नाम न पता, धड़ल्ले से दूध का कारोबार

गोरखपुर : घर पर दूध लेकर आने वाले दूधिये का नाम-पता आप भले जानते हों, लेकिन न विभाग क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Mar 2018 11:59 AM (IST) Updated:Thu, 22 Mar 2018 11:59 AM (IST)
नाम न पता, धड़ल्ले से दूध का कारोबार
नाम न पता, धड़ल्ले से दूध का कारोबार

गोरखपुर : घर पर दूध लेकर आने वाले दूधिये का नाम-पता आप भले जानते हों, लेकिन न विभाग को उनकी कोई जानकारी है न ही सरकारी आंकड़ों में उनका कोई ब्योरा दर्ज है। सरकारी चेकिंग के दौरान अगर उसके दूध का सैंपल अधोमानक पाया जाता है उस पर कार्रवाई हो पाना मुश्किल है। शहर में घर-घर, होटल या दुकान पर दूध पहुंचाने वाले दूधिये अपना पंजीकरण नहीं करा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें नियमित चेकिंग और पड़ताल मुश्किल होती जा रही है। गोरखपुर मंडल में विभाग ने चेकिंग के अधोमानक पाई गई सामग्रियों पर बीस लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया है।

सफेद दूध के काले कारोबार की पड़ताल में चल रहे दैनिक जागरण के अभियान में एक और हैरतंगेज जानकारी सामने आई है। घर और बाजार में खुला दूध बेच रहे दूधियों के बारे में विभाग को कोई जानकारी नहीं है। हजारों की तादाद में दूध का कारोबार करने वाले दूधियों में से चुनिंदा ने ही विभाग में अपना पंजीकरण कराया है। गोरखपुर मंडल की बात करें तो सभी तरह के खाद्य पदार्थ की बिक्री के लिए विभाग से लाइसेंस लेने वालों की संख्या महज 1677 है। इसमें भी दूध से बने उत्पादों की बात करें तो उनकी संख्या नहीं के बराबर है। दूध के कारोबारियों का लाइसेंस या पंजीकरण न होने की स्थिति में उनके बारे में विभाग को किसी भी तरह की जानकारी नहीं है।

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ये है नियम

खुले या पैक तौर पर 500 लीटर से कम दूध की बिक्री, भंडारण, प्रदर्शन या उत्पादन करने वाले हर कारोबारी को विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके लिए एक वर्ष में 100 रुपये का शुल्क निर्धारित है। आनलाइन होने वाले आवेदन में 50 रुपये अतिरिक्त खर्च हो सकते हैं। इसके अलावा 500 लीटर से अधिक दूध का कारोबार करने वाले कारोबारियों को दो हजार रुपये की फीस जमाकर लाइसेंस लेना होता है। बगैर लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन किसी भी दूध या अन्य खाद्य सामग्री की बिकी नहीं हो सकती है।

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नए कानून का उठा रहे फायदा

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग वर्तमान में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत कार्रवाई करता है। इस एक्ट के तहत आजीवन कारावास से लेकर जुर्माना तक के प्रावधान है, लेकिन विभाग किसी पर मुकदमा दर्ज नहीं करा सकता है। दूध के मामले में सैंपल रिपोर्ट अनसेफ को छोड़कर बाकी सभी मामले में केवल जुर्माना लगाने का ही प्रावधान है। हालांकि इसके पहले लागू प्रिवेंशन आफ फूड एडलट्रेशन एक्ट 1954 में सभी धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के साथ सजा का भी प्रावधान था। नए कानून में सहूलियत मिलने का भी कारोबारियों ने दुरुपयोग शुरू कर दिया है।

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इतना वसूला गया जुर्माना

गोरखपुर 191000

देवरिया 1765000

महराजगंज 45000

कुशीनगर 55000

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सहायक आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग प्रभुनाथ सिंह का कहना है कि दूध का कारोबार करने वालों को मानक के अनुरूप रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसको लेकर जल्द ही चेकिंग अभियान भी चलाया जाएगा। जिस किसी को भी दूध का कारोबार करना है, उन्हें रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस लेना होगा।'

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