एसपी ने सीओ को सौंपी जांच, डीएम ने दिया भरोसा

By Edited By: Publish:Sun, 31 Aug 2014 07:57 PM (IST) Updated:Sun, 31 Aug 2014 07:57 PM (IST)
एसपी ने सीओ को सौंपी जांच, डीएम ने दिया भरोसा

हरदोई, जागरण संवाददाता: भाजपा सांसद और थानाध्यक्ष हरियावां के बीच हुए विवाद का मामला शनिवार की रात से रविवार की शाम तक चर्चा में रहा। देर रात कर तक चली वार्ता के बाद एसएसपी ने पूरे मामले की जांच सीओ हरियावां को सौंपी है। वहीं रविवार को सांसद आवास पर जमा हुए भाजपाइयों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर को डीएम को पूरे मामले से अवगत कराते हुए कार्रवाई की मांग उठाई तो डीएम ने आला अधिकारियों से वार्ता कर आश्वासन दिया।

हरियावां थाने पर हुए विवाद के बाद मौके पर पहुंचे एएसपी, सीओ के समझाने पर सांसद अंशुल वर्मा धरने से उठे थे। जिलाध्यक्ष समेत अन्य पार्टी पदाधिकारियों के साथ सांसद ने एसएसपी आवास पहुंचकर पूरा मामला रखते हुए कार्रवाई की मांग उठाई। काफी देर चली वार्ता के बाद एसएसपी ने कार्रवाई का भरोसा देते हुए सीओ को जांच सौंपी है। वहीं रविवार को भाजपाई आवास विकास कालोनी स्थित सांसद श्री वर्मा के आवास पर जमा हुए। दोपहर बाद तक चली रणनीति और प्रदेश नेतृत्व से वार्ता के बाद भाजपाइयों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देने के लिए कूच किया। जिलाध्यक्ष राजीव रंजन, पूर्व विधायक गंगा सिंह चौहान, माधवेंद्र प्रताप सिंह, अखिलेश पाठक, रामबहादुर सिंह, विद्याराम वर्मा समेत काफी संख्या में भाजपाई कलेक्ट्रेट पहुंच गए। जिलाधिकारी रमेश मिश्रा ने कार्यालय आकर भाजपाइयों से ज्ञापन लेकर वार्ता की, तो भाजपा नेताओं ने थानाध्यक्ष हरियावां के निलंबन या लाइन हाजिर करने की मांग उठाई। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में डीएम ने भाजपाइयों से पूरे मामले की जानकारी लेकर आला अधिकारियों तक मामला पहुंचाकर उचित कार्रवाई का भरोसा दिया।

ऐलान को लेकर पूरे दिन रही गहमा गहमी

भाजपाइयों के ऐलान से रविवार को पूरे दिन गहमा गहमी रही, एसएसपी से वार्ता के बाद भाजपाइयों ने 11 बजे तक का समय देते हुए चक्का जाम की घोषणा कर दी थी। घोषणा के मुताबिक सांसद के आवास पर भारी संख्या में भाजपाई जमा भी हुए। पुलिस और प्रशासन भी अंदरखाने सक्रिय हो गया। जिलाध्यक्ष ने तो आरपार की लड़ाई की घोषणा कर दी। दोपहर तक चर्चा और वार्ता के बाद भाजपाइयों ने ज्ञापन देने का निर्णय लिया तो अधिकारियों ने राहत की सांस ली। हालांकि कलेक्ट्रेट में भारी संख्या में फोर्स मौजूद रहा।

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