूरब पट्टी गांव की गोशाला को धर्मापुर कृषक प्रोड्यूसर कंपनी को व निजामुद्दीनपुर में बने बृहद गोशालाओं के संचालन की जिम्मेदारी तालुकदार फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को सौंपी गई है। प्रयोग सफल होने पर जनपद की सभी गोशालाओं को रोजगार से जोड़ दिया जाएगा। जनपद में दो बृहद गोशालाओं सहित 86 अस्थाई पशु आश्रय केंद्रों में 10,376 बेसहारा पशु रखे गए हैं। गो आधारित इन उत्पादों का होगा निर्माण

बृहद गोशालाओं में वर्मी कंपोस्ट, गोनालय के अलावा गमला, दीपक, धूपबत्ती, धूप कोण, मूर्तियां सहित अन्य वस्तुओं का निर्माण किया जाएगा। यह उत्पाद पर्यावरण की दृष्टि से इको फ्रेंडली होंगे। शवदाह के लिए लकड़ी व वैदिक पेंट भी बनाने की तैयारी की गई है। आत्मनिर्भर माडल गोशाला बनाने की तैयारी

धर्मापुर कृषक प्रोड्यूसर कंपनी की निदेशक डा. संध्या सिंह ने बताया कि बृहद गोशाला सरौनी को आत्मनिर्भर माडल गोशाला बनाया जाएगा। संस्था के प्रोजेक्ट की तारीफ मुख्यमंत्री ने की है। जिला प्रशासन ने गोशाला को समतल व चारदीवारी बना दें तो तीन माह में परिणाम दिखेगा। उन्होंने बताया कि केराकत, भैंसा सहित कई महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को गो आधारित उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं तालुकदार कृषक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के डायरेक्टर डा. जयंत सिंह ने कहा कि बृहद गोशाला निजामुद्दीनपुर में चारदीवारी न होना प्रमुख समस्या है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का सहयोग मिला तो और गोशालाओं को लेकर शवदाह के लिए गोबर की लकड़ी, वर्मी कंपोस्ट आदि उत्पाद तैयार कर बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा।

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86 गोशालाओं में 10,376 बेसहारा पशुओं को रखा गया है। दो बृहद गोशालाओं का संचालन एफपीओ के माध्यम से हो रहा है। तीन और बृहद गोशालाओं का निर्माण शीघ्र पूरा हो जाएगा। इन्हें भी एफपीओ के माध्यम से संचालित कराया जाएगा। एफपीओ गोशाला की भूमि पर हरा चारा आदि के रूप में भी प्रयोग करेंगी। गो आधारित उत्पाद बनाए जाने से लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इतना ही नहीं शासन के तय धनराशि से कम में गोशाला का संचालन करने से राजस्व की भी बचत होगी।

- डा. राजेश सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

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