देह व्‍यापार के दलदल में फंसी एक हजार महिलाओं को ऐसे मिली नई जिंदगी, लोगों के लिए बन गए मिशाल

गोरखपुर के अरुणेंद्र कुमार पांडेय ने गोवा में देह व्‍यापार में फंसी महिलाओं को नई जिंदगी दी है। उन्हें एशिया का इंटरनेशनल कंस्सोरटियम फार सोशल डेवलपमेंट- एशिया पैसिफिक प्रेसीडेंसियल एवार्ड-2021 प्रदान प्रदान किया गया है। अरुणेंद्र ने अपनी पूरी जिंदगी ऐसी महिलाओं के पुनर्वास के लिए समर्पित कर दी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 08:05 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 08:05 AM (IST)
देह व्‍यापार के दलदल में फंसी एक हजार महिलाओं को ऐसे मिली नई जिंदगी, लोगों के लिए बन गए मिशाल
गोरखपुर के अरुणेंद्र पांडेय ने देह व्‍यापार में फंसी कई महिलाओं को नया जीवन दिया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। गोरखपुर के अरुणेंद्र कुमार पांडेय ने गोवा में देह व्‍यापार में फंसी महिलाओं को नई जिंदगी दी है। उन्हें एशिया का इंटरनेशनल कंस्सोरटियम फार सोशल डेवलपमेंट- एशिया पैसिफिक (आइसीएसडीएपी) प्रेसीडेंसियल एवार्ड-2021 प्रदान प्रदान किया गया है। यह संस्था मानव सेवा व सामाजिक विकास के लिए कार्य करती है। अरुणेंद्र ने अपनी पूरी जिंदगी ऐसी महिलाओं के पुनर्वास के लिए समर्पित कर दी है। इस कार्य में कोई बाधा न आए, इसलिए उन्होंने विवाह भी नहीं किया है।

गोरखपुर के अरुणेंद्र कुमार पांडेय को गोवा में उनके कर्म ने एक अलग पहचान दिलाई है। भूतपूर्व स्क्वाड्रन लीडर सत्यदेव पांडेय के पुत्र अरुणेंद्र कुमार पांडेय ने देह व्‍यापार के दलदल में धकेल दी जाने वाली लड़कियों को न सिर्फ उस दलदल से बाहर निकाला बल्कि उनके पुनर्वास व आजीविका की व्यवस्था भी की है। ऐसी दस लड़कियों पर जो देह व्‍यापार में धकेल दी गई थीं और अब अरुणेंद्र के प्रयासों से बाहर आकर अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर रही हैं। सलिल चतुर्वेदी ने किताब 'ब्यूटीफुल वीमेन' लिखी है। इस पुस्तक में लड़कियों के देह व्‍यापार में धकेले जाने और वहां से बाहर निकलने की पूरी दास्तां है।

अरुणेंद्र के प्रयास से लगभग एक हजार लड़कियां व महिलाएं खुले वातावरण में सांस ले रही हैं। उन्होंने एक संस्था 'अन्याय रहित जिंदगी' का गठन किया। जिसके जरिए पुलिस की मदद से देह व्‍यापार के दलदल में फंसी लड़कियों, महिलाओं को मुक्त कराना शुरू किया। साथ ही ट्रैफ‍िकिंग पर नजर रखनी शुरू की। बहुत सारी लड़कियों को पूर्वोत्तर भारत, नेपाल, दार्जिलिंग व पश्चिम बंगाल से दलाल बेचने के लिए लाते हैं, उन्हें पुलिस की मदद से यह संस्था रास्ते में ही पकड़कर मुक्त करा लेती है।

पुनर्वास की व्यवस्था की

महिलाओं के पुनर्वास की समस्या उठी तो उन्होंने वहां एक मशीनयुक्त लांड्री खोल दी जिसमें लगभग साठ से अधिक महिलाएं एक साथ कार्य करती हैं। यहां छह सौ महिलाएं कार्य करके दूसरी जगहों पर कार्य करने के लिए जा चुकी हैं। अरुणेंद्र ने ऐसी महिलाओं के पुनर्वास की योजना 'प्रभात' बनाई है जिसे गोवा सरकार ने अपने यहां लागू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस योजना को स्वीकार कर लिया और सभी राज्यों को इसे देखने और लागू करने पर विचार करने को कहा है।

आईं अनेक कठिनाइयां

अरुणेंद्र का यह कार्य लड़कियों की तस्करी करने वाले माफियाओं को रास नहीं आया। उन्होंने उनके खिलाफ बिगुल फूंक दिया। कदम-कदम पर अवरोध उत्पन्न करने की कोशिश की। जान से मारने की धमकी दी। लेकिन अरुणेंद्र ने कभी इसकी परवाह नहीं की।

पुरस्कार

गृह मंत्रालय ने 2012 में उनकी संस्था को उत्कृष्ट स्वयंसेवी संस्था का पुरस्कार प्रदान किया था। 2015 में राष्ट्रपति ने उन्हें स्त्री शक्ति पुरस्कार- 2014 से सम्मानित किया। इसके अलावा गोवा के राज्यपाल ने गाडफ्रे एवार्ड से सम्मानित किया है।

परिचय

नाम- अरुणेंद्र कुमार पांडेय

पिता- स्क्वाड्रन लीडर सत्यदेव पांडेय

मूल निवासी- ग्राम हफुआ, तमकुहीराज, कुशीनगर

वर्तमान पता- सिक्टौर, गोरखपुर

शिक्षा- टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज मुंबई से मास्टर एंड सोशल वर्क में स्नातक

अनुभव-महिला आयोग के निर्देश पर पूरे भारत में महिलाओं की स्थिति का अध्ययन

कार्य क्षेत्र- गोवा।

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