मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे, शक्तिपीठ में करेंगे कलश स्थापना

नवरात्र पूजा की पूर्णाहुति 25 अक्टूबर को नवमी पूजन के साथ होगी। उस दिन मुख्यमंत्री पीठ की परंपरा के निर्वहन के लिए नौ कुवांरी कन्याओं और एक बटुक भैरव का पांव पखार कर पूजन करेंगे और उन्हें अपने हाथ से भोज कराएंगे।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 17 Oct 2020 08:20 AM (IST) Updated:Sat, 17 Oct 2020 03:22 PM (IST)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे, शक्तिपीठ में करेंगे कलश स्थापना
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍य नाथ।

गोरखपुर, जेएनएन। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर पहुंच गए हैं। गोरखनाथ मंदिर पहुंचने पर उन्‍होंने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का आशीर्वाद लिया। उसके बाद वह अपने कमरे में चले गए। शारदीय नवरात्र में आदिशक्ति मां भगवती की पूजा के लिए गोरखनाथ मंदिर में तैयारी पूरी कर ली गई है। नवरात्र की प्रतिपदा यानी शनिवार को मंदिर के शक्तिपीठ में कलश स्थापना की जाएगी। गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कलश स्थापना करेंगे।

निकलेगी कलश यात्रा

मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि शनिवार को शाम पांच बजे मंदिर परिसर में प्रधान पुजारी कमलनाथ की अगुवाई में कलश यात्रा निकाली जाएगी। मंदिर के सैनिक सरीखे स्वयंसेवकों की सुरक्षा में सभी पुजारी, योगी, वेदपाठी छात्र, पुरोहित और श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होंगे। यात्रा के दौरान बाबा गोरखनाथ का अस्त्र त्रिशूल प्रधान पुजारी के हाथों में होगा। कलश को वैदिक मंत्रोच्‍चार के बीच मंदिर स्थित भीम सरोवर से भरा जाएगा। भरे कलश को मुख्यमंत्री योगी बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर मंदिर स्थित अपने आवास के शक्तिपीठ में पूरे विधि-विधान से स्थापित करेंगे। उसके बाद शक्तिपीठ में पूजा-अर्चना का जो सिलसिला शुरू होगा, वह नवमी पूजन के दिन तक चलेगा। हर दिन शाम चार से छह बजे तक दुर्गा सप्तशती के पाठ की परंपरा है। पाठ का समापन मां दुर्गा की आरती के बाद होगा।

23 को होगी महानिशा पूजा

नवरात्र की आनुष्ठानिक पूजा को सम्पन्न करने के लिए मुख्यमंत्री 23 अक्टूबर यानी अष्टमी के दिन शक्तिपीठ में महानिशा पूजन करेंगे और उसके बाद हवन की प्रक्रिया सम्पन्न करेंगे।

राज व समाज धर्म पालन के लिए तोड़ी परंपरा

नवरात्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं। परंपरा के मुताबिक पीठाधीश्वर को नौ दिन के दौरान पीठ से बाहर नहीं निकलना होता है लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद राजधर्म और समाज धर्म के पालन के लिए गोरक्षपीठाधीश्वर ने यह परंपरा तोड़ दी है। उनकी अनुपस्थिति में इस परंपरा का निर्वहन प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ करते हैं।

पांव पखार कर कन्या पूजेंगे योगी

नवरात्र पूजा की पूर्णाहुति 25 अक्टूबर को नवमी पूजन के साथ होगी।  उस दिन मुख्यमंत्री पीठ की परंपरा के निर्वहन के लिए नौ कुवांरी कन्याओं और एक बटुक भैरव का पांव पखार कर पूजन करेंगे और उन्हें अपने हाथ से भोज कराएंगे।

25 को ही निकलेगी विजय शोभा यात्रा

कन्या पूजन के बाद 25 अक्टूबर को ही विजयादशमी का पारंपरिक आनुष्ठानिक आयोजन सम्पन्न किया जाएगा। श्रीनाथ जी और समस्त देव-विग्रहों की पूजा-अर्चना के बाद मुख्यमंत्री योगी शाम चार बजे विजय रथ पर सवार होकर गोरखनाथ मंदिर से मानसरोवर रामलीला मैदान की ओर प्रस्थान करेंगे। वहां पहुंचकर समस्त देव-विग्रहों की पूजा करेंगे और फिर मानसरोवर रामलीला मैदान में भगवान राम का राजतिलक करेंगे। उसी दिन रात में गोरखनाथ मंदिर में पात्र-पूजा का आयोजन होगा, जिसमें गोरक्षपीठाधीश्वर दंडाधिकारी की भूमिका में होंगे और साधु-संतों के बीच समन्वय स्थापित करेंगे।

कोविड प्रोटोकाल हो होगा पूरा पालन

शारदीय नवरात्र और विजयादशमी के सभी आयोजन कोविड प्रोटोकॉल के दायरे में रहकर होंगे। कलश यात्रा में सीमित संख्या में ही पुजारी एवं संत शामिल होंगे। दशमी के जुलूस में भी लोगों की संख्या सीमित रहेगी। विजयादशमी के दिन मंदिर परिसर में होने तिलकोत्सव कार्यक्रम भी अति संक्षिप्त होगा। मंदिर के मीडिया प्रभारी विनय गौतम ने बताया कि इस बार सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसे लेकर सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं।

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