गोरखपुर के सरकारी स्कूलों में अव्यवस्था के बीच हो रहा एग्जाम, प्रश्नपत्र की फोटोकॉपी से परीक्षा दे रहे बच्चे
परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई है। स्कूलों को कम प्रश्नपत्र मिलने के कारण शिक्षकों को फोटो कॉपी कराकर बच्चों को पराक्षा दिलाना पड़ रहा है। एक स्कूल में 40 से 50 बच्चों पर चार से पांच प्रश्नपत्र मिले हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षा अव्यवस्था के बीच हो रही है। प्रश्नपत्र विलंब से पहुंचने से लेकर छात्रों की संख्या के सापेक्ष कम प्रश्नपत्र स्कूलों को मिलने के कारण शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। एक स्कूल में 40 से 50 बच्चों पर चार से पांच प्रश्नपत्र देने से शिक्षकों को फोटोकॉपी कराकर परीक्षा करानी पड़ रही है। पहले दिन शिक्षकों ने मौखिक परीक्षा तो किसी तरह करा ली, लेकिन दूसरे दिन से लिखित परीक्षा शुरू होने के बाद प्रश्नपत्रों की कमी सामने आई है।
वार्षिक परीक्षा का कार्यक्रम काफी पहले घोषित किया हो चुका था। बावजूद इसके परीक्षा को लेकर विभाग ने लापरवाही बरतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पिछली गलतियों से भी सबक नहीं लिया। इसी बीच सोमवार से वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई। पहले ही दिन प्रश्न पत्रों के तैयार न होने से कक्षा छह से आठ तक की परीक्षा स्थगित करनी पड़ी थी। मंगलवार को भी स्कूलों में कम संख्या में प्रश्नपत्र पहुंचने से शिक्षकों और विद्यार्थियों को परेशानी हुई। बुधवार को भी कमोबेश यही स्थिति रही। नाम न छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि प्रश्न पत्र उपलब्ध हो गए हैं, लेकिन स्कूलों तक इसे पहुंचाने में लापरवाही बरती जा रही है। साथ ही बच्चों की संख्या से कम प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने से फोटोकापी कराकर परीक्षा करानी पड़ रही है।
धरे रह गए विभाग के दावे
परीक्षा के लिए प्रश्नपत्रों को तैयार करने की जिम्मेदारी डायट को सौंपी गई थी। विभाग ने दावा किया था कि परीक्षा भले ही 20 मार्च से शुरू हो रही है, लेकिन 17-18 मार्च तक खंड शिक्षाधिकारियों को प्रश्नपत्रों सीलबंद पैकेट उपलब्ध करा दिए जाएंगे ताकि स्कूलों को प्रश्नपत्र वितरित कर समय से परीक्षा कराई जा सके। बावजूद इसे लेकर शिथिलता बरती गई और तैयारियों को लेकर विभाग के सभी दावे धरे रह गए।
क्या कहते हैं अधिकारी
बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रश्नपत्रों की कोई कमी नहीं है। मुख्यालय पर पर्याप्त प्रश्नपत्र उपलब्ध हैं। खंड शिक्षाधिकारियों को प्रश्नपत्रों को स्कूलों को वितरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यदि किसी स्कूल में विलंब से या कम प्रश्नपत्र पहुंचे हैं तो ऐसा उनकी शिथिलता के कारण हुआ है।