गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बढ़ती जा रही जूनियर डॉक्टरों की दबंगई, सख्त कार्रवाई न होने से कर रहे बदसलूकी

बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में तीमारदारों की पिटाई नई बात नहीं है। यहां कई बार भर्ती मरीजों के रिश्तेदारों या परिवार के लोगों द्वारा पूछताछ करने पर जूनियर डॉक्टर आपा खो देते हैं और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sun, 05 Feb 2023 09:42 AM (IST) Updated:Sun, 05 Feb 2023 09:42 AM (IST)
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बढ़ती जा रही जूनियर डॉक्टरों की दबंगई, सख्त कार्रवाई न होने से कर रहे बदसलूकी
सख्त कार्रवाई न होने से बढ़ती गई अराजकता। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अभी तीन महीने पहले की ही बात है। बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में पिपपराइच के भिसवा के घनश्याम राजभर का इलाज चल रहा था। 28 अक्टूबर को तीमारदारों ने इलाज के संबंध में जूनियर डॉक्टर से बात की। आरोप है कि इलाज की जानकारी मांगते ही जूनियर डॉक्टर भड़क गए और तीमारदारों की पिटाई शुरू कर दी। हालांकि, जूनियर डॉक्टरों का आरोप था कि तीमारदारों ने ही बदसलूकी की। तीमारदारों और जूनियर डॉक्टरों ने गुलरिहा थाने में एक-दूसरे के खिलाफ तहरीर दी, लेकिन एफआइआर तीमारदारों पर ही हुआ। पिछले साल 20 अगस्त को सहजनवां के कुंवर शंकर पांडेय के तीमारदारों की जमकर पिटाई हुई थी, लेकिन एफआइआर नहीं दर्ज हुई।

मामूली बार पर तीमारदार को थप्पड़ जड़ देते हैं डॉक्टर

यह दो उदाहरण यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर मामूली बात पर भी आपा खो रहे हैं। इलाज के बारे में सवाल पूछने पर भी जूनियर डॉक्टर तीमारदार को थप्पड़ मार देते हैं। गालियां देना तो आम बात होती जा रही है। आरोप लगते हैं कि वरिष्ठ डॉक्टरों से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस कारण जूनियर डॉक्टरों को लगता है कि वह जो कर रहे हैं वही सही है।

वीडियो न प्रसारित होता तो FIR भी न होती

शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में दिव्यांग तीमारदार और उसकी पत्नी की पिटाई के मामले में पुलिस ने देर रात एफआइआर दर्ज की। यह स्थिति तब थी जब बीच-बचाव करने के दौरान पुलिसकर्मियों को भी पीटा गया था। हालांकि उनकी तरफ से कोई तहरीर नहीं दी गई। एक पुलिसकर्मी का कहना है कि कई बार ऐसा हुआ जब पुलिस ने खुद मार खाकर जूनियर डॉक्टरों के हाथों पिट रहे तीमारदारों को किसी तरह मेडिकल कॉलेज से बाहर निकाला। लोगों का कहना है कि घटना का वीडियो प्रसारित न होता तो पुलिस पांच जूनियर डॉक्टरों पर एफआइआर नहीं दर्ज करती।

पिछले साल हुई घटनाएं

तीन अप्रैल, 2022 को सिद्धार्थनगर के भड़रिया के हरिराम के तीमारदारों को पीटा गया। छह अप्रैल, 2022 को कुशीनगर जिले के कप्तानगंज के सखवापार की सावित्री देवी के तीमारदारों को पीटा गया। 

इनको मिली है जांच

नेहरू अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, एनेस्थीसिया और सर्जरी के विभागाध्यक्ष को मारपीट के मामले की जांच मिली है। शनिवार को खुद प्रधानाचार्य डा. गणेश कुमार ने रोगी और उनके स्वजन से मुलाकात की।

क्या कहते हैं प्राचार्य

बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों को नैतिक शिक्षा देने पर विचार चल रहा है। कुछ दिनों का फाउंडेशन कोर्स चलाया जाएगा। शुक्रवार को हुई घटना में सभी जूनियर डॉक्टर प्रथम वर्ष के थे। उन पर ही काम का बहुत ज्यादा दबाव है। रोगी के स्वजन से नहीं, बल्कि बाहर से आने वाले लोगों से ही जूनियर डॉक्टरों का झगड़ा होता है। ये लोग इलाज को लेकर अनावश्यक सवाल-जवाब करने के साथ दबाव बनाने लगते हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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