After Ayodhya Verdict : दिग्गज अधिवक्ता केशव परासरन की हसरत रामलला के मंदिर में रामायण पाठ की

After Ayodhya Verdict रामलला की सफलतापूर्वक पैरवी करने वाले 92 वर्षीय दिग्गज अधिवक्ता के. परासरन की हसरत रामलला के बनने वाले भव्य मंदिर में वाल्मीकि रामायण का पाठ करने की है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 25 Nov 2019 11:00 PM (IST) Updated:Mon, 25 Nov 2019 11:03 PM (IST)
After Ayodhya Verdict : दिग्गज अधिवक्ता केशव परासरन की हसरत रामलला के मंदिर में रामायण पाठ की
After Ayodhya Verdict : दिग्गज अधिवक्ता केशव परासरन की हसरत रामलला के मंदिर में रामायण पाठ की

अयोध्या, जेएनएन। करीब 40 वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट में रामलला की सफलतापूर्वक पैरवी करने वाले 92 वर्षीय दिग्गज अधिवक्ता के. परासरन की हसरत रामलला के बनने वाले भव्य मंदिर में वाल्मीकि रामायण का पाठ करने की है। परासरन रामलला के साथ वाल्मीकि रामायण के अनन्य अनुरागी हैं। 

गत सात-आठ दशक से वाल्मीकि रामायण का पाठ उनकी नित्य पूजा में शुमार है। रामलला के अधिग्रहीत परिसर से कुछ ही फासले पर स्थित अमावा राममंदिर पहुंचे परासरन ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल से भेंट की। आचार्य कुणाल भी वाल्मीकि रामायण के अनुरागी हैं। दोनों दिग्गजों ने वाल्मीकि रामायण के वैशिष्ट्य में डुबकी लगाई। पूर्व में भी उनकी भेंट में रामायण का अनुशीलन विषय बनता रहा। सुप्रीम फैसला आने के बाद के उल्लासपूर्ण क्षणों में भेंट के दौरान दोनों दिग्गजों ने तय किया कि वे एक साथ रामलला के मंदिर में रामायण का पाठ करना चाहेंगे। 

इससे पूर्व आचार्य कुणाल ने परासरन को स्मृतिचिह्न एवं उत्तरीय भेंट कर उनका अभिनंदन किया। परासरन आचार्य कुणाल की संस्था निखिल भारतीय तीर्थ विकास समिति के संस्थापक ट्रस्टी भी हैं। आचार्य कुणाल का परासरन से जुड़ाव रामजन्मभूमि की पैरवी के चलते भी है। कुणाल न केवल सुप्रीमकोर्ट में मंदिर के अहम पक्षकार रहे हैं बल्कि अयोध्या विवाद पर केंद्रित उनकी शोधपूर्ण कृति 'अयोध्या रिविजिटेड' सुप्रीम फैसले में अहम आधार भी बनी। गुजरात के एडीजी रहते स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पूर्व आचार्य कुणाल चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री रहते पीएमओ में अयोध्या सेल के जिम्मेदार अधिकारी की भूमिका का भी निर्वहन कर चुके हैं। 

उनकी योजना रामलला के दर्शनार्थियों को मुफ्त भोजन सुलभ कराने की दृष्टि से राम रसोई संचालित करने की है। इसकी शुरुआत एक दिसंबर को राम विवाहोत्सव के दिन होनी है।

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