कोरोना काल में बढ़ी तुलसी की डिमांड, हजारों पौधे बिके

संजीव वर्मा पिलखुवाबीमारियों से बचाव के लिए पुराने नुस्खों को कोरोना संकट काल में लोगों न

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 02:42 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 02:42 PM (IST)
कोरोना काल में बढ़ी तुलसी की डिमांड, हजारों पौधे बिके
कोरोना काल में बढ़ी तुलसी की डिमांड, हजारों पौधे बिके

संजीव वर्मा, पिलखुवा:

बीमारियों से बचाव के लिए पुराने नुस्खों को कोरोना संकट काल में लोगों ने अपनाना शुरू कर दिया हैं। कोरोना महामारी से बचाव के लिए इलाज के साथ पुराने नुस्खे कारगार साबित हो रहे हैं, जिसमें एक नुस्खा काढ़ा भी है। काढ़ा बनाने के लिए तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जा रहा है। इसके चलते नर्सरियों पर तुलसी की डिमांड बढ़ गई है।

कोरोना काल में हजारों तुलसी के पौधे बिक गए है। हालांकि, कुछ नर्सरी संचालकों ने सामाजिक दायित्व निभाते हुए तुलसी का पौधा बिक्री के साथ लोगों को निश्शुल्क भी वितरित किया है। वर्तमान में हालात यह है कि नर्सरियों से तुलसी के पौधे न के बराबर रह गए हैं।

वैसे तो अक्सर सभी घरों में तुलसी का पौधा लगा होता है। घर में सुख-शांति और धन वृद्धि के लिए महिलाएं तुलसी की पूजा करती हैं। रविवार को तुलसी को पानी नहीं दिया जाता है। कोरोना काल में तुलसी के पौधे की बढ़ी डिमांड के चलते वर्तमान में नर्सरियों से तुलसी के पौधे खत्म होने के कगार पर हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग- 9 (पूर्व में एनएच-24) आकाश फार्म नर्सरी के संचालक प्रवीण प्रताप राधे ने बताया कि अप्रैल से लेकर मई माह तक पांच हजार से अधिक तुलसी के पौधों की बिक्री हुई है। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा सैकड़ों की संख्या में लोगों को निश्शुल्क तुलसी के पौधे वितरित किए गए हैं। तुलसी के पौधे की डिमांड अभी भी बड़ी संख्या में है। प्रतिदिन सौ से दौ सौ पौधे बिक रहे हैं।

दरअसल, कोरोना से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए काढ़ा काफी असरदायक सिद्ध हो रहा है। काढ़े को बनाने के लिए तुलसी के पत्तों की सबसे अधिक जरूरत होती हैं, लेकिन हर घर में तुलसी का पौधा नहीं है इसीलिए लोग नर्सरियों से तुलसी का पौधा खरीदकर उसे अपने घरों में लगा रहे हैं। इसमें सबसे अधिक डिमांड रामा, श्यामा, सादा तुलसी की है। इसके साथ लोग लौंग तुलसी और सौंप तुलसी की भी मांग कर रहे हैं।

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ऐसे तैयार होता है तुलसी का काढ़ा

- तुलसी का काढ़ा घर पर तैयार किया जा सकता है। काढ़े में तुलसी के पत्ते, छोटी पीपल, सोंठ, काली मिर्ची और दालचीनी मिलाई जाती है। चार व्यक्तियों के लिए काढ़ा तैयार करने में 40 पत्ते तुलसी के, 4 छोटी पीपल, 12 काली मिर्ची खड़ी, थोड़ी सी सोंठ और थोड़ी सी दालचीनी, 4 गिलास पानी में डालकर उबलने गैस पर रख दें। जब पानी उबलकर आधा रह जाए तब समझें काढ़ा तैयार हो गया है। बुखार, खांसी, जुकाम होने पर दिन में तीन बार तीन दिन तक काढ़ा पीएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के लिए दिन में एक से दो बार काढ़े को पीना चाहिए।

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रामा तुलसी अधिक असरदायक

- रामा तुलसी में जिस डंडी पर पत्ते आते हैं उसका रंग हरा रहता हैं, जबकि श्यामा तुलसी में डंडी का रंग नीला रहता है। कई बार दोनों तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते हैं। नर्सरी संचालक प्रवीण प्रताप राधे की मानें तो भारत वर्ष में तुलसी की नौ प्रकार की प्रजाति पाई जाती हैं। सभी के गुण एक से बढ़कर एक माने गए हैं। कोरोना काल में काढ़े के लिए रामा तुलसी ज्यादा असरकारक मानी जाती है।

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