चौथे दिन भी दहशत में रहा बिंवार

बिंवार,(हमीरपुर) संवाद सूत्र: कस्बे में बीते 25 जुलाई को हुए बलवा व पुलिस फायरिंग के बाद चौथे दिन मं

By Edited By: Publish:Tue, 28 Jul 2015 09:18 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2015 09:18 PM (IST)
चौथे दिन भी दहशत में रहा बिंवार

बिंवार,(हमीरपुर) संवाद सूत्र: कस्बे में बीते 25 जुलाई को हुए बलवा व पुलिस फायरिंग के बाद चौथे दिन मंगलवार को भी बाजार पूरी तरह बंद रहा। पुलिस के जवान चाय-गुटखा के लिए तरस गए। मामले की गंभीरता को भांपते हुए डीआईजी ज्ञानेश्वर तिवारी, जिलाधिकारी संध्या तिवारी व नए तैनात हुए पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने कस्बे के लोगों को सिंचाई विभाग के डाक बंगले में वार्ता के लिए बुलाया।

सुबह से ही लेखपाल व पुलिस कर्मी कस्बे में माईक से अधिकारियों के साथ वार्ता के लिए एनाउंस करते नजर आए। लेकिन बीते दिनों हुई घटना से आक्रोशित ग्रामीण मुश्किल से 25-30 की संख्या में वार्ता की लिए पहुंचे। डीआईजी डीपी तिवारी ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि गांववासी पुलिस से भयभीत न हों। अपनी दिनचर्या में वापस लौटे। डीआईजी ने एक सवाल के जवाब में लोगों को अश्वासन दिया कि किसी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा। वीडीओ ग्राफी से फुटेज देखकर उसी पर कार्रवाई होगी, जो हंगामा कर रहा था। वहां पर मौजूद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता युगराज सिंह भदौरिया ने निर्दोष ग्रामीणों पर लगाए गए सारे मुकदमा वापस लेने के लिए कहा। जिसपर सभी मौजूद लोगों ने सहमति व्यक्त की। इसी के साथ शोर-शराबा होने लगा। भदौरिया ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आठ-नौ सौ अज्ञात लोगों के ऊपर जो मुकदमा लगाया है तथा 34 नामजद जिनमें से 17 गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इससे पूरा कस्बा प्रभावित होगा। पुलिस के लिए धन उगाही का रास्ता खुल जाएगा। पुलिस किसी को भी पकड़कर सूची से हटाने के नाम पर उगाही करेगी। भदौरिया की बात का जवाब देते हुए एसपी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि मैं यहां पर नया आया हूं। मेरा किसी से कोई परिचय नहीं है। अपनी निगरानी में पूरी तरह निष्पक्ष जांच कराऊंगा। लेकिन ग्रामीण किसी भी अधिकारी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे। सभी लोगों ने शोर मचाते हुए मामले को स्पंज करने के लिए कहा। मीटिंग के दौरान क्षेत्रीय विधायक गयादीन अनुरागी भी मौजूद रहे। उन्होंने भी ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया। वार्ता में कस्बे का एक विकलांग युवक सुरेश कुमार तिवारी पुत्र कालका प्रसाद भी पहुंच गया। उसने अधिकारियों से कहा कि साहब मैं अपना शरीर संभाल नहीं सकता। तो पत्थर क्या चलाऊंगा। युवक का एक पैर कटा देख अधिकारियों की आखे झुक गई। सूची से उसका नाम हटाने का अश्वासन दे दिया। इस पर सभी गांववासियों ने शोर मचाते हुए कहा कि ऐसे ही सारे निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया है व सूची में डाला गया है। तभी मौके की नजाकत भांपते हुए सभी अधिकारी निकल लिए। अधिकारियों के जाते ही वहीं मौजूद महिलाएं उग्र हो गई तथा विधायक गयादीन अनुरागी व पहुंचे ग्रामीणों से नोक झोक करते हुए कहने लगीं कि अगर आप लोगों से कुछ नहीं होता तो हमें आंदोलन के लिए आगे आना होगा। जिसके बाद महिलाएं कस्बे से और महिलाओं को लेकर थाना जा पहुंची। न्याय न मिलने की स्थिति पर आंदोलन की चेतावनी दी।

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