अफसरों पर योगी मंत्र का असर नहीं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सूबे की सरकार का पहला फरमान अफसरों के गले नहीं उतर रहा है। कर्मचारि

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Mar 2017 07:32 PM (IST) Updated:Sat, 25 Mar 2017 07:32 PM (IST)
अफसरों पर योगी मंत्र का असर नहीं
अफसरों पर योगी मंत्र का असर नहीं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सूबे की सरकार का पहला फरमान अफसरों के गले नहीं उतर रहा है। कर्मचारियों की कार्यशैली में मामूली परिवर्तन नजर आने लगा है, लेकिन अफसर तो अपने ही अंदाज में हैं। आए दिन होने वाली बैठकें और जांच की आड़ में अफसरों के मातहतों को भी खूब छूट मिली हुई है। अहम बात यह है कि जिले से बाहर बैठक में जाने वाले अधिकारी किसी प्रतिनिधि को भी जनता की समस्याओं को सुनने के लिए कार्यालय में जिम्मेदारी नहीं सौंपते।

घड़ी की सुई ठीक दस बजकर पांच मिनट बजा चुकी है। जागरण टीम बेवर रोड स्थित ¨सचाई विभाग के कार्यालय में थी। अधिशासी अभियंता आलोक चतुर्वेदी का कक्ष खुल चुका है, लेकिन कुर्सी को उनके आने का इंतजार है। कैशियर के कक्ष में ताला लटक रहा है। कोई भी सहायक या अवर अभियंता कार्यालय में नहीं है। लिपिक अनूप, दुर्गेश कुमार, बृजेश मिश्रा, राघवेंद्र आदि मौजूद थे। अधिशासी अभियंता के बारे में कोई कर्मचारी जानकारी नहीं दे सका। कई बार फोन मिलाने पर भी अधिशासी अभियंता ने फोन नहीं उठाया, लिहाजा उनका पक्ष नहीं मिल सका।

इसके बाद जागरण टीम बेवर रोड पर ही स्थित नलकूप विभाग के कार्यालय पहुंची। अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार कार्यालय में नहीं थे। कैशियर विकास जौहरी भी अनुपस्थित थे। कौशलेश नाम के कर्मचारी मौजूद मिले। जागरण टीम जब कार्यालय से निकल रही थी तो अधिशासी अभियंता अपने कार्यालय कक्ष की ओर भागते नजर आ रहे थे।

जलनिगम के अधिशासी अभियंता पंकज यादव के कार्यालय में लगी घड़ी साढ़े दस बजा रही थी। कार्यालय का आलम शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अधिशासी अभियंता कार्यालय में नहीं थे। तीन सहायक अभियंता बृजेश कुमार, धनकड़ ¨सह और साहिब ¨सह कुशवाहा भी कार्यालय से अनुपस्थित थे। इन लोगों के कक्ष के बाहर, लेकिन कार्यालय परिसर के अंदर बाइक खड़ी हुई थी। सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्यालय का हाल कैसा रहता है।

जिम्मेदार कहते हैं

जलनिगम के अधिशासी अभियंता पंकज यादव ने बताया कि वह कानपुर कार्यालय में आयोजित बैठक में प्रतिभाग करने गए हुए थे। एक सहायक अभियंता को सीडीओ जांच में साथ ले गए थे, जबकि एक सहायक अभियंता की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगी हुई है।

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