अपहरण, रंगदारी, रिश्‍वत...ये दारोगा हैं या छटे हुए बदमाश ! Gorakhpur News

प्रशिक्षण के बाद थाने चौकियों पर तैनात नए बैच के दारोगाओं की करतूत से आए दिन वर्दी दागदार हो रही है। खासकर नए बैच के दारोगाओं की कार्यशैली से महकमे को शर्मसार होना पड़ रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 13 Sep 2019 09:55 AM (IST) Updated:Fri, 13 Sep 2019 02:43 PM (IST)
अपहरण, रंगदारी, रिश्‍वत...ये दारोगा हैं या छटे हुए बदमाश !  Gorakhpur News
अपहरण, रंगदारी, रिश्‍वत...ये दारोगा हैं या छटे हुए बदमाश ! Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। प्रशिक्षण के बाद थाने, चौकियों पर तैनात नए बैच के दारोगाओं की करतूत से आए दिन वर्दी, दागदार हो रही है। खासकर नए बैच के दारोगाओं की कार्यशैली से महकमे को शर्मसार होना पड़ रहा है। आम जनमानस में पुलिस की छवि पहले से बेहद खराब है, दारोगाओं की संगीन अपराधों में संलिप्तता और रिश्वत लेते पकड़े जाने की वजह से विभाग की छवि और गिर रही है।

दारोगा ने डाक्टर से वसूली थी रंगदारी

अभी बहुत दिन नहीं हुए। टीपीनगर चौकी इंचार्ज और वर्ष 2011 बैच के दारोगा शिव प्रकाश सिंह को मशहूर मानसिक रोग विशेषज्ञ डा.रामशरण दास से आठ लाख रुपये रंगदारी वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। डाक्टर के करीबी कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी के साथ दारोगा ने डाक्टर से रंगदारी वसूलने की साजिश रची थी। उनसे आठ लाख रुपये ले भी लिए थे। दो लाख रुपये और मांग रहे थे। मुख्यमंत्री से डाक्टर के शिकायत करने के बाद दारोगा और कथित पत्रकार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया गया था।

अपहरण के आरोप में  गिरफ्तार किए गए थे दो दारोगा

उरुवा थाने में तैनात रहे वर्ष 2016 बैच के दारोगा रघुनंदन त्रिपाठी और अभिजीत कुमार को दसवीं के छात्र एहसान के अपहरण के आरोप में 17 दिसंबर 2017 की रात रेलवे स्टेशन रोड से गिरफ्तार किया गया था। उरुवा इलाके में किराये का कमरा लेकर पढ़ाई करने वाले गोपालगंज, बिहार निवासी एहसान को दोनों दारोगाओं ने 17 दिसंबर 2017 को स्टेशन रोड पर कार में बंधक बनाकर रखा था और उसके परिजनों को फोन कर 2.80 लाख रुपये मांगे थे। परिजनों की शिकायत पर तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने दोनों दारोगाओं की गिरफ्तारी कराकर अपहृत को उनके चंगुल से मुक्त कराया था।

23 मई को बड़े बाबू की हुई थी गिरफ्तारी

एसएसपी कार्यालय में बड़े बाबू के पद कार्यरत ज्ञानेंद्र सिंह को एंटी करप्शन की टीम ने इस साल 23 मई को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। दारोगा ने एंटी करप्शन मेें बड़े बाबू के रिश्वत मांगने की शिकायत की थी।

मृतक आश्रित कोटे मिली थी आशीष को नौकरी

गिरफ्तार बेलघाट के दारोगा आशीष मिश्र को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिली थी। उसके पिता, पुलिस विभाग में कार्यरत थे। सेवा काल में उनका निधन होने पर उनकी वजह वह दारोगा के पद पर भर्ती हुआ था।

इलाके में काफी खराब थी छवि

आशीष मिश्र की कार्यप्रणाली ऐसी थी कि बेलघाट क्षेत्र में उसकी छवि काफी खराब थी। उसके बारे में आम चर्चा थी कि बिना रिश्वत लिए वह लोगों के जायज काम भी नहीं करता है। थाने में भी सहकर्मियों से उसके रिश्ते ठीक नहीं थे। अधिकतर पुलिस वालों से उसका विवाद हो चुका था।

किराये के घर से बरामद की सर्विस रिवाल्वर

रिश्वत लेने यातायात तिराहे पर पहुंचे दारोगा ने अपनी सर्विस रिवाल्वर, राप्तीनगर, शाहपुर स्थित किराये के घर पर ही छोड़ दी थी। उसको गिरफ्तार करने के बाद एंटी करप्शन की टीम ने उसके किराये के घर में छापेमारी कर उसका सर्विस रिवाल्वर कब्जे में लिया।

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