भारत के खेतों को बंजर बना रहीं नेपाली नद‍ियां, कम हो रही खेतों की उर्वरा शक्ति

इस समय नेपाल के भैरहवा शहर के अधिकांश नाले डंडा नदी में ही गिर रहे हैं। सीमा पर भी पानी के नियंत्रण या उसकी निगरानी की कोई व्यवस्था न होने से यह पानी सीधे महराजगंज के ग्रामीण क्षेत्रों व सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग से होते हुए आगे बढ़ रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 12:36 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 12:36 PM (IST)
भारत के खेतों को बंजर बना रहीं नेपाली नद‍ियां, कम हो रही खेतों की उर्वरा शक्ति
नेपाल की नद‍ियों का गंदा पानी भारत के खेतों के ल‍िए जहर का काम कर रहा है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

महराजगंज, विश्वदीपक त्रिपाठी। तराई क्षेत्र में कभी समृद्धि का वाहक रहा नेपाल के नदियों का पानी अब यहां के किसानों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। नदियों में आने वाला प्रदूषित जल व रेत यहां की भूमि के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। नेपाल के शहरी क्षेत्र से गिरने वाले नाले व फैक्ट्रियों का प्रदूषित जल बिना शोधन के ही सीधे नदी में आ रहा है। जिससे जलीय जीव जन्तुओं पर तो प्रभाव पड़ ही रहा है। नदी तट के समीप बसे गांव के लोग भी प्रभावित हैं।

इस समय नेपाल के भैरहवा शहर के अधिकांश नाले डंडा नदी में ही गिर रहे हैं। सीमा पर भी पानी के नियंत्रण या उसकी निगरानी की कोई व्यवस्था न होने से यह पानी सीधे महराजगंज के ग्रामीण क्षेत्रों व सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग से होते हुए आगे बढ़ रहा है। डंडा नदी सोनौली कोतवाली के घनवरिया गांव के पास से भारतीय सीमा में प्रवेश करती है। रोहिन नदी श्यामकाट गांव के पास से भारतीय सीमा में आती है। जबकि चंदन व झरही ठूठीबारी गांव के पास भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है।

डंडा नदी के किनारे फेंका जाता है नेपाल का कचरा

भैरहवा के समीप पूरे क्षेत्र का कूड़ा कचरा नदी के किनारे ही फेंका जाता है। ऐसे में हल्की बारिश में ही यह कूड़ा नदी से होते हुए भारतीय क्षेत्र में आ जाता है। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने नेपाल प्रशासन को कूड़ा डंङ्क्षपग ग्राउंड को अन्यत्र स्थापित करने की मांग भी की, लेकिन अभी यह समस्या यथावत बनी हुई है।

ऊसर में तब्दील हो गए चार सौ एकड़ खेत

नेपाल से निकलकर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाला महाव नाला महराजगंज की त्रासदी बन चुका है। सरकारी अभिलेखों में नाले के रूप में दर्ज महाव हर वर्ष चार से पांच बार टूटकर इस क्षेत्र में कहर बरपाता है। पानी के साथ आने वाली रेत से यहां के खेतों में हर साल मोटी परत जमती जा रही है, लेकिन इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सका है। विशुनपुरा, दोगहरा, तरैनी, घोड़हवा, लुठहवा, खैरहवा दुबे आदि गांवों के किसानों के खेत इस समय फसल बोने योग्य नहीं रह गए हैं।

कचरे के ऊपर मिट्टी डालने के लिए टेंडर हो चुका है। उसे अच्‍छी तरह से ढका जाएगा। कचरे को जलाने के लिए आधुनिक मशीन लाने की भी व्यवस्था चल रही है। इसके अलावा कचरा को अन्यत्र रखने के लिए रुपनदेही के पटखौली में जमीन खरीद ली गई है। - जीवन आर्याल, वरिष्ठ इंजीनियर सिद्धार्थ नगर पालिका, भैरहवा नेपाल।

फैक्ट्रियों व शहर से निकलने वाले नालों में जल शोधन यंत्र लगाकर प्रदूषित जल को नदियों में आने से रोका जा सकता है। इसके लिए नेपाल और भारत सरकार को संयुक्त रूप से योजना बनाकर कार्य करने की जरूरत है। नेपाल से आने वाले पानी की निगरानी के लिए भी सीमा पर एक समिति का गठन किया जाना चाहिए। - डा. दिवाकर स‍िंह, विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग,जवाहर लाल नेहरू स्मारक पीजी कालेज महराजगंज।

नेपाल से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाली प्रमुख नदीा व नाले

गंडक

राप्ती

रोहिन

झरही

चंदन

प्यास

डंडा

महाव नाला

सोनिया नाला

हम महाव नाले की समस्या के समाधान की आस छोड़ चुके हैं। जो खेत था वह पूरी तरह से रेत में तब्दील हो चुका है। खेत से रेत कैसे हटेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है। रेत की परत दिन प्रतिदिन मोटी होती जा रही है। नेपाल से आने वाले पानी के साथ मिली रेत ने यहां के किसानों की स्थिति को विकट बना दिया है। - वीरेंद्र, स्‍‍‍‍‍थानीय क‍िसान।

नेपाल से आने वाली नदियों से प्रदूषित जल भारत न पहुंचे इसके लिए लगातार पहल की जा रही है। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच होने वाली बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। मेरे द्वारा नेपाल के सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों से भी इस संबंध में वार्ता की गई है। - अमन मणि त्रिपाठी, विधायक नौतनवा।

नेपाल से भारतीय क्षेत्र में बहने वाली डंडा नदी में प्रदूषित जल आने से जलीय जीव जन्तुओं के साथ ही स‍िंचाई भी प्रभावित हुई है। इसकी लिखित शिकायत रुपंदेही के सीडीओ से कर जल शोधन यंत्र लगाने की मांग की गई थी। विधानसभा में भी इस मामले को उठाया था। - कुंवर कौशल किशोर उर्फ मुन्ना स‍िंह, पूर्व विधायक व निकटतम प्रतिद्वंदी नौतनवा विधानसभा।

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