बीज गोदाम बंद होने पर फूटा किसानों का गुस्सा

जागरण संवाददाता जखनियां (गाजीपुर) स्थानीय ब्लाक मुख्यालय स्थित कृषि बीज गोदाम दोपहर 12 बजे तक

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Nov 2020 05:08 PM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 10:40 AM (IST)
बीज गोदाम बंद होने पर फूटा किसानों का गुस्सा
बीज गोदाम बंद होने पर फूटा किसानों का गुस्सा

जागरण संवाददाता, जखनियां (गाजीपुर) : स्थानीय ब्लाक मुख्यालय स्थित कृषि बीज गोदाम दोपहर 12 बजे तक बंद होने पर मंगलवार को किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। इस दौरान नारेबाजी कर आक्रोश जताया। साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों पर मनमानी का आरोप लगाया। खंड विकास अधिकारी संदीप कुमार के निर्देश पर गेहूं का बीज वितरित किया गया तब जाकर किसान शांत हुए।

किसानों का आरोप था कि आए दिन अधिकारी व कर्मचारी मनमानी करते हैं। इसकी शिकायत कई बार की गई। इसके बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है। सुबह 10 बजे गोदाम खुलने का समय है। बीज वितरित होने की सूचना पर सुबह किसानों की भीड़ लग गई। काफी देर बाद तक गोदाम न खुलने पर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। इसके बाद नारेबाजी करने लगे। दोपहर 12 बजे तक गोदाम इंचार्ज वेद प्रकाश नहीं आए थे। बीडीओ संदीप कुमार ने बीज वितरित कराने का निर्देश दिया। दोपहर बाद गोदाम इंचार्ज के आने पर बीज वितरित कराया गया। इधर, गोदाम इंचार्ज वेद प्रकाश का कहना था कि घर से आने में देर हो गया। 80-85 बोरा बीज किसानों को वितरित किया गया। इसमें करीब 25 किसान शामिल हैं। यहां पर 500 क्विटल गेहूं का बीज आया है। प्रदर्शन करने वालों में मनोज, इंद्रजीत, संजय, सरोज, रविप्रकाश आदि थे। पराली किसानों के लिए अभिशाप

जागरण संवाददाता, लौवाडीह (गाजीपुर) : पराली किसानों के लिए अभिशाप बन गई है। इस समस्या का निस्तारण न होने से खेतों में बोआई में विलंब हो रहा है। हार्वेस्टर पराली को छोटा कर दे रहा है लेकिन जोताई-बोआई संभव नहीं हो पा रही है। ऐसे में किसानों को मजदूरों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे खेती की लागत काफी बढ़ गई है। प्रति बीघे पराली को खेत से हटाने में लगभग चार हजार रुपये लग रहा है। वही हार्वेस्टर द्वारा पराली के काटने वाले यंत्र लगाने के कारण आठ सौ रुपये प्रति बीघे कटाई भी महंगी हो रही है। ऐसे में लागत लगभग पांच हजार रुपये बीघे हो जा रहा है। यह किसानों के लिए काफी अधिक है। करइल क्षेत्र में नहर और सरकारी नलकूप की कमी के कारण धान में काफी अधिक लागत आती है जिससे मुनाफा प्रति बीघे पांच से छह हजार होता है। ऐसे में पराली हटायी जाए तो मुनाफा शून्य रह जाता है। किसान राजकुमार यादव, संजय राय, आशुतोष राय, अनिल राय आदि का कहना है कि पराली हम लोगों की खेती के लिए अभिशाप बन गई है। अगर इसका कोई उचित समाधान नहीं निकाला गया तो इस क्षेत्र में किसानों और परेशान हो जाएंगे।

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