ओडीओपी योजना में सिर्फ आठ उद्यमियों को मिला लोन

एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत जनपद इंजीनियरिग गुड्स के लिए चुना गया। जनपद से सिमटते उद्योग जगत को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को शासन ने सब्सिडी के तहत ऋण देने की योजना शुरू की थी। इसके तहत 6

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 08:33 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 06:24 AM (IST)
ओडीओपी योजना में सिर्फ आठ उद्यमियों को मिला लोन
ओडीओपी योजना में सिर्फ आठ उद्यमियों को मिला लोन

शाहनवाज अली, गाजियाबाद

एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत जनपद इंजीनियरिग गुड्स के लिए चुना गया। जनपद से सिमटते उद्योग जगत को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को शासन ने सब्सिडी के तहत ऋण देने की योजना शुरू की थी। इसके तहत 68 आवेदकों में 11 आवेदन बैंकों ने ऋण देने के लिए स्वीकृत किए, जिनमें से आठ को ही बैंकों से ऋण वितरित किया गया। एक ऐसे उद्यमी का दो करोड़ रुपये का ऋण अंतिम तिथि में टाल दिया, जिसकी सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद मार्जिन मनी जमा करा चुका था।

प्रदेश सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नए उद्योगों को बैंकों से सब्सिडी ऋण मुहैया कराया जाना था। वित्तीय वर्ष 2018-19 में इस योजना के तहत गाजियाबाद से 68 नए उद्यमियों ने उद्योग लगाने को ऋण के लिए आवेदन किया, जिसमें चयन समिति ने 37 उद्यमियों के 19 करोड़ 41 लाख रुपये के आवेदन स्वीकृत करते हुए संबंधित बैंकों को भेज दिए। यहां बैंकों ने इन 37 उद्यमियों में से 11 के आवेदन स्वीकृत करते हुए आठ करोड़ 85 लाख 42 लाख के 11 आवेदन स्वीकृत किए। तमाम प्रक्रियाएं पूर्ण होने के बाद सिर्फ आठ उद्यमियों को चार करोड़ एक लाख 42 हजार का ऋण वितरित किया। दो करोड़ रुपये का ऋण लेने के लिए मार्जिन मनी के रूप में सिडीकेट बैंक को 20 लाख रुपये की मार्जिन मनी जमा करने वाले उद्यमी मोहित गुप्ता वह जम्मू कश्मीर में सुरंग में पाइप व जाली सरकार को सप्लाई करते हैं। चार करोड़ के ऋण के लिए उन्होंने आवेदन किया। दो करोड़ का स्वीकृत हुआ और ऐन वक्त पर इंकार कर दिया गया। वह जम्मू से गाजियाबाद एक औद्योगिक इकाई लगाने के लिए यहां आए थे, जो अधर में लटक गई है। यही कारण रहा कि जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र की ओर से दी जाने वाली एक करोड़ पांच लाख रुपये की सब्सिडी दी जानी थी, जो सिर्फ 62 लाख 93 हजार की ही वितरित हो सकी। रोजगार व साख को बट्टा

योजना के तहत लघु व बड़े उद्योगों ने यहां दिलचस्पी दिखाई, लेकिन ऋण न मिलने के कारण उनके प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सके। इससे रोजगार के अवसरों को बड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही गाजियाबाद जनपद से पलायन करते उद्योगों की बनने वाली साख पर भी यह धब्बा साबित हुआ है। बता दें कि पिछले कई दशक से कोई बड़ा उद्योग नहीं लगा है, लेकिन काफी संख्या में छोटे-बड़े उद्योग धंधे बंद हुए हैं।

बैंकों में आपसी खींचतान का नुकसान उद्यमियों को उठाना पड़ रहा है। एक करोड़ 60 लाख के प्रोजेक्ट के लिए आवेदन किया था, जो बैंक में भी स्वीकृत हो गया। बैंकों ने ओडीओपी योजना को हल्के में लिया और इसे सिर्फ एक कागज का टुकड़ा मानकर अपनी मनमानी की। यहां बैंकों के अधिकारियों में आपसी राजनीति के चलते उनको ऋण नहीं हो पाया।

- विनयशील बंसल, उद्यमी

ओडीओपी के तहत उद्यमियों को ऋण मिले इसके लिए हमने अपनी ओर से हरसंभव प्रयास किया है, जिनकी प्रक्रियाएं पूर्ण मिली उन्हें बैंकों ने ऋण उपलब्ध भी कराए हैं। एक मामला मेरे संज्ञान में है, जो अटका है। स्वीकृत तो पिछले वित्तीय वर्ष में हो चुका है। जल्द ही उद्यमी को लोन उपलब्ध करा दिया जाएगा।

- एसएन मिश्रा, लीड बैंक मैनेजर

बैंकों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला है। पर्याप्त समय में पर्याप्त आवेदन बैंकों को भेज दिए जाने के बावजूद वहां से उद्यमियों के लिए कोई खास रिस्पांस नहीं मिला। यही वजह है कि उद्यमियों ने यहां पांव जमाने की कोशिश की। लीड बैंक मैनेजर के प्रयास को छोड़ दें, लेकिन बैंकों की ओर से आनाकानी में उद्योग लगाने के लिए उद्यमियों को ऋण नहीं मिल सका। उद्योग लगते तो रोजगार के अवसर भी बढ़ते।

- बीरेंद्र कुमार, उपायुक्त जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र

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