हैप्पी दीवाली मनाएं, पटाखे कम छुडाएं
दैनिक जागरण अखबार पर्यावरण संरक्षण का हमेशा से पक्षधर रहा है। ऐसे में बुधवार को दीवाली के दिन पटाखों से होने वाले पर्यावरण नुकसान के प्रति भी लोगों को जागरूक करना अपना कर्तव्य समझता है। पेश है पर्यावरण विशेषज्ञ व धर्म गुरुओं से बातचीत की रिपोर्ट :-
जागरण संवाददाता जौनपुर : दैनिक जागरण अखबार पर्यावरण संरक्षण का हमेशा से पक्षधर रहा है। ऐसे में बुधवार को दीवाली के दिन पटाखों से होने वाले पर्यावरण नुकसान के प्रति भी लोगों को जागरूक करना अपना कर्तव्य समझता है। पेश है पर्यावरण विशेषज्ञ व धर्म गुरुओं से बातचीत की रिपोर्ट :-
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दीपावली खुशियों का पर्व है। ज्यादा पटाखे छुड़ाने पर वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड के साथ अन्य जहरीली गैसों की वृद्धि होती है। ऐसे पटाखे न छुड़ाए जो आवाज करे। बाजारों में ग्रीन पटाखा उपलब्ध है। इससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है। पटाखों से पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान होता है। दमा, हृदय रोगी, गुर्दे के मरीजों के लिए सबसे अधिक खतरा रहता है। इस बार तापमान कम है इससे पटाखे के धुएं के साथ पर्यावरण में कोहरा बन जाएगा, यह काफी दिन बाद छटेगा।
डा.राजीव प्रकाश ¨सह-भूगोल विभागाध्यक्ष-टीडी कालेज
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दीपावली प्रकाशोत्सव की परंपरा है, न की आवाज का उत्सव है। इस दिन हमें लक्ष्मी-गणेश, ज्ञान व सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। ऐसे पटाखों का प्रयोग करे जिसमें कम धुआं का प्रयोग हो, उजाला अधिक हो। रोशनी के त्यौहार को खुशियों से सराबोर करें। पटाखा पर्यावरण के लिए पूरी तरह नुकसान देह है।
योगी देवनाथ-धर्म गुरु
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दीपोत्सव के पर्व पर बच्चे अगर पटाखा छुड़ाएं तो उनके अभिभावक मौजूद रहे। ऐसे पटाखे न छोड़े जिससे व्यक्ति व दूसरों को नुकसान पहुंचे। खुशियों का पर्व को हर्ष व उल्लास के साथ मनाए।
मौलाना महफूजुल हसन-शिया धर्मगुरु