विद्यार्थियों को नहीं भाए गोरखपुर विश्वविद्यालय के कई नए पाठ्यक्रम

विश्वविद्यालय की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार नए शुरू हुए पाठ्यक्रम मास्टर आफ फूड टेक्नोलाजी की स्थिति यह है कि 22 में से 17 सीटें खाली रह गई हैं। मास्टर आफ बायो इन्फार्मेटिक पाठ्यक्रम में तो केवल पांच प्रवेश ही हो सका है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 04:29 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 05:38 PM (IST)
विद्यार्थियों को नहीं भाए गोरखपुर विश्वविद्यालय के कई नए पाठ्यक्रम
विद्यार्थियों को नहीं भाए गोरखपुर विश्वविद्यालय के कई नए पाठ्यक्रम। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। जिस दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए लंबी जिद्दोजहद करनी पड़ती थी, उस विश्वविद्यालय में आज कई विभाग अपने पाठ्यक्रमों की सीटें तक नहीं भर पा रहे। स्थिति यह है कि कई विभागों की आधी से अधिक सीटें भी नहीं भर सकी हैं। इनमें बहुत से वह स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रम भी शामिल हैं, जिनकी शुरुआत इसी सत्र से हुई है और जिसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तमाम दावे किए थे।

इस पाठ्यक्रम में खाली है इतनी सीट

विश्वविद्यालय की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार नए शुरू हुए पाठ्यक्रम मास्टर आफ फूड टेक्नोलाजी की स्थिति यह है कि 22 में से 17 सीटें खाली रह गई हैं। मास्टर आफ बायो इन्फार्मेटिक पाठ्यक्रम में तो केवल पांच प्रवेश ही हो सका है। इसमें निर्धारित 18 में से 13 सीटें खाली हैं। मास्टर आफ सतत व प्रसार शिक्षा पाठ्यक्रम की स्थिति तो और भी खराब है, इसकी 62 सीटों में से 57 सीटें खाली हैं। मास्टर आफ क्लाथ एंड टेक्सटाइल्स टेक्नोलाजी पाठ्यक्रम को तो विद्यार्थियों ने पूरी तरह नकार दिया है। इसमें महज छह प्रवेश ही हो सके हैं, 18 सीटें खाली रह गई हैं। एमए शारीरिक शिक्षा की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। इसमें 36 के मुकाबले केवल 27 प्रवेश ही हो सके हैं। बैचलर आफ होटल मैनेजमेंट पाठ्यक्रम की लोकप्रियता को लेकर भी विश्वविद्यालय प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए हैं। इसकी भी करीब आधी सीटें नहीं भर सकी हैं। बीटेक पाठ्यक्रम की 20 सीटें विश्वविद्यालय अभी भी नहीं भर सका है। पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट की करीब एक तिहाई सीटें खाली रह गई हैं।

कुछ परंपरागत पाठ्यक्रमों को भी विद्यार्थियों ने नकारा

परास्नातक के कई परंपरागत पाठ्यक्रमों को भी विद्यार्थियों ने इस बार नकार दिया है। संस्कृत, अर्थशास्त्र, रक्षा अध्ययन, मंच कला के परंपरागत पाठ्यक्रमों की आधी से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। एमए संस्कृत में 150 में से 124 तो दर्शनशास्त्र में एमए उर्दू में 150 में से 105 सीटें खाली रह गई हैं। सबसे खराब स्थिति एमए दर्शनशास्त्र विषय की है, इसकी 74 में 65 सीटों पर प्रवेश नहीं हो सका है।

बीएससी एजी की सभी सीटें हुईं फुल

नए पाठ्यक्रमों में बीएससी एजी ही ऐसा पाठ्यक्रम है, जिसमें प्रवेश को लेकर विद्यार्थियों ने सर्वाधिक उत्सुकता दिखाई है। इस पाठ्यक्रम की सभी 150 सीटें भर चुकी हैं। इसकी वजह से बहुत से विद्यार्थियों का चाहकर भी प्रवेश नहीं हो सका है।

पाठ्यक्रमवार आवंटन के मुकाबले खाली सीटों की स्थिति

बीजे - 17 (62), बीटेक- 22 (240), बैचलर आफ होटल मैनेजमेंट- 11 (24), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट- 27 (62), एमए अर्थशास्त्र- 85 (150), एमए संस्कृत- 124 (150), एमए दर्शनशास्त्र- 65 (74), एमए उर्दू 105(150), एमए/एमएससी रक्षा अध्ययन- 34 (62), एमए मंच कला- 32 (36), मास्टर आफ क्लाथ एंड टेक्सटाइल्स- 18 (24), एमए शारीरिक शिक्षा- 27 (36), मास्टर आफ फूड टेक्नोलाजी- 17 (22), मास्टर आफ बायो इन्फार्मेटिक- 13 (18), मास्टर आफ सतत व प्रसार शिक्षा- 57 (62)।

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