रामनगरी में सज रही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिर की साध

अयोध्या गत वर्ष नौ नवंबर को सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के साथ ही रामजन्मभूमि पर भव्यतम मंदिर का स्वप्न सजने लगा था। हालांकि इसी वर्ष 19 फरवरी को मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के विस्तार के साथ रामजन्मभूमि न्यास के मॉडल के अनुरूप निर्माण मुकर्रर होने से ऐसी संभावनाओं पर विराम लग गया पर इसी सप्ताह से भव्यतम मंदिर निर्माण के हामी नए सिरे से सक्रिय हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 12:40 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 12:40 AM (IST)
रामनगरी में सज रही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिर की साध
रामनगरी में सज रही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिर की साध

अयोध्या : गत वर्ष नौ नवंबर को सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के साथ ही रामजन्मभूमि पर भव्यतम मंदिर का स्वप्न सजने लगा था। हालांकि इसी वर्ष 19 फरवरी को मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के विस्तार के साथ रामजन्मभूमि न्यास के मॉडल के अनुरूप निर्माण मुकर्रर होने से ऐसी संभावनाओं पर विराम लग गया, पर इसी सप्ताह से भव्यतम मंदिर निर्माण के हामी नए सिरे से सक्रिय हैं। मंदिर आंदोलन के नायकों में शुमार रहे पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर राममंदिर अत्यंत भव्य और एक हजार 111 फीट ऊंचा बनाए जाने की मांग की है। ..तो शनिवार की शाम दिगंबर अखाड़ा में दर्जन भर से अधिक शीर्ष महंतों ने बैठक कर रामजन्मभूमि पर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मंदिर बनाए जाने की मांग की। यह साध यूं ही नहीं है। इस साध के पीछे आध्यात्मिक-सांस्कृतिक क्षितिज पर भगवान राम की अछ्वुत-अद्वितीय हैसियत है बल्कि रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए 491 वर्ष तक चला सुदीर्घ संघर्ष है। रामादल के अध्यक्ष पं. कल्किराम के अनुसार आज हमें भव्यतम मंदिर का महान अवसर मिला है और यदि इस अवसर का सदुपयोग नहीं हुआ, तो यह राष्ट्रीय अस्मिता से घात होगा। सुप्रसिद्ध कथाव्यास पं. राधेश्याम शास्त्री कहते हैं, रामजन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर दुनिया की निगाह में है और यह वैश्विक स्तर का होना चाहिए। यदि यह संभव नहीं हुआ, तो अयोध्या की हेठी होगी। पं. कल्किराम और शास्त्री जैसे लोग भव्यता की मिसाल माने जाने वाले कंबेाडिया के अंकोरवाट मंदिर, तमिलनाडु के त्रिची नामक स्थान पर श्रीरंगनाथ मंदिर (श्रीरंगम) और दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर का उदाहरण देते हैं और कहते हैं कि राममंदिर 21वीं सदी के तीसरे दशक में बन रहा है, तो इसमें इन मंदिरों से भी अधिक भव्यता का समावेश होना चाहिए।

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चाहत के आगे नहीं टिकता न्यास का मॉडल

- रामलला के भव्यतम मंदिर की चाहत के बीच रामजन्मभूमि न्यास की ओर से तीन दशक पूर्व प्रस्तावित मॉडल के आकार-प्रकार की समीक्षा भी हो रही है। 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा एवं 128 फीट ऊंचा बनने वाला यह मंदिर भी भव्यता का पर्याय है, पर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मंदिर बनाए जाने की चाहत के आगे यह मंदिर नहीं टिक रहा है।

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70 एकड़ में संभव है भव्यतम मंदिर का निर्माण

- सर्वश्रेष्ठ मंदिर की मांग कर रहे संतों का कहना है कि रामजन्मभूमि न्यास का नक्शा 2.77 एकड़ भूमि को ध्यान में रख कर बनाया गया था और तत्कालीन परिस्थितियों में इस आकार-प्रकार के मंदिर की कल्पना भी बहुत मुश्किल थी, पर आज यदि मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ भूमि सुलभ हुई है, तो मंदिर का निर्माण भी उसी आधार पर होना चाहिए और ऐसे में 70 एकड़ यानी पौने तीन लाख वर्ग मीटर से अधिक भू क्षेत्र में विस्तृत राममंदिर के सामने सपनों के अनुरूप दुनिया के भव्यतम मंदिरों में शुमार होना असंभव नहीं है।

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