अतीत के झरोके से: बीपी मौर्य ने की थी एक बार आरक्षण की सिफारिश

बात 1977 की है जब कांग्रेस की ओर से बीपी मौर्य प्रत्याशी बने थे। उस समय बीपी मौर्य की गिनती तेज तर्रार नेताओं में होती थी। उनकी एक सभा हापुड़ के टाउनहाल स्थित मैदान में आयोजित की गई थी। उस सभा में बीपी मौर्य ने इस बात का प्रबल तरीके से समर्थन किया था कि जिस परिवार को एक बार आरक्षण मिल जाए उसे दोबारा आरक्षण न दिया जाए। इस पर सभा में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Mar 2019 06:54 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2019 06:54 PM (IST)
अतीत के झरोके से: बीपी मौर्य ने की थी एक बार आरक्षण की सिफारिश
अतीत के झरोके से: बीपी मौर्य ने की थी एक बार आरक्षण की सिफारिश

मनोज त्यागी, हापुड़ : बात 1977 की है, जब कांग्रेस की ओर से बीपी मौर्य प्रत्याशी बने थे। उस समय बीपी मौर्य की गिनती तेज तर्रार नेताओं में होती थी। उनकी एक सभा हापुड़ के टाउनहाल स्थित मैदान में आयोजित की गई थी। उस सभा में बीपी मौर्य ने इस बात का प्रबल तरीके से समर्थन किया था कि जिस परिवार को एक बार आरक्षण मिल जाए, उसे दोबारा आरक्षण न दिया जाए। इस पर सभा में मौजूद लोगों ने बीपी मौर्य की बात का ताली बजाकर समर्थन किया था। बीपी मौर्य ने कहा कि मैं खुद सम्पन्न हूं। मुझे आरक्षण लेने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए मैने कभी आरक्षण मांगा भी नहीं है। एक बार आरक्षण लेकर जब परिवार सम्पन्न हो गया, तो उसे दोबारा आरक्षण देने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। बीपी मौर्य ऐसे नेता थे, जो कभी आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़े। एक बार उन्होंने अलीगढ़ से अपनी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से चुनाव जीतकर वह संसद पहुंचे थे और दो बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। वह केंद्र में कैबिनेट मंत्री भी रहे। बीपी मौर्य ने इसी सभा में बिगड़े बोल भी बोले थे। उन्होंने कहा था कि हापुड़ का पक्का बाग और रेलवे रोड स्थित कोठी में तालाब बनवा दूंगा। इसको लेकर एक वर्ग में काफी रोष पैदा हो गया था। इसे लेकर लोग एकजुट हो गए थे। इस चुनाव में बीपी मौर्य को हार का मुंह देखना पड़ा था। मेरठ जिले से जरनल शाहनवाज खान सांसद थे और केंद्र में मंत्री भी थे। जिले में उनका जलवा कायम था। जिले ही नहीं दूर-दूर तक उनकी तूती बोलती थी। बीपी मौर्य इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि शाहनवाज खान के रहते उनकी मेरठ जिले में नहीं चल पाएगी। 1976 में बीपी मौर्य  ने नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन किया था। मौर्य ने नारायण दत्त तिवारी से हापुड़ को जिला बनाने की बात कही थी। इस पर नारायण दत्त तिवारी ने हामी भर दी थी। हापुड़ को जिला बनाने के लिए एक सभा भी हापुड़ में आयोजित की गई। जिसमें प्रस्ताव रखा गया कि हापुड़ को जिला बनाया जाएगा, लेकिन इसे बनाने में आने वाले खर्चे को यहां की जनता से टैक्स के रूप में वसूल किया जाएगा। इस पर शहर के एक समुदाय ने इसे साफ तौर पर रद कर दिया। बाद में 14 नवंबर 1976 को गाजियाबाद को जिला बनाया गया। बीपी मौर्य कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। उन्हें दलित ही नहीं बल्कि, दूसरे समुदाय के लोग भी पसंद करते थे। उन्होंने आरक्षण को लेकर कभी किसी की सिफारिश नहीं की। वह कहते थे कि यदि आरक्षण में भी सिफारिश करनी पड़ेगी तो हम अपने ही किसी का हक मारेंगे। उन्होंने सभा में कहा था कि एक बार आरक्षण मिलने के बाद दोबारा नहीं दिया जाना चाहिए।

- अशोक शर्मा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीपी मौर्य की 1976 की मीटिग में मै स्वयं मौजूद था। बीपी मौर्य ने कहा था कि वह पक्का बाग और हमारी रेलवे रोड स्थित कोठी को तुड़वाकर उसमें तालाब बनवा देंगे। यही कारण था कि बीपी मौर्य के इन बिगड़े बोल के कारण ही हार का मुंह देखना पड़ता था।

केके मित्तल, शहर के गणमान्य व्यक्ति

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