Ayodhya Verdict :बुद्धिजीवियों ने कहा-सभी वर्गों का सम्‍मान करने वाला फैसला Gorakhpur News

जागरण से बातचीत में बुद्धिजीवियों ने इस फैसले को सभी वर्गों की भावनाओं का सम्मान करने वाला बताते हुए कहा कि इसे सभी को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 09 Nov 2019 07:25 PM (IST) Updated:Sat, 09 Nov 2019 07:25 PM (IST)
Ayodhya Verdict :बुद्धिजीवियों ने कहा-सभी वर्गों का सम्‍मान करने वाला फैसला Gorakhpur News
Ayodhya Verdict :बुद्धिजीवियों ने कहा-सभी वर्गों का सम्‍मान करने वाला फैसला Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक होने के साथ-साथ विधिसम्मत है। राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर लिए गए इस फैसले से न सिर्फ देश में शांति व सौहार्द का वातावरण कायम होगा बल्कि लंबे समय से चल रहे एक विवाद पर भी विराम लगेगा। जागरण से बातचीत में बुद्धिजीवियों ने इस फैसले को सभी वर्गों की भावनाओं का सम्मान करने वाला बताते हुए कहा कि इसे सभी को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।

बहुत अच्‍छा फैसला

साहित्यक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो.विश्वनाथ तिवारी का कहना है कि मेरी दृष्टि में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला बहुत ही अच्छा आया है। यह फैसला काफी शोधपूर्ण और तर्कपूर्ण है। इसमें केवल आस्था का लिहाज नहीं किया गया है बल्कि देशहित में और न्यायहित में फैसला लिया गया है। मैं यही चाहूंगा कि अब इस अंतिम फैसले को सारा देश और सभी पक्ष सहर्ष स्वीकार करे।

विधि सम्‍मत निर्णय

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कृष्ण सिंह का कहना है कि न्यायालय ने सबका ध्यान रखते हुए एक विधिसम्मत निर्णय सुनाया है। इसमें किसी की भी भावनाओं को आहत नहीं किया गया है। फैसला पुरातत्व विभाग के साक्ष्यों पर आधारित फैसला है, जिसका सभी वर्गों को स्वागत करना चाहिए। राष्ट्र सबसे ऊपर है। इसको ध्यान में रखकर गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा देना चाहिए। हमें उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हमारे देश में हमेशा से भाईचारा रहा है आगे भी रहेगा।

यह निर्णय सभी के मानने योग्‍य

डीडीयू के प्रति कुलपति प्रो.हरी शरण का कहना है कि यह एक राष्ट्रीय व संवेदनशील मुद्दा था। काफी समय से लोग इस निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सबसे ऊपर है। इसे सभी को मानना चाहिए। इससे निश्चित रूप से एक शांति एवं सौहार्द का वातावरण देश में कायम होगा। आम जनता को राजनीति से कोई खास लेना-देना नहीं है। इस निर्णय को सभी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया है।

यह निर्णय वैद्यानिक, संवैधानिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक

डीडीयू के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय वैद्यानिक, संवैधानिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक है। इस फैसले के बाद पांच शताब्दियों से लंबित समस्या का पटाक्षेप हो गया। पंच परमेश्वर ने यह बात प्रमाणित कर दी कि अयोध्या राम जन्मभूमि है। वस्तुत: अयुद्ध भूमि है, जिसके कारण इसे अयोध्या कहा जाता है। यहां किसी भी प्रकार के युद्ध अथवा युद्ध सदृश्य स्थिति के लिए कोई स्थान नहीं है। एक ऐतिहासिक भूल का यह निर्णय न्यायसंगत निदान है, जो इस बात का द्योतक है कि सामाजिक समरसता और धार्मिक के आस्था के साथ प्रगति पथ पर तेजी से चला जा सकता है। राजनीति व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया के लिए संदेश है कि किसी भी विवाद को यदि दायित्व मिला है तो उसका समाधान होना चाहिए। आने वाली पीढिय़ों पर समस्या को नहीं छोडऩा चाहिए। यह निर्णय किसी की हार व जीत नहीं है।

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