बांध नहीं, नदी के रहमोकरम पर गांवों की सुरक्षा

गोरखपुर: बाढ़ से बचाव की तैयारियों के लंबे-चौड़े दावे हर साल किए जाते हैं। बंधों की मरम्मत को लेकर शा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jun 2017 01:33 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jun 2017 01:33 AM (IST)
बांध नहीं, नदी के रहमोकरम पर गांवों की सुरक्षा
बांध नहीं, नदी के रहमोकरम पर गांवों की सुरक्षा

गोरखपुर: बाढ़ से बचाव की तैयारियों के लंबे-चौड़े दावे हर साल किए जाते हैं। बंधों की मरम्मत को लेकर शासन- प्रशासन तक नियमित समीक्षा होती है लेकिन स्थिति में खास सुधार नहीं दिखता है। पिछले कई वर्षो से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों की सुरक्षा बंधों के भरोसे नहीं होकर नदियों के रहमोकरम पर टिक गई है। ऐसा ही एक बंधा बड़हलगंज क्षेत्र के पूर्वी भाग में राप्ती-घाघरा के दोआब में स्थित है। बारिश सिर पर है और मरम्मत के अभाव में बंधे के रैटहोल, रेनकट ग्रामीणों को चिंता में डाले हुए हैं। इस बंधे के भरोसे पूरा कछार क्षेत्र है।

हमारे बड़हलगंज कार्यालय के अनुसार घाघरा नदी की बाढ़ से बचाने के लिए खड़ेसरी से छपिया तक पांच किलोमीटर लंबा बंधा बनाया गया है। इस बंधे का निर्माण तत्कालीन विधायक राजेश त्रिपाठी ने विधायक निधि से कराया था। इसे टेढि़या बंधे के नाम से भी जाना जाता है। बंधा जगह-जगह जर्जर हो गया है। जगह-जगह रेनकट और रैट होल बन गए हैं। ग्रामीणों ने बंधे की स्थिति की जानकारी अधिकारियों को कई बार दी लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात अर्थात मरम्मत के नाम पर इस वर्ष भी विभाग की गति वही है जो पिछले वर्षो में थी।

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प्रमुख रूप से इन गांवों की है सुरक्षा का जिम्मा

दुबौली, कोहड़ा भांवर, रामगढ़, पिड़हनी, खजुरी, मुजौना, छपिया उमराव, डेरवा, जैदपुर।

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बंधे की मरम्मत नहीं होगी तो आबादी व फसलों का डूबना तय है। बंधे की बदहाली की शिकायत दौरे पर आने वाले अधिकारियों से हर बार की जाती है लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।

-रामचंद्र यादव- खड़ेसरी

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बंधे की मरम्मत के लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से भी कई बार गुहार लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस साल भी मरम्मत का कार्य नहीं हुआ। हम लोगों का भगवान ही मालिक है।

-भिखारी, दुबौली

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गांव के संपत्ति

बारिश सिर पर है और बंधे के किनारे की आबादी चिंतित है। बंधे की मरम्मत नहीं कराई गई तो बाढ़ आने पर क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा। पहले भी कई बार तबाही झेलनी पड़ी है।

-संपत्ति, जैदपुर

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बंधे पर जगह-जगह रेनकट हो गया है। बंधे के समीप बालू खनन होने से खतरा और बढ़ गया है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

-गुलाब, खड़ेसरी

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बंधे की कुल लंबाई-5 किमी

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विधायक निधि से बना है बंधा

2007 से पहले एक दर्जन से अधिक गांवों की आबादी बाढ़ आते ही जलमग्न हो जाती थी। तत्कालीन विधायक राजेश त्रिपाठी ने ग्रामीणों की पीड़ा समझी और उनके प्रयास के बाद शासन से पैसा मिला और बंधे का निर्माण हुआ। यही कारण है कि यह सिंचाई विभाग की सूची में जगह नहीं पाता है।

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यह बंधा बना जरूर है लेकिन सिंचाई विभाग का नहीं है। इसीलिए इसकी मरम्मत के लिए विभागीय पैसा नहीं मिलता है। शासन से किसी अन्य मद के जरिये मिलने वाले पैसे से मरम्मत कराई जा सकती है। 2008-09 में कुछ पैसा मिला था तो मरम्मत कराई गई थी। फिर प्रयास किया जा रहा है। पैसा मिलते ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

-रामऔतार सिंह, अधीक्षण अभियंता

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