कोलकाता से जब दिल्‍ली बनी राजधानी तब गाजियाबाद की माटी से बना था संसद भवन, पढ़ें रोचक स्‍टोरी

इतिहासकार विघ्नेश कुमार की किताब में कैला भट्ठा की मिट्टी से कनाट प्लेस समेत अन्य सरकारी इमारतों के बनने की बात लिखी है। गाजियाबाद का कैला भट्ठा इलाका मुगलकाल में वर्ष 1740 में बसा था। इसमें कैला गांव की जमीन 52500 बीघा थी जो मॉडल टाउन तक फैली थी।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Tue, 06 Oct 2020 07:32 PM (IST) Updated:Tue, 06 Oct 2020 07:32 PM (IST)
कोलकाता से जब दिल्‍ली बनी राजधानी तब गाजियाबाद की माटी से बना था संसद भवन, पढ़ें रोचक स्‍टोरी
गाजियाबाद का कैला भट्ठा इलाका मुगलकाल में वर्ष 1740 में बसा था।

गाजियाबाद, हसीन शाह। देश की राजधानी दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस गाजियाबाद के कैला भट्ठा की माटी धड़क रही है। कैला गांव में बनी ईटों से कनाट प्लेस में इमारतें बनाई गई थीं। आज भी कनाट प्लेस की इमारतें मजबूती से खड़ी हुई हैं। यहां पर देश-विदेश के लोग खरीदारी करने आते हैं। कैला भट्ठा के निवासियों का दावा है कि यहां बनी ईंटों से दिल्ली का संसद भवन बनाया गया था।

इतिहासकार विघ्नेश कुमार की किताब में कैला भट्ठा की मिट्टी से कनाट प्लेस समेत अन्य सरकारी इमारतों के बनने की बात लिखी है। गाजियाबाद का कैला भट्ठा इलाका मुगलकाल में वर्ष 1740 में बसा था। इसमें कैला गांव की जमीन 52,500 बीघा थी, जो मॉडल टाउन तक फैली थी। इसके अलावा मकनपुर पूरे साहिबाबाद का इकलौता गाव था। कैला गांव के रहने वाले निवासियों का कहना है कि ग्रामीणों को रोजगार देने और शहर को बसाने के लिए कैला गांव के बाहर भट्टे बनाए गए थे।

भट्ठों से बनने वाली ईंट दिल्ली, मेरठ और हापुड़ व गढ़ मुक्तेश्वर तक जाती थी। मेरठ यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के शिक्षाविद रहे विघ्नेश कुमार ने गाजियाबाद के इतिहास में लिखा है कि वर्ष 1911 में जब कोलकाता से स्थानांतरित होकर देश की राजधानी दिल्ली को बनाया गया तो उस दौरान अनेक सरकारी इमारतों और विशेष तौर से कनॉट प्लेस के बनाने में कैला भट्ठा में बनी ईंट लगाई गई थीं।

इसके बाद से यह गांव कैला भट्ठा के नाम से मशहूर हो गया था। कैला भट्ठा के लोगों का कहना है कि उन्हें अपनी पुरानी पीढ़ियों से इस बात की जानकारी मिली थी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि आबादी बढ़ने पर विकास की राह में आ रहे भट्ठों को तोड़कर वहां अपने मकान बना दिए गए। मरकज मजिस्द के पास वाली जमीन पर भट्ठे बने थे, जिसके मालिक मिर्जा साहब थे, जिन्होंने भट्ठों की देखरेख के लिए इब्बू खां को रखा था। बाद में इब्बू खां ही भट्ठों के मालिक कहलाए थे। आज भी इब्बू खां का परिवार के कुछ सदस्य गाजियाबाद में ही रहते हैं।

कैला भट्ठे की ईंटों से बना गया था राष्ट्रपति सांसद भवन

स्थानीय निवासियों का दावा है कि कैला गांव के भट्ठों से गई इंटों से राष्ट्रपति भवन और संसद भवन बना है। सैंकड़ों मजदूरों को भट़्ठों पर काम करते थे। मजदूर घोड़े तांगे से ईटों को लेकर जाते थे।

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