गोरखपुर में साढ़े चार सौ पेड़ों के कत्ल का जिम्मेदार कौन? Gorakhpur News

ठीकेदार ने नौ फरवरी की रात से ही दशवतपुर के पास पेड़ों की कटान शुरू करा दी। यह सिलसिला 10 फरवरी की रात तक चलता रहा और तीन किलोमीटर के बीच स्थित हरे पेड़ काट दिए गए।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Thu, 13 Feb 2020 09:55 AM (IST) Updated:Thu, 13 Feb 2020 12:04 PM (IST)
गोरखपुर में साढ़े चार सौ पेड़ों के कत्ल का जिम्मेदार कौन? Gorakhpur News
गोरखपुर में साढ़े चार सौ पेड़ों के कत्ल का जिम्मेदार कौन? Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। खजनी और उरुवा को जोडऩे वाली सड़क पर दशवतपुर पुल और मरचा-मरची गांव के बीच सड़क के दोनों तरफ लगे पेड़ सरेआम कटते रहे। दो दिन में 220 पेड़ शीशम सहित साढ़े चार सौ से अधिक पेड़ कट गए और लकडिय़ां इलाके की कुछ आरा मशीनों पर पहुंचा दी गईं। सड़क को चौड़ा करने की योजना की आड़ में अवैध रूप से इन पेड़ों को काटने की साजिश के पीछे वन विभाग, पुलिस और पीडब्लूडी की भूमिका सवालों के घेरे में है। मंडलायुक्त के निर्देश पर शुरू हुई जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा कि साढ़े चार सौ हरे पेड़ों के कत्ल का जिम्मेदार आखिर कौन है?

नौ फरवरी की रात से ही शुरू हो गई थी कटान 

दशवतपुर और उरुवा के बीच स्थित सात किलोमीटर लंबी एक लेन की सड़क को 15 करोड़ की लागत से चौड़ा कर दो लेन बनाया जाना है। सड़क के दोनों तरफ बड़ी संख्या में पेड़ लगे हैं। सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों को काटा जाना है। निर्धारित प्रक्रिया के तहत अनुमति लेकर ही पेड़ों की कटान की जा सकती है। आरोप है कि इस प्रक्रिया को पूरी किए बिना ही ठीकेदार ने नौ फरवरी की रात से ही दशवतपुर के पास पेड़ों की कटान शुरू करा दी। यह सिलसिला 10 फरवरी की रात तक चलता रहा और तीन किलोमीटर के बीच स्थित हरे पेड़ काट दिए गए।

ग्रामीणों को आगे कर शुरू कराई गई कटान

अवैध रूप से पेड़ों की कटान करने के लिए साजिश के तहत पहले ग्रामीणों को आगे किया गया। सरकारी महकमों के कुछ लोगों और ठीकेदार के आदमियों के उकसावे में आकर कुछ ग्रामीण, सड़क के दोनों तरफ पतले पेड़ काट कर उठा ले गए। चश्मदीदों के मुताबिक बाद में मजदूरों को लगाकर चार साल से लेकर 25 साल तक के पुराने पेड़ों को भी कटवा दिया गया। इतना नहीं एक तरफ पेड़ कट रहे थे, दूसरी तरफ कुछ मजदूर उनका बोटा बना रहे थे। 

इलाके की आरा मशीनों पर पहुंचाई गई लकड़ी  

पेड़ों की कटान की गवाह मरचा और मरची गांव की दो महिलाएं तथा एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरेआम पेड़ काटे जा रहे थे। सब कुछ वन विभाग, पुलिस और पीडब्लूडी महकमे के लोगों की जानकारी में हो रहा था। उनके इशारे पर बड़ी संख्या में ग्रामीण पतले पेड़ काटकर अपने घर उठा ले गए जबकि मोटे पेड़ों को जिम्मेदार लोगों ने अपनी मौजूदगी में कटवा कर आसपास की आरा मशीनों पर पहुंचा दिया।

लकड़ी हटवाते पकड़ा गया मेठ  

साढ़े चार सौ पेड़ों की कटान होने की दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद मंडलायुक्त के निर्देश पर वन विभाग की टीम मौके पर जांच करने पहुंची। बताते हैं कि इस दौरान पीडब्लूडी का एक मेठ एक स्थान पर खुद मौजूद रहकर काटे गए पेड़ों का बोटा बनवाते और पिकप पर लदवा कर लकडिय़ां हटवाते पकड़ा गया। वन विभाग की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। 

जांच पूरी न होने तक मंडलायुक्त ने रुकवाया सड़क का निर्माण

जिन स्थानों पर पेड़ काटकर सड़क की पटरियां खाली कर दी गई हैं, उन स्थानों पर सड़क ठीकेदार ने निर्माण के लिए गड््ढे खोदवा कर गिट्टी गिरवाना शुरू कर दिया था। अवैध रूप से पेड़ों की कटान की बात सामने आने के बाद मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर ने सड़क का निर्माण कार्य रुकवा दिया है। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही दोबारा निर्माण कार्य शुरू होगा। 

थानेदार ने कहा, आप भी कटवा लो एक पेड़

अवैध रूप से हो रही पेड़ों की कटान इलाके के एक पर्यावरण प्रेमी से देखी नहीं गई। उन्होंने थानेदार से शिकायत कर कटान रुकवाने का अनुरोध किया। बताते हैं कि इस पर कटान रुकवाने की बजाय थानेदार ने उनको भी एक पेड़ कटवाकर घर ले जाने की सलाह दे डाली। 

गिनिज बुक में प्रदेश का नाम दर्ज कराने की मंशा पर चलाई कुल्हाड़ी 

जिम्मेदारों ने साढ़े चार सौ पेड़ ही नहीं कटवाए हैं, बल्कि गिनिज बुक रिकार्ड में प्रदेश का नाम दर्ज कराने की मुख्यमंत्री की मंशा भी कुल्हाड़ी चला दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पौधरोपण के मामले में गिनीज बुक में प्रदेश का नाम दर्ज कराने का शासन स्तर से अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत पिछले साल भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर नौ अगस्त को प्रदेशभर में 22 करोड़ पौधरोपण किया गया था। इस दिन गोरखपुर जिले में भी 45.44 लाख पौधे लगाए गए थे। एक तरफ पौधरोपण कर गिनीज बुक रिकार्ड में प्रदेश का नाम दर्ज कराने की शासन स्तर से कोशिश की जा रही है, तो दूसरी तरफ सरकारी तंत्र के जिम्मेदार लोगों ने ही साढ़े चार सौ पेड़ों को कटवा डाले।

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