सामने आया गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्‍त होने का सच, यह सावधानी बरतते तो नहीं होती दुर्घटना

Guwahati-Bikaner Express इंजन के बेपटरी होने के चलते रेलवे प्रशासन के भी कान खड़े हो गए हैं। जांच भी इंजन पर ही आकर टिक गई है। पहली बार इंजन के लगभग सभी चक्के पटरी से उतरे हैं। सामान्य स्थिति में ऐसा नहीं होता।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 18 Jan 2022 08:19 AM (IST) Updated:Tue, 18 Jan 2022 12:48 PM (IST)
सामने आया गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्‍त होने का सच, यह सावधानी बरतते तो नहीं होती दुर्घटना
दुर्घटनाग्रस्‍त गुवाहाटी बीकानेर एक्सप्रेस। - फाइल फोटो , सौजन्‍य इंटरनेट मीड‍िया

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। जलपाईगुड़ी जनपद में गुरुवार को दुर्घटनाग्रस्त हुई गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस में लगे इंजन (डब्लूएपी 7) की अनुरक्षण (मरम्मत) की अवधि समाप्त हो गई थी। जनवरी के पहले सप्ताह में ही पूर्वोत्तर रेलवे के गोंडा स्थित शेड में इंजन का अनुरक्षण होना था, इसके बाद भी यह ट्रेन को लेकर पटरियों पर दौड़ रहा था। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने मौके पर कोचों और पटरियों के साथ इंजन की भी प्रमुखता से जांच शुरू कर दी है। साथ ही इंजन के अनुरक्षण को लेकर भी पड़ताल शुरू हो गई है।

प्रथम दृष्टया प्रकाश में आया है बोल्ट टूटने का मामला

दुर्घटनों के कारणों का पर्दाफाश सीआरएस की रिपोर्ट के बाद ही हो पाएगा, लेकिन इंजन के बेपटरी होने के चलते रेलवे प्रशासन के भी कान खड़े हो गए हैं। जांच भी इंजन पर ही आकर टिक गई है। पहली बार इंजन के लगभग सभी चक्के पटरी से उतरे हैं। सामान्य स्थिति में ऐसा नहीं होता। छह एक्सल पर लगे 12 चक्के को घूमाने वाले छह मोटरों का वजन ही करीब 15 टन होता है। प्राथमिक जांच में इंजन के नीचे ट्रैक्सन मोटर के पास बोल्ट टूटने का भी मामला प्रकाश में आ रहा है। जानकारों का कहना है कि पहले इंजन पटरी से उतरा है, इसके बाद पीछे वाली बोगियां एक के ऊपर एक चढ़ गई हैं।

इंजन अनुरक्षण के लिए निर्धारित है शिड्यूल

इंजन अनुरक्षण के लिए शिड्यूल निर्धारित रहता है। डब्लूएपी 7 इलेक्ट्रिक इंजन का 4500 किमी चलने पर ट्रिप निरीक्षण होता है। माइनर शिड्यूल के तहत 90, 180 और 270 दिन पर शेड में अनुरक्षण होता है। मेजर शिड्यूल के तहत 24, 48 और 72 माह पर अनुरक्षण होता है।

इंजन के अंडर गियर की जांच के बाद भी रवाना होंगी ट्रेनें

दुर्घटना के बाद इंजन में भी गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आने के बाद रेलवे प्रशासन ने परिचालन के साथ इंजनों पर भी सतर्कता बढ़ा दी है। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश के बाद पूर्वोत्तर रेलवे भी परिचालन और इंजनों को लेकर सतर्क हो गया है। अब इंजन के अंडर गियर (ट्रैक्सन मोटर, कंप्रेशर और ब्रेक सिस्टम आदि नीचे वाले उपकरण) की जांच के बाद ही ट्रेनें रवाना होंगी। दिन हो या रात, लोको पायलट पूरी तरह परखने के बाद संतुष्ट होने पर ही इंजन पर चढ़ेंगे।

रास्ते में अगर ट्रेन कहीं रुकती भी है तो लोको पायलटों को इंजन का परीक्षण करना होगा। साथ में तेज रोशनी वाला टार्च लेकर चलना अनिवार्य है। कोहरे के दौरान फाग सेफ डिवाइस होने पर ट्रेन अधिकतम 75 और फाग सेफ डिवाइस नहीं होने पर अधिकतम 50 किमी प्रति घंटे की गति से ही चलेगी। लोको पायलटों को पूरी तरह सतर्क करने व दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने वर्चुअल कार्यशाला शुरू कर दी है।

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