कैसे कम हो हादसे, सड़क की इंजीनियरिग में ही खोट

सुभाष नगर निवासी अरविद की मानें तो बीते वर्ष खन्ना

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 11:39 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:07 AM (IST)
कैसे कम हो हादसे, सड़क की इंजीनियरिग में ही खोट
कैसे कम हो हादसे, सड़क की इंजीनियरिग में ही खोट

केस:-1

सुभाष नगर निवासी अरविद आज भी सिहर उठते हैं बीते वर्ष आपबीती सोच कर। खन्ना कस्बे में उनकी कार ब्रेकर पर इस कदर उछली कि वह डर गए। किसी तरह कार पर नियंत्रण किया और हादसे बचे। तब से वह इस जगह को नहीं भूलते और काफी सजग रहते हैं।

केस:-2

बजरिया के संतोष कुमार भी बीते वर्ष कोहरे में हादसे का शिकार होने से बचे थे। कानपुर-सागर राजमार्ग पर कलेक्ट्रेट मोड़ के पास बाइक सवार अचानक लिक रोड से निकल सामने आया तो संतोष ने किसी तरह ब्रेक लगाकर गाड़ी को नियंत्रित किया। वह खतरनाक लिक रोड कभी नहीं भूलते हैं।

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जागरण संवाददाता, महोबा : जिस पर बीतती है, वह ही बेहतर बता सकता है। हादसे का शिकार होने से बचे ये दो सवार आपबीती के जरिए बखूबी इशारा करते हैं कि सड़कों पर चलने के दौरान सुरक्षा कम और खतरे ज्यादा हैं। हाईवे पर चलने के लिए टोल के अलावा पंजीकरण के समय रोड टैक्स भी लिया जाता है, मगर न तो टोल पर और न अन्य सड़कों पर सुरक्षा के वाजिब इंतजाम है। शहर छोड़िए, हाईवे का हाल यह है कि किनारे रहने वालों ने अपने अनुसार बेतुके ब्रेकर तक बना रखे हैं। संकेतक न होने से ये ब्रेकर कोहरे में नजर नहीं आते और वाहनों का नियंत्रण खोने में देर नहीं लगती। कितने हादसे तो इन्हीं ब्रेकरों की वजह से हुए या होने से बचे। हाईवे से जुड़ रहीं लिंक रोडों पर भी कोई रोकटोक नहीं है। कलेक्ट्रेट मोड़ हो या कोई अन्य जगह, कहीं पर भी हाईवे से पहले ब्रेकर अथवा अन्य संकेतक नहीं हैं।

कानपुर सागर मार्ग पर मोड़ सर्पाकार हैं, जिससे आगे के वाहनों का अनुमान लगा पाना कठिन होता है। रोड की डिजाइन में इसका ध्यान नहीं दिया गया। जैसा रास्ता था उसी को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर टू लेन में परिवर्तित कर दिया गया। कहीं पर संकेतक भी नहीं लगे हैं जिससे आगे की स्थिति का अनुमान लगाया जा सके। शहर के भटीपुरा रोड अथवा रामकथा मार्ग को ही लीजिए, जिसका जहां मन हुआ ब्रेकर बन गया। कोहरा तो दूर, सड़क के रंग में ही समाहित ब्रेकर दिन के समय भी दूर से नजर नहीं आते।

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रेलवे स्टेशन से रोडवेज आते समय सड़क पर इतने ब्रेकर बने हैं कि वाहन और बैठी सवारियों को तेज झटके महसूस होते हैं। ब्रेकरों के पहले संकेतक भी नहीं है जिससे पहले ही सजग होकर स्पीड कम कर दें।

-अरविद, आटो चालक .भटीपुरा और रामकथा मार्ग पर सड़क बनते समय वहां रहने वालों ने कर्मचारियों पर दबाव बना कर बेतुके ब्रेकर बना लिए, जहां से गुजरने पर इतना उछाल लगता है कि वाहन अनियंत्रित होने का डर रहता है। यहां रिफ्लेक्टर पट्टी अथवा अन्य निशान बनाया जाना चाहिए।

शीलू, वाहन चालक

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सड़क हादसे रोकने में डिजाइन और इंजीनियरिग का बहुत महत्व है। चिचारा में कर्व व सर्प आकृति की सड़क पर पहले कई हादसे हुए। उस स्थान को चिन्हित कर वहां रिबल ब्रेकर बनाया गया तो अब हादसों में कमी आई है। ब्लैक स्पॉट को चिन्हित कर सड़क सुरक्षा बैठकों में कार्यदायी विभागों को इंतजाम के लिए कहा गया है।

-अजय कुमार यादव, एआरटीओ प्रवर्तन

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हमारा काम अधिग्रहीत भूमि पर सड़क का निर्माण करना है। रोड की डिजाइन भी उसी के अनुरूप की जाती है। सड़कों पर स्पीड ब्रेकर कम रखे जाते हैं। जरूरी क्रासिग पर ब्रेकर बनाने का प्राविधान है। यदि जरूरत की जगह नहीं बना है तो अवर अभियंता से जांच करा बनाया जाएगा। जिन लोगों ने मनमाने ब्रेकर बना लिए हैं उन्हें हटाने का आदेश देंगे।

-बीबी अग्रवाल, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी

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