कार्यबहिष्कार से चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं

गोंडा: केस एक - मंगलवार को जिला अस्पताल में विकलांग प्रमाणपत्र बनवाने आए सुमित सुबह आठ बजे से ही

By Edited By: Publish:Tue, 19 May 2015 10:25 PM (IST) Updated:Tue, 19 May 2015 10:25 PM (IST)
कार्यबहिष्कार से चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं

गोंडा:

केस एक

- मंगलवार को जिला अस्पताल में विकलांग प्रमाणपत्र बनवाने आए सुमित सुबह आठ बजे से ही लाइन लगाए हुए थे। यहां पर काफी देर इंतजार करने के बाद जब विकलांग प्रमाणपत्र का काउंटर नहीं खुला। काउंटर न खुलने से उन्हें मन मसोस कर वापस होना पड़ा। यहीं नहीं मंजीत, दीपक, राजू को भी वापस होना पड़ा।

केस दो

- महिला अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना का चेक लेने के लिए आई उर्मिला, सुशीला व प्रतिज्ञा को भरी दोपहरी में वापस होना पड़ा। यहां पर विभागीय कर्मियों ने बताया कि लिपिकों के हड़ताल पर होने के कारण समस्या आ रही है। साथ ही कई अन्य स्तर पर समस्याएं आई।

यह दो मामले, जिले में स्वास्थ्य विभाग के लिपिकों के कार्य बहिष्कार के कारण आई समस्या का सच बयां करने के लिए काफी है। दूसरे दिन भी यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के बैनर तले लिपिकों का कार्य बहिष्कार जारी रहा।

सीएमओ कार्यालय पर आयोजित धरने को संबोधित करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष एसपी ¨सह ने कहा कि जब तक समस्याओं का लिखित निराकरण नहीं हो जाता है, तब तक काम का बहिष्कार जारी रखा जाएगा। मंत्री श्रवण कुमार वर्मा ने कहा कि आंदोलन के दौरान अगर किसी का उत्पीड़न किया गया, तो संघ चुप नहीं बैठेगा। इस अवसर पर रणधीर ¨सह ने कहा कि उत्पीड़न नहीं सहा जाएगा।

क्या है मांगें

- लिपिकों के लंबित प्रोन्नति आदेश अतिशीघ्र जारी किए जाय।

- लिपिकों का समायोजन स्थानांतरण नीति के तहत मंडल में किया जाय।

- अधिसंख्य लिपिकों का समायोजन प्राथमिकता के आधार पर एक सप्ताह के अंदर किया जाय।

- आशुलिपिक एवं स्टोर कीपर की अलग से वरिष्ठता सूची जारी करके उनकी प्रोन्नति की जाय।

- मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद सृजित किये जाय।

- लिपिकों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर वर्ष 1997 में जारी शासनादेश के तहत कार्रवाई की जाय।

- लिपिक संवर्ग के कर्मियों के एसीपी स्वीकृत किए जाने एवं स्थाईकरण का अधिकार अन्य संवर्ग की भांति जनपद स्तर पर सीएमओ को प्रदान किया जाय।

- जिन कर्मियों के निलंबन के मामले में जांच रिपोर्ट आ गई है, उन मामलों में तत्काल निर्णय लेकर उनका निलंबन समाप्त किया जाय।

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