Coronavirus Lockdown Day 15 : विदेश से आए 523 लोग होम क्वारंटाइन से मुक्त Gorakhpur News
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि अब विदेश से आए सभी लोगों को होम क्वारंटाइन में रखा गया था। किसी में भी कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं मिले।
गोरखपुर, जेएनएन। विदेश से आए लोगों में कोरोना संक्रमण की आशंका खत्म हो गई है। कुल 523 लोग विदेश से जिले में आए थे, ये सभी लोग क्वारंटाइन से बाहर आ गए है। किसी को कोई परेशानी नहीं हुई और न ही कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर आए।
किसी में नहीं मिले कोरोना संक्रमण के लक्षण
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि अब विदेश से आए सभी लोगों को होम क्वारंटाइन में रखा गया था। किसी में भी कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं मिले। अब उन्हें होम क्वारंटाइन से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन लॉकडाउन का पालन करने को कहा गया है।
चीन से आए दो लोगों में भी कोरोना के संक्रमण नहीं
देश में कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में करीब दो माह पहले चीन के वुहान से आए दो लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे लेकिन वे निगेटिव आए थे। करीब 18 दिन पूर्व चीन से लौटे चौरीचौरा के एक युवक को गले में खराश होने की वजह से मंगलवार को टीबी अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया था, उसका सैंपल भी जांच के लिए भेजा गया जो निगेटिव आया है।
दोबारा जांच में भी कोई लक्षण नहीं
जो लोग भी विदेश से आए, उनकी स्क्रीनिंग दिल्ली, मुंबई व कोलकाता के एयरपोर्ट पर हो चुकी थी। गोरखपुर एयरपोर्ट पर भी उनकी दोबारा जांच की गई थी लेकिन संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए थे। एहतियात के तौर उन्हें होम क्वारंटाइन किया गया था।
टीबी अस्पताल के क्वारंटाइन वार्ड में तैनात होंगे आयुष डॉक्टर
टीबी अस्पताल नंदानगर में 90 बेड का क्वारंटाइन वार्ड बनाया गया है। यहां तीन आयुष डॉक्टर तैनात किए जाएंगे, उनकी ट्रेनिंग हो चुकी है। बाद में जरूरत पडऩे पर इनकी संख्या बढ़ाकर छह कर दी जाएगी। वहां पूर्व से तैनात चार एमबीबीएस डॉक्टरों को आइसोलेशन वार्डों में तैनात किया जाएगा।
नए निर्देश के तहत हो रही तैनाती
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि शासन से नया निर्देश आया है। टीबी अस्पताल में ऐसे लोगों को क्वारंटाइन किया जाता है जिन्हें हल्का बुखार या खांसी होती है। ऐसे लोगों की देखभाल अब आयुष डॉक्टर करेंगे। जरूरत पडऩे पर उन्हें पैरासिटामाल या अन्य दवाइयां दे देंगे। जब उनकी तबीयत ज्यादा खराब होगी तो उन्हें सीएचसी चरगांवा या जिला अस्पताल के कोरोना वार्डों में ले जाया जाएगा। इसलिए वहां एमबीबीएस डॉक्टरों की तैनाती जरूरी है।