LokSabha Elections 2019 : पूर्वांचल की इन सीटों पर धड़कन बढ़ा रही हैं पार्टियां

गोरखपुर-बस्ती मंडल का सियासी माहौल उलझा हुआ है। पहले चरण के मतदान में महज तीन दिन रह गए हैं लेकिन इन दोनों मंडलों की कई सीटों पर प्रमुख दल अपने प्रत्याशी तय नहीं कर सके हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 09 Apr 2019 12:02 PM (IST) Updated:Wed, 10 Apr 2019 09:21 AM (IST)
LokSabha Elections 2019 : पूर्वांचल की इन सीटों पर धड़कन बढ़ा रही हैं पार्टियां
LokSabha Elections 2019 : पूर्वांचल की इन सीटों पर धड़कन बढ़ा रही हैं पार्टियां

गोरखपुर, जेएनएन। असमंजस है तो कहीं ऊहापोह। कुछ जगह तो दूसरे की चाल का इंतजार है। सत्ता से दूर जा चुकी कांग्रेस के लिए इसे स्वभाविक माना जा सकता है लेकिन केंद्र से लेकर प्रदेश तक में प्रचंड बहुमत से सियासी झंडा गाडऩे वाली भाजपा की भी कमोवेश हाल जुदा नहीं  दिख रही है। सपा-बसपा ऐतिहासिक गठबंधन भी शायद इसी ताक में है कि सामने वाला महारथी मैदान में आ जाए तो वह अपने पत्ते खोले। कुल मिलाकर गोरखपुर-बस्ती मंडल का सियासी माहौल उलझा हुआ है। चुनाव में पहले चरण के मतदान में महज तीन दिन रह गए हैं लेकिन इन दोनों मंडलों की कई सीटों पर प्रमुख दल अपने प्रत्याशी तय नहीं कर सके हैं।

गोरखपुर, देवरिया और संतकबीर नगर में भाजपा का असंमजस

जिन तीन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी अभी नहीं तय हो सके हैं, उनमें प्रतिष्ठित संसदीय सीट गोरखपुर भी शामिल है। पहले अमरेंद्र निषाद और फिर उपचुनाव में उपेंद्र दत्त शुक्ल को हराने वाले सांसद प्रवीण निषाद को पार्टी में शामिल करके निषाद कार्ड खेलने की शीर्ष नेतृत्व ने अपनी मंशा तो जाहिर कर दी पर इसे लेकर अभी तक  निर्णय नहीं लिया जा सका है। पार्टी नेतृत्व को कार्यकर्ताओं की भी चिंता भी बनी हुई है। अप्रत्याशित प्रत्याशी को कार्यकर्ता आत्मसात कर सके, इसके लिए भी मंथन चल रहा है। बैठकों में सिंबल को प्रत्याशी बताने की कार्यकर्ताओंं को दी जाने वाली नसीहत इस मंथन की बानगी है। संतकबीर नगर में जूता प्रकरण के बाद बदले सियासी परिदृश्य में प्रत्याशी को लेकर असमंजस बना हुआ है। इस प्रकरण में शामिल दोनों में से किसी एक पक्ष के प्रत्याशी पर टिकट की मुहर लगते ही, कहीं दूसरा पक्ष बगावती न हो जाए, यह नेतृत्व को चिंता है। देवरिया संसदीय सीट पर प्रत्याशी चयन भाजपा नेतृत्व के लिए चुनौती बना हुआ है। निवर्तमान सांसद कलराज मिश्र के मैदान से बाहर होने के बाद यहां टिकट के लिए दावेदारों की भरमार है।

कुशीनगर में गठबंधन का असमंजस तो महराजगंज में तलाश

बसपा से गठबंधन के बाद सपा के हिस्से में इन दोनों मंडलों में तीन सीटें ही आईं है। कुशीनगर, गोरखपुर और महराजगंज। कुशीनगर में सपा ने एनपी कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। गोरखपुर संसदीय सीट पर सपा सांसद प्रवीण निषाद के भाजपा में चले जाने के बाद पार्टी ने निषाद कार्ड खेलने में जरा भी देरी नहीं की और रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया है। महराजगंज सीट को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं हो सकी है।

कांग्रेस को नहीं मिल रहे जिताऊ प्रत्याशी

कांग्रेस ने कुशीनगर से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को, देवरिया से नियाज अहमद, बांसगांव से पूर्व पुलिस अधिकारी कुश सौरभ, संतकबीर नगर से परवेज आलम व महराजगंज से पूर्व सांसद हर्षवर्धन की पुत्री पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत को प्रत्याशी बनाया है। बावजूद इसके चार सीटों गोरखपुर, बस्ती, डुमरियागंज और सलेमपुर के लिए अभी प्रत्याशी तय नहीं हो सके हैं।

बसपा में प्रत्याशी की जगह प्रभारी संभाल रहे कमान

नौ में से छह सीटें गठबंधन के बाद बसपा के हिस्से में हैं लेकिन अभी तक किसी पर प्रत्याशी के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं हो सकी है। पार्टी के लोकसभा प्रभारी बतौर प्रत्याशी चुनाव प्रचार शुरू कर चुके हैं। हालांकि बसपा की यह परिपाटी रही है कि लोकसभा प्रभारी ही आगे चलकर प्रत्याशी के रूप में सामने आए हैं। वैसे इक्का-दुक्का मामलों में इनमें बदलाव भी देखा गया है।

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