हुल्का देवी की बड़ी पूजा में शामिल हुए हजारों लोग

संवाद सहयोगी, कोंच : महामारी और बीमारियों को दूर भगाने के लिए प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 11:12 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 11:12 PM (IST)
हुल्का देवी की बड़ी पूजा में शामिल हुए हजारों लोग
हुल्का देवी की बड़ी पूजा में शामिल हुए हजारों लोग

संवाद सहयोगी, कोंच : महामारी और बीमारियों को दूर भगाने के लिए प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल में होने वाली हुल्का देवी की बड़ी पूजा में शनिवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की भीड़ के बीच हुल्का देवी की शोभायात्रा निकाली गई, जो ढाई किमी चलकर गाजे बाजे के साथ ग्राम पड़री स्थित हुल्का देवी के मंदिर पर पहुंची। जहां तांत्रिक अनुष्ठान के बीच देवी पूजा संपन्न हुई।

बुंदेलखंड की प्राचीन लोक परंपराओं में शुमार हुल्का देवी की बड़ी पूजा की शोभायात्रा नगर के मालवीय नगर में स्थित लाला हरदौल के मंदिर से प्रारंभ हुई। बीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं के बीच शोभायात्रा नगर के मुख्य मार्ग से होती हुई देवी मां के जयकारे और डीजे की धुन पर थिरकते हुए आगे बढ़ी। भारत माता मंदिर, स्टेट बैंक तिराहा होती हुई शोभायात्रा सागर चौकी के पास लाला हरदौल के स्थान पर कुछ समय के लिए रुकी। उसके बाद शोभायात्रा रेलवे फाटक मार्कंडेश्वर तिराहा होते हुए पड़री गांव में स्थित हुल्का देवी मंदिर पर पहुंची। जहां धार्मिक और तांत्रिक अनुष्ठान से बड़ी पूजा संपन्न हुई।

-------------------------

140 जगहों पर थी लंगर की व्यवस्था

हुल्का देवी की शोभायात्रा में शामिल हजारों की भीड़ के लिए नगर के लोगों ने जगह जगह लंगर की व्यवस्था कर रखी थी। शोभायात्रा के पूरे रास्ते में 140 स्टाल लगाए गए थे जहां हर किस्म के लंगर और प्रसाद की व्यवस्था रखी गई थी। यात्रा में शामिल भक्तों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए पानी और खाने की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी।

--------------------------

महिलाएं खोले रहीं बाल, पुरुष भी नंगे पैर हुए शामिल

हुल्का देवी की शोभायात्रा में महिलाओं की संख्या भी पुरुषों से कम नहीं रही। सभी महिलाएं अपने बालों को खोले हुए नंगे पैर चल रही थीं। पुरुष भी नंगे पैर शोभायात्रा में मां के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। शोभायात्रा के आयोजक देवी के सम्मान के लिए छतों पर खड़े लोगों को नीचे उतरने के लिए कहते जा रहे थे। लोग पूर्ण श्रद्धा भाव से देवी के सम्मान में सड़क के किनारे खड़े रहे।

--------------------------

दूध, शहद और शराब से मार्ग का होता रहा शुद्धिकरण

हुल्का देवी के रथ के आगे भक्तगण दूध शहद और शराब की धार गिराते हुए आगे बढ़ रहे थे। ढाई किमी लंबी इस शोभायात्रा के मार्ग को तय करने में नौ घंटे का समय लग गया। पूरे समय तक दूध शहद और शराब की धार बराबर चलती रही।

--------------------------

बकरे और सूअर भी शोभायात्रा में थे शामिल

तांत्रिक अनुष्ठान वाली इस बड़ी पूजा में दो काले बकरे, सूअर और उसके दो बच्चे भी आकर्षण का केंद्र रहे। रास्ते में पड़ने वाले चौराहे तिराहे पर उक्त जानवरों की पूजा की जाती रही।

--------------------------

डेढ़ कुंतल का बनाया गया था समोसा

एक भक्त ने हुल्का देवी पर चढ़ाने के लिए डेढ़ कुंतल वजन का समोसा तैयार कराया था। यह समोसा नगर में सुबह से ही आकर्षण का केंद्र बना रहा। लोग जा जाकर समोसे को देखते रहे। देवी पर चढ़ाने के बाद समोसा प्रसाद के रूप में भक्तों को बांट दिया।

--------------------------

पुलिस प्रशासन रहा मुस्तैद

बड़ी पूजा में उमड़ा जन समूह को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी पूरे दिन परेशान रहा। सर्किल के चारों थानों की पुलिस आरआरएफ, पीएसी के जवान शोभायात्रा के रास्ते भर मुस्तैदी से डटे रहे। नगर के अंदर भी पुलिस की गाड़ियां गश्त करती रहीं। शोभायात्रा जब निकल गई तब कहीं जाकर प्रशासन ने राहत की सांस ली।

--------------------------

बंद रहे बाजार, सरकारी कार्यालय पड़े रहे सूने

शोभायात्रा के समय नगर का बाजार पूरी तरह से बंद रहा। सरकारी कार्यालय खुले अवश्य लेकिन पूरे दिन सूने पड़े रहे। वहां के कर्मचारी भी बड़ी पूजा के इस आकर्षण से वंचित न रह पाए। वह भी समय निकाल कर शोभायात्रा को देखने पहुंच गए। बस स्टैंड पर भी सन्नाटा रहा। उरई कोंच मार्ग पर शोभयात्रा के निकलने से भारी भीड़ के कारण वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक रखी थी जिस कारण बसें वहां से नहीं गुजर पाईं।

---------------

पांच किलो बेसन से बनाई गई थी हुल्का देवी की प्रतिमा

बुंदेलखंड की लोक देवी मानी जाने वाली हुल्का देवी की प्रतिमा पांच किलो बेसन से बनाई गई थी। जिसे नगर के मूर्तिकार मुकेश रायकवार ने तैयार किया था। सवा फीट ऊंची इस बेसन की प्रतिमा का श्रृंगार कराकर विमान पर रखा गया था। भक्त लोग विमान को कंधे देकर आगे बढ़ते रहे। भीड़ में शामिल हर भक्त हुल्का देवी के इस डोले को विदा करने के लिए अपना कंधा लगाना चाह रहा था।

chat bot
आपका साथी