आडिट में फंसे 28 गांव के प्रधान व सचिव, खर्च किए धन का बिल बाउचर ही नहीं Gorakhpur News

संबंधित को दो नोटिस दी गई है। अगर शीघ्र ही पूरी पत्रावली जिला लेखापरीक्षा अधिकारी के समक्ष नहीं उपलब्ध कराई तो संबंधित के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Tue, 29 Oct 2019 08:29 PM (IST) Updated:Wed, 30 Oct 2019 08:00 AM (IST)
आडिट में फंसे 28 गांव के प्रधान व सचिव, खर्च किए धन का बिल बाउचर ही नहीं   Gorakhpur News
आडिट में फंसे 28 गांव के प्रधान व सचिव, खर्च किए धन का बिल बाउचर ही नहीं Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। महराजगंज जिले में वर्ष 2011-12 में ग्राम पंचायतों में कराए गए विकास कार्यों की हुई आडिट में 28 गांव के तत्कालीन प्रधान व सचिव लपेटे में आ गए हैं। यह अब उनके गले की फांस बन सकती है। क्योंकि आडिट आपत्ति के बाद भी अभी तक संबंधित गांव के प्रधान और सचिव उसके निस्तारण में रुचि नहीं लिए। फिलहाल जिला पंचायत राज विभाग अब उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की मूड में है। 

यहां हुए हैं बेहिसाब खर्च

दरअलस जिले के 929 ग्राम पंचायतों में राज्य वित्त आयोग और 13 वां राज्य वित्त आयोग की मद से विकास के लिए धन खर्च किए जाते हैं। कार्यों की पारदर्शिता और गोलमाल की जांच के लिए सोशल आडिट की व्यवस्था है। लेकिन वर्ष 2011-12 में परतावल के 13 गांव, नौतनवा के सात, फरेंदा के छह,  बृजमनगंज और सदर के एक-एक गांव द्वारा अभिलेख ही नहीं प्रस्तुत किए गए।  हैरत के बात यह भी कि इन ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर लाखों रुपये तो खर्च कर दिए गए है, लेकिन उसका बिल बाउचर इन ग्राम पंचायतों में नहीं है।

इन गांवों का नहीं मिल रहा हिसाब

वर्ष 2011-12 के परतावल विकास खंड के धर्मपुर, अमवा, पकड़ी दीक्षित, छपिया, बड़हरा बरईपार, धरमौली, महम्मदा, कोटवा, पिपरालाला, कुडवा उर्फ मुडकटिया, कम्हरिया खुर्द, बेलवा बुजुर्ग, बसहिया खुर्द, नौतनवा विकास खंड के हनुमागढिय़ा, धौरहररा, जगरन्नाथपुर, रामनगर, बरनहवा, त्रिलोकपुर, मनिकापुर, फरेंदा के निरनाम पूर्व, अल्हदिया महदेवा, फरेंदा बुजुर्ग, परसामहंथ, उदिपुर, महदेवा बुजुर्ग, बृजमनगंज विकास खंड के महुआरी, सदर विकास खंड के सवना की आडिट नहीं हो पा रही है, जिसके कारण इसका हिसाब नहीं मिल पा रहा है।

दी जा चुकी है नोटिस, अब होगी कार्रवाई

इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी कृष्‍ण बहादुर वर्मा का कहना है कि तत्कालीन ग्राम प्रधान और सचिवों द्वारा आडिट आपत्ति के बाद भी उसके निस्तारण में शिथिलता बरती जा रही है। इससे संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। संबंधित को दो नोटिस दी गई है। अगर शीघ्र ही पूरी पत्रावली जिला लेखापरीक्षा अधिकारी के समक्ष नहीं उपलब्ध कराई तो संबंधित के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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