विशेषज्ञों ने कहा-उद्योगों की समस्या में तलाशें शोध का विषय Gorakhpur News

विशेषज्ञों ने एक स्वर से कहा कि अगर तकनीकी क्षेत्र में शोध को सार्थक बनाना है तो उद्योगों की समस्या में इसके विषय तलाशने होंगे और उस समस्या का समाधान ढूंढकर बताना होगा।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Tue, 25 Feb 2020 09:34 AM (IST) Updated:Tue, 25 Feb 2020 09:34 AM (IST)
विशेषज्ञों ने कहा-उद्योगों की समस्या में तलाशें शोध का विषय Gorakhpur News
विशेषज्ञों ने कहा-उद्योगों की समस्या में तलाशें शोध का विषय Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। शोध कैसे उद्योगोन्मुखी बने? साहित्यिक चोरी कैसे रोकी जाय? शोध पत्रों का प्रारूप कैसा हो? शोध पत्रों को प्रकाशित करने की प्रक्रिया क्या है? शोध से जुड़े यह सवाल एक-एक कर उठ रहे थे और उनका माकूल जवाब भी मिल रहा था। इतना ही नहीं उपयोगी सलाह से जुड़कर जवाब के मुकम्मल होने की रही-सही कसर भी पूरी हो रही थी। कहने को तो यह प्रश्नकाल के रूप में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रिसर्च कॉन्क्लेव का एक सत्र था, लेकिन अगर इसे आयोजन की सार्थकता से जोड़ें तो गलत नहीं होगा।

समस्या जितनी जटिल होगी, शोध उतना ही सार्थक

शोध को उद्योगोन्मुखी बनाने के सवाल के जवाब में सभी विशेषज्ञों ने एक स्वर से कहा कि अगर तकनीकी क्षेत्र में शोध को सार्थक बनाना है तो उद्योगों की समस्या में इसके विषय तलाशने होंगे और उस समस्या का समाधान ढूंढकर बताना होगा। समस्या जितनी जटिल होगी, शोध उतना ही सार्थक होगा। विशेषज्ञों ने शोध में साहित्यिक चोरी को अनैतिक आचरण बताया और इससे बचने की सलाह दी।

नए उत्पादों और नए उपकरणों पर शोध जरूरी

इससे पहले विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में  'भारतीय अनुसंधान की वर्तमान दशा एवं भविष्य  विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए इसरो के मानद प्रोफेसर सुरेंद्र पाल ने कहा कि सैद्धांतिक शोध की बजाय नए उत्पादों और नए उपकरणों पर शोध किया जाए, यही इंजीनियरिंग का उद्देश्य भी है।

जलवायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में भी काम जरूरी

राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान के प्रो. पवन कुमार लाभासेतवार ने छात्रों को सलाह दी कि वह जलवायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और सस्टेनेबल प्रौद्योगिकी विकसित करने की दिशा में काम करें। आइआइटी बीएचयू के प्रो. केपी सिंह ने कहा कि छात्र केवल डिग्री लेने के लिए नहीं बल्कि समाज को कुछ देने के लिए शोध करें। एनआइटी दिल्ली के डॉ. अनुज शर्मा ने शोध को बढ़ावा देने की वकालत की। कुलपति प्रो. एसएन सिंह ने शोध को सतत प्रक्रिया बताया। अतिथियों का स्वागत प्रो. राकेश कुमार, आभार ज्ञापन डॉ. राजेश वर्मा और संचालन डॉ. अभिजीत मिश्रा ने किया।

उद्योग जगत के संपर्क में रहे शिक्षक

आइआइटी मुंबई के प्रो. एसवी कुलकर्णी ने उद्योग जगत की मांग के मुताबिक शोध पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए शिक्षण संस्थाओं को उद्योग जगत के संपर्क में रहना चाहिए। पुणे के तकनीकी शिक्षण संस्थान की चर्चा करते हुए प्रो. कुलकर्णी ने बताया कि वहां का हर शिक्षक महीने में एक दिन अपने विषय से जुड़े उद्योग का भ्रमण करता है।

छात्रों को दी तकनीकी विकास व नई खोजों की जानकारी

रिसर्च कान्क्लेव के अंतिम दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से आए विशेषज्ञों ने प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्नातक कक्षाओं का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों को उनके विषय क्षेत्र में हो रहे तकनीकी विकास और नई खोजों की जानकारी दी। साथ ही शोध को लेकर आगे की संभावना पर भी प्रकाश डाला।

पुरस्कृत किए गए पोस्टर प्रतियोगिता के विजेता

रिसर्च कान्क्लेव के अंतिम दिन रविवार को हुई पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कृत होने वालों में निमिषा द्विवेदी, शगुन पाल, सौरभ सिंह, रत्नेश कुमार पटेल, शांभवी राय, राजेश मिश्र, चांदनी सिंह, अमित श्रीवास्तव, सुकृति यादव और एकता तिवारी शामिल रहीं। 

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