फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए पुलिस में भर्ती की कोशिश

प्रमाणपत्र सत्यापन की रिपोर्ट से हुआ पर्दाफाश मुकदमा दर्ज ब्लर्ब- सिकंदराराऊ के गांव बरामई के मुनेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई पहले भी कई पकड़े जा चुके हैं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 01:23 AM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 01:23 AM (IST)
फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए   पुलिस में भर्ती की कोशिश
फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए पुलिस में भर्ती की कोशिश

जासं, हाथरस : पुलिस आरक्षी भर्ती-2015 में सिकंदराराऊ के युवक ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर पुलिस में भर्ती होने का प्रयास किया। अंकतालिकाओं के सत्यापन में इस फर्जीवाड़े की पोल खुल गई। सीओ सादाबाद व नोडल अधिकारी योगेश कुमार ने हाथरस गेट में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड ने मई-2018 में पुलिस भर्ती -2015 का परिणाम घोषित किया था। मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। सरकारी नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थियों ने अपने शैक्षिक प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा किया। परिणाम के बाद जिले में 12 से 18 जून 2018 तक पुलिस लाइन में भर्ती प्रक्रिया चली। इसमें मेडिकल व प्रमाणपत्र सत्यापन शामिल था। सत्यापन के दौरान कई अभ्यर्थी फर्जी पाए गए थे। इससे पहले 17 जून को गौंडा (अलीगढ़) के युवक का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, जिसने सादाबाद के फौजी युवक के नाम से भर्ती का प्रयास किया था। मामले में छात्र के साथ गौंडा के बर्खास्त सिपाही भोलाशंकर की गिरफ्तारी हुई थी, जिसने कई युवकों को भर्ती कराने का ठेका लिया था। इसके बाद 30 जून 2018 को सत्यापन रिपोर्ट से एक और अभ्यर्थी के फर्जीवाड़ा का पता चला। सादाबाद के युवक ने अपने भाई के प्रमाणपत्रों के आधार पर भर्ती होने का प्रयास किया था। इसके बाद कुछ और अभ्यर्थियों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तथा मुकदमे भी दर्ज किए गए। सीओ सादाबाद योगेश कुमार इस भर्ती प्रक्रिया के नोडल अधिकारी थे। उन्होंने अब 16 फरवरी 2019 को सिकंदराराऊ के गांव बरामई के मुनेश कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचित प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने के प्रयास के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है।

मुनेश ने आवेदन में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान, नोएडा की 10वीं व 12वीं की अंकतालिकाएं लगाई थीं। संस्थान में जब अंक तालिकाओं की छायाप्रति सत्यापित कराने के लिए भेजी गईं तो पता चला कि उस अनुक्रमांक का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। मामला दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है।

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