अयोध्या में विवाद की बुनियाद पर परवान चढ़ी सौहार्द की मुहिम
ढांचा ध्वंस की घटना निश्चित रूप से यहां के हिंदू -मुस्लिम संबंधों की अग्निपरीक्षा लेने वाली रही...तो इस बुनियाद पर सौहार्द की कोशिशें भी परवान चढ़ीं।
अयोध्या [रघुवरशरण]। भगवान राम की नगरी में 25 वर्ष पहले ढांचा ध्वंस की घटना निश्चित रूप से यहां के हिंदू -मुस्लिम संबंधों की अग्निपरीक्षा लेने वाली रही...तो इस बुनियाद पर सौहार्द की कोशिशें भी परवान चढ़ीं। सितंबर 2010 में मंदिर-मस्जिद विवाद का निर्णय हाईकोर्ट से आने के पूर्व सौहार्द की दिशा में गंभीर कोशिश शुरू हुई।
बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी से जुड़े शीर्ष महंत ज्ञानदास के साथ बाबरी मस्जिद के बुजुर्ग मुद्दई मो. हाशिम अंसारी आगे आए और आपसी सहमति से मंदिर-मस्जिद विवाद के समाधान की मुहिम छेड़ी। यह मुहिम भले ही कामयाब नहीं हो पाई पर यह संदेश जरूरत बुलंद हुआ कि दोनों पक्ष के लोग मंदिर-मस्जिद विवाद के सौहार्दपूर्ण हल को लेकर गंभीर हैं।
इस प्रयास को शिरोधार्य करने के लिए राष्ट्रीय एकता की मुहिम संचालित करने वाले मङ्क्षनदरजीत ङ्क्षसह बिट्टा एवं संजय डालमिया जैसे किरदार भी रामनगरी पहुंचे। इसी बीच सेवानिवृत्त जस्टिस पलोक बसु के संयोजन में भी सहमति की मुहिम परवान चढ़ी। बसु के संयोजन में गठित अयोध्या-फैजाबाद नागरिक समझौता समिति ने वर्षों की मुहिम के बाद दस हजार से भी अधिक स्थानीय हिंदुओं एवं मुस्लिमों के हस्ताक्षर एकत्र किए, जिसमें जिस स्थल पर रामलला विराजमान हैं, वहां मंदिर निर्माण एवं 67.77 एकड़ के अधिग्रहीत परिसर की पूर्वी-दक्षिणी सीमा पर मस्जिद निर्माण प्रस्तावित किया गया।
समझौता समिति की ओर से समझौता का प्रस्ताव 10 हजार से अधिक हस्ताक्षर के साथ सुप्रीमकोर्ट में प्रस्तुत है और समिति को उम्मीद है कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट उसके प्रस्ताव को भी संज्ञान में लेगा। इसी वर्ष 21 मार्च को सुप्रीमकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने आपसी सहमति से मसले के हल का सुझाव दिया और इसी के साथ ही थोक के भाव सहमति का प्रयास शुरू हुआ। मुस्लिम कारसेवक मंच के अध्यक्ष आजम खां एवं अयोध्या से ही लगे ग्राम सहनवां के रहने वाले युवा मुस्लिम नेता बब्लू खान की कोशिशों को भी आपसी सहमति के सुझाव से ऊर्जा मिली। यह लोग विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से गत एक वर्ष के दौरान यहां पर राम मंदिर के समर्थन में जागरण अभियान चला रहे हैं।
बीते महीने ही शीर्ष संत श्रीश्री रविशंकर आपसी सहमति के प्रयास में अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई शुरू होने की तारीख सिर पर आ जाने की वजह से भले ही सौहार्द के प्रयास की भूमिका का औचित्य सिमट गया हो पर ऐसी कोशिशें थमी नहीं है। गत सप्ताह ही शनिधाम में स्वामी हरिदयाल, बब्लू खान, सरदार चरनजीत ङ्क्षसह, रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण समन्वय समिति के अध्यक्ष आचार्य नारायण मिश्र आदि ने मंदिर-मस्जिद विवाद के फलक पर सौहार्द का संदेश देने के लिए एक साथ हवन किया और गुरुद्वारा पहुंचकर अरदास भी की। बब्लू खान के अनुसार ऐसे मुस्लिमों की कमी नहीं है, जो मंदिर के समर्थन में खड़े होकर यह साबित करना चाहते हैं कि हिंदुओं की भावना का वह लोग पूरा आदर करते हैं।