आ गया रहमत और बरकत का महीना रमजान

गोरखपुर : रविवार से मुकद्दस रमजान शुरू हो रहा है। शनिवार को लोगों ने एक-दूसरे को रमजान की मुबारकबाद

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 May 2017 01:53 AM (IST) Updated:Sun, 28 May 2017 01:53 AM (IST)
आ गया रहमत और बरकत का महीना रमजान
आ गया रहमत और बरकत का महीना रमजान

गोरखपुर : रविवार से मुकद्दस रमजान शुरू हो रहा है। शनिवार को लोगों ने एक-दूसरे को रमजान की मुबारकबाद दी। मस्जिदों में भी नमाजियों की भीड़ बढ़ गई। बच्चा, बूढ़ा और क्या जवान सभी एशा और तरावीह की नमाज पढ़ने मस्जिद पहुंचे। रमजान में पांच वक्त की नमाज के साथ बीस रकाअत तरावीह की नमाज पढ़ना फर्ज है।

शहर में छोटी-बड़ी 125 मस्जिदों और मदरसों में तरावीह की नमाज अदा की गई। इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है। इसमें रोजा रखना हर बालिग (12 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले)का फर्ज है। हदीस के मुताबिक इस मुबारक माह में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं और शैतान कैद हो जाते हैं। अर्श से फर्श तक नेकियों और रहमतों की बारिश का ऐसा सिलसिला शुरू होता है जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। हदीस में फरमाया गया है कि रमजान मोहम्मद साहब के उम्मत का महीना है। इस माह में रोजे रखने वालों को बेइंतहा सवाब मिलता है। रमजान में जो इबादत और कलाम पाक की तिलावत करेगा उसके गुनाह धुल जाएंगे। रोजे रखने वाले कयामत के दिन अल्लाह के नेक बंदों के रूप में पहचाने जाएंगे।

रमजान का यह है असल मकसद

दरअसल रोजेदार के जेहन पर खुदा की बंदगी का एहसास होना ही रमजान का असल मकसद है। रोजेदार बंदा खुदा की बंदगी में खुद को इतना मसरूफ कर लें कि उसके तमाम शैतानी सोच हमेशा के लिए उसके दिमाग से निकल जाये। रोजेदार के लिए सिर्फ भूखा रहना ही काफी नहीं है बल्कि उसे इस्लाम की बातों को भी अमल में लाना है।

नेकियों को अमल में लाएं

मौलाना जावेद अहमद बताते हैं कि रमजान के दिनों में जहां एक ओर बुराइयों से परहेज किया जाता है वहीं दूसरी ओर इंसानी नेकियों को अमल में लाना भी रोजेदार के लिए बेहद जरूरी है। इंसानियत के रिश्ते को मजबूत करते हुए रमजानुल मुबारक की नेकियों और रहमतों से पूरी दुनिया में इंसानियत का सर शिद्दत के साथ बुलंद रहे। इसके साथ अमन की फिजा हमारे मुल्क को नई ताजगी के साथ खुशगवार बना सके।

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