Coronaviras: डाक्टर बिटिया लड़ रही कोरोना से जंग, मां बनीं सारथी Gorakhpur News

Coronaviras यूपी के देवरिया जिले में एक डाक्टर बिटिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है। इसमें उसकी माँ सारथी की भूमिका में है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 17 Apr 2020 07:57 PM (IST) Updated:Sat, 18 Apr 2020 01:20 PM (IST)
Coronaviras: डाक्टर बिटिया लड़ रही कोरोना से जंग, मां बनीं सारथी Gorakhpur News
Coronaviras: डाक्टर बिटिया लड़ रही कोरोना से जंग, मां बनीं सारथी Gorakhpur News

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, देवरिया: एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर घर आई डाक्टर बिटिया कोरोना से जंग लड़ रही है। प्रदेश सरकार की सहमति के बाद वह दिन 57 किमी का कार से सफर तय कर बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर में अपनी सेवाएं दे रही हैं। कोरोना के संक्रमण खतरे के बावजूद उसके हौसले को सभी लोग सलाम कर रहे हैं। बेटी के सेवा संकल्प के सफर में मां मोनिका सारथी बनी हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मेहड़ा स्थित औद्योगिक आस्थान परिसर निवासी संजीव अरोरा व मोनिका अरोरा की बेटी डा. स्मृति अरोरा हैं। स्मृति दिल्ली से एमबीबीएस की पढ़ाई कर घर आई थीं। इसी बीच कोरोना वायरस का संक्रमण देश ही नहीं दुनिया में फैल गया। भारत में 25 मार्च को लॉक डाउन की घोषणा हो गई। उसके बाद डाक्टर बिटिया की बेचैनी बढ़ने लगी। करीब पांच दिन बीत गया। घर में गुमशुम थी। मरीजों की सेवा के लिए ठान ली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मेल के जरिये चिट्ठी भेजकर कोरोना वायरस से बचाव में अपनी सेवा देने की अनुमति मांगी। दो दिन तक चिट्ठी का कोई जवाब नहीं आया तो रिमाइंडर भेजा। आखिरकार बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य के जरिये अनुमति पत्र मिल गया। 

गोरखपुर जाने के लिए साधन की सुविधा न होने पर मां मोनिका ने अपनी कार से रोज मेडिकल कालेज ले जाने व लाने फैसला किया, फिर शुरू हो गया मां-बेटी का 57 किमी. का सफर। सुबह आठ बजने से पहले ही स्मृति तैयार होकर कार के पास पहुंचती हैं, इसी बीच मां भी आ जाती हैं। मेडिकल कालेज में शुरूआती दौर में तो सामान्य मरीज की सेवा के लिए जिम्मेदारी मिली, बाद में कोविड के मरीजों की सेवा के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई, जो निरंतर जारी है। 

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पढ़ाई ही नहीं बल्कि मरीजों की सेवा हमारा संकल्प है, उसके तहत मैंने अनुमति मांगी थी। मरीजों की सेवा कर काफी तसल्ली हो रही है। लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है। - डा. स्मृति अरोरा

बेटी की सेवा भावना को सुनकर मेरा मन काफी भावुक हो गया और मैं खुद कार से ले जाने का फैसला किया। पीड़ितों की सेवा करते देख मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। - मोनिका अरोरा। 

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