कोरोना काल में भी बढ़ी परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या

संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर कोरोना महामारी के चलते रोजगार ठप होने से खराब आर्थिक स्थिति

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 08:42 PM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 08:42 PM (IST)
कोरोना काल में भी बढ़ी परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या
कोरोना काल में भी बढ़ी परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर:

कोरोना महामारी के चलते रोजगार ठप होने से खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहे अभिभावकों पर बच्चों को बिना पढ़ाए फीस भरने का दबाव बनाया जा रहा है। इससे परेशान अभिभावकों का रुझान परिषदीय विद्यालयों की तरफ बढ़ा है। इसकी बानगी चालू शिक्षा सत्र में परिषदीय विद्यालयों में बढ़ती छात्र संख्या है।

तीन महीने के लाकडाउन से लेकर अब तक विद्यालयों में शिक्षण कार्य ठप है। इसके बावजूद भी छात्र संख्या की बढ़ोत्तरी हो रही है। शिक्षा से जुड़े जानकार मानते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में अभिभावकों के सामने आर्थिक संकट होने के बावजूद भी बिना पढ़ाए पब्लिक स्कूलों के संचालक बच्चों की फीस के लिए दबाव बना रहे हैं। इससे परेशान अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं का रुझान परिषदीय विद्यालयों की तरफ बढ़ रहा है। इसका एक कारण परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का सुधार भी माना जा रहा है। गत वर्ष काफी प्रयास के बावजूद कुछ बच्चे पब्लिक स्कूलों से छोड़कर आए थे। लेकिन, इस बार कोरोना संक्रमण होने के बाद भी सिभावली ब्लाक में इस बार सितंबर माह के अंत 631 बच्चों की बढ़ोत्तरी हुई है। जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि कोरोना से प्रभावित अभिभावकों का रुझान वास्तव में परिषदीय विद्यालयों की तरफ बढ़ रहा है। इसके चलते परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या तेजी से बढ़ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा में व्यापक सुधार होने एवं कोरोना के प्रभाव से परेशान अभिभावक पब्लिक स्कूलों के अधिक खर्च से बचने को परिषदीय विद्यालयों में अपने बच्चों को प्रवेश दिला रहे हैं, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

सिभावली खंड शिक्षा अधिकारी मोहम्मद राशिद ने बताया कि पिछले वर्ष छात्रों की संख्या 10885 थी। जबकि इस बार 631 नए नामाकंन होने के बाद उक्त संख्या बढ़कर 11489 हो गई है। उन्होंने बताया कि जिस विद्यालय में सर्वाधिक बच्चों की संख्या बढ़ी है। उस स्कूल के प्रधानाचार्य को सम्मानित किया जाएगा।

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