जलता रहा कूड़ा, धुएं से राहगीर हुए परेशान

फीरोजाबादजागरण संवाददाता। वाह रे जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर। रविवार पूरे दिन हाईवे किनारे नगला गोला चौराहे के पास कूड़ा जलाया जाता रहा। पूरा इलाका धुंआ-धुंआ होता रहा। लेकिन किसी अफसर की निगाह इस तरफ नहीं गई। राजा का ताल नगला गोला और आसपास के इलाकों का कूड़ा-करकट एकत्रित कर यहां फेंक दिया जाता है। बाद में इसमें आग लगा दी जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Apr 2019 11:37 PM (IST) Updated:Tue, 09 Apr 2019 06:18 AM (IST)
जलता रहा कूड़ा, धुएं से राहगीर हुए परेशान
जलता रहा कूड़ा, धुएं से राहगीर हुए परेशान

फीरोजाबाद,जागरण संवाददाता। वाह रे जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर। रविवार पूरे दिन हाईवे किनारे नगला गोला चौराहे के पास कूड़ा जलाया जाता रहा। पूरा इलाका धुंआ-धुंआ होता रहा। लेकिन किसी अफसर की निगाह इस तरफ नहीं गई। राजा का ताल, नगला गोला और आसपास के इलाकों का कूड़ा-करकट एकत्रित कर यहां फेंक दिया जाता है। बाद में इसमें आग लगा दी जाती है।

टीटीजेड क्षेत्र में शामिल होने की वजह से फीरोजाबाद में कूड़ा-करकट नहीं जलाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी का इस बारे में आदेश है। लेकिन यहां इनके आदेशों की आए दिन धज्जियां उड़ायी जाती हैं। रविवार सुबह करीब नौ बजे किसी ने यहां कूड़े के ढेर में आग लगा दी। पूरे दिन तेज हवा चलने से आग फैलती गई और नगला गोला इलाके में धुआं छा गया। इस स्थिति से फिजां में प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद भी 20 ईंट-भट्ठे जनपद में धुंआ उगल रहे हैं। 15 साल पुराने करीब दो हजार वाहन भी धुंआ छोड़ रहे हैं। जगह- जगह जलते कूड़े और भट्ठियां जिम्मेदार अफसरों को नजर नहीं आ रहीं। यही वजह कि इन दिनों यहां के वायुमंडल में पीएम 10 की मात्रा सामान्य मानक से तीन गुना यानी 300 माइक्रोग्र्राम क्यूबिक मीटर के आसपास है।

कागजों में कैद एक्शन प्लान:

टीटीजेड में शामिल फीरोजाबाद में भी इस समस्या से निपटने के लिए डेढ़ दशक पहले एक्शन प्लान बनाया गया था। परंतु इसका क्रियान्वयन कागजों पर हो रहा है। समस्या से निपटने के लिए न सरकारी महकमा सजग हैं न ही कारोबारी।

वर्जन-

नगला गोला के पास कूड़ा जलाए जाने की जानकारी नहीं है। हाईवे किनारे कूड़ा कौन लोग डाल रहे हैं। इस बारे में जानकारी कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. जेपी सिंह, वैज्ञानिक अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

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