मनमानी करने वाले अस्पतालों की संख्या 25 के पार, दर्ज नहीं हो रही एफआइआर

जासं गाजियाबाद कोरोना काल में मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत एफ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 09:32 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 09:32 PM (IST)
मनमानी करने वाले अस्पतालों की संख्या 25 के पार, दर्ज नहीं हो रही एफआइआर
मनमानी करने वाले अस्पतालों की संख्या 25 के पार, दर्ज नहीं हो रही एफआइआर

जासं, गाजियाबाद: कोरोना काल में मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज कराने के शासन ने निर्देश दिए हैं। जिले में प्रशासन, पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम ने जांच कर ऐसे मामले पकड़े, जहां अस्पतालों में खाली बेड को फुल बताकर प्रशासन को गुमराह किया जा रहा था। प्रशासन ने जांच कर सभी मामलों की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को दी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अब तक एक भी मामले में एफआइआर नहीं कराई है।

मामला एक - 28 अप्रैल को लोहिया नगर स्थित नागर अस्पताल में टीम जांच के लिए पहुंची तो मेडिकल स्टोर संचालक 250 रेमडेसिविर इंजेक्शन का हिसाब नहीं दे सका। खास बात यह है कि मेडिकल स्टोर पर इंजेक्शन नागर अस्पताल के कोविड अस्पताल बनने से पहले से मंगाए जा रहे थे। मामला दो: 30 अप्रैल को गोविदपुरम स्थित पेलेटिव अस्पताल और सुशील अस्पताल में टीम ने निरीक्षण किया। पेलेटिव अस्पताल में कोविड वार्ड में गैर संक्रमित को भर्ती किया गया था, जिससे की खाली बेडों को फुल दिखाया जा सके। उपचार के लिए चिकित्सक भी अस्पताल में मौजूद नहीं थे। वहीं सुशीला अस्पताल में भी खाली बेड मिले थे। दोनों अस्पतालों में लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की गई। पेलेटिव अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया गया और सुशीला का लाइसेंस निलंबित किया गया। एफआइआर दोनों में किसी अस्पताल पर नहीं करवाई गई है।

मामला तीन : दो मई को वसुंधरा स्थित ले क्रेस्ट अस्पताल में जांच के लिए संयुक्त टीम पहुंची तो बाहर बेड फुल का बोर्ड लगा नजर आया जबकि अंदर बेड खाली मिले। इस मामले में रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी गई है।

मामला चार: तीन मई को प्रताप विहार स्थित फ्लोरेस अस्पताल में संयुक्त टीम ने निरीक्षण किया तो यहां पर 17 बेड खाली मिले। बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण में भी लापरवाही सामने आई, स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई नहीं की। मामला पांच : नौ मई को शिप्रा सनसिटी में निजी अस्पताल का कर्मचारी और स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर कार्यरत महिला स्वास्थ्यकर्मी पैसे लेकर घरों में लोगों को कोरोनारोधी टीका लगाते हुए पकड़ा गया था। दोनों को थाने ले जाया गया। एसीएम विनय कुमार सिंह ने इस मामले की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को दी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने एफआइआर दर्ज नहीं करवाई। दोनों आरोपितों को थाने से छोड़ दिया गया। मामला छह: 18 मई को पता चला कि मलेरिया विभाग में कार्यरत सुपरवाइजर अविनाश सिंह की लखनऊ में रहने पर भी गाजियाबाद में ड्यूटी पर हाजिरी लग रही थी। इसकी गोपनीय शिकायत नोडल अधिकारी सेंथिल पांडियन सी को दी गई। उन्होंने अपर नगर मजिस्ट्रेट विनय कुमार सिंह और नगर आयुक्त को मामले की जांच सौंपी। मनमानी बिल वसूलने की मिल रही शिकायत: शासन ने कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए शुल्क निर्धारित किया है लेकिन जिले में अस्पतालों ने मरीजों का इलाज कर मनमानी शुल्क वसूला है। निर्धारित शुल्क से डेढ़ गुना और दो गुना अधिक की वसूली की गई है। 20 से अधिक ऐसे अस्पतालों की शिकायत जिला प्रशासन के पास अब तक पहुंची हैं। किसी के खिलाफ अब तक एफआइआर नहीं की गई है। बयान

पूर्व के मामलों में जांच कर रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई है। नए मामलों की जांच की जा रह है। जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।

- विनय कुमार सिंह

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