रामनगरी में वैभव से निकली जगन्नाथ की यात्रा

फैजाबाद : पुरी में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की पौराणिक रथयात्रा की परंपरा स्मृति रामनगरी में

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jun 2017 11:28 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jun 2017 11:28 PM (IST)
रामनगरी में वैभव से निकली जगन्नाथ की यात्रा
रामनगरी में वैभव से निकली जगन्नाथ की यात्रा

फैजाबाद : पुरी में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की पौराणिक रथयात्रा की परंपरा स्मृति रामनगरी में भी प्रवाहमान हुई। दर्जनों मंदिरों से भगवान को रथ में पूरी साज-सज्जा और भव्यता से अधिष्ठित कर यात्रा निकाली गई। रथ पर सवार आराध्य के आगे-पीछे भजन-कीर्तन करते श्रद्धालु, बैंड की धुन और हाथी-घोड़ों की बरात पारंपरिक वैभव बयां करने वाली रही। मणिरामदास जी की छावनी से निकली रथयात्रा में महंत नृत्यगोपालदास ने बड़ी संख्या में संतों एवं श्रद्धालुओं के साथ शिरकत की। दशरथमहल बड़ास्थान से ¨वदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य के संयोजन में निकली रथयात्रा भी भव्यता की वाहक रही। महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने विधि-विधान से विग्रहों का पूजन किया। तदुपरांत आराध्य को रथ पर सवार कराने के साथ कोई चार किलोमीटर लंबी रथयात्रा रवाना हुई। बड़ास्थान के करीब ही स्थित रामकचहरी मंदिर एवं उसी के बगल स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के लिए यह मौका सालाना उत्सव की तरह रहा। जगन्नाथ मंदिर से महंत राघवदास के संयोजन में रथयात्रा के साथ श्रद्धालु भक्ति की छटा बिखेरते हुए रवाना हुए। बुंदेली लोक नृत्य दीवाली की प्रस्तुति ने समां बांधा। हनुमतनिवास, रामहर्षणकुंज आदि मंदिरों से भी निकली यात्रा यादगार रही। कई ऐसी यात्राएं रहीं, जिनमें भव्यता का संकट था पर भाव भरपूर था। कोई कार में तो कोई रिक्शे पर अपने आराध्य को सैर कराने के लिए निकला था।

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इनसेट- शनिधाम से निकली सछ्वावना यात्रा

भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा शनिधाम से निकली सदभावना यात्रा के रूप में भी अर्पित हुई। शनिधाम के संचालक ज्योतिष गुरु स्वामी हरिदयाल के संयोजन में तिरंगा ले निकले ¨हदू-मुस्लिम तथा संत-मौलाना ¨हदू-मुस्लिम साथ चलेगा एकता का राज चलेगा एवं भारत माता की जय का नारा लगाता हुआ सरयू तट स्थित संत रामचंद्रदास परमहंस की समाधि की ओर रवाना हुआ। समाधि पर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ को नमन किए जाने के साथ परमहंस की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर स्वामी हरिदयाल ने कहा, भगवान जगन्नाथ निर्मल प्रेम और मानवता के दूत हैं और उनसे जुड़े पर्व पर देश के ¨हदुओं-मुस्लिमों को निर्मल प्रेम का व्रत लेना होगा। उन्होंने कहा, इस सच्चाई को समझना-स्वीकार करना जरूरी है। हमें देश को पुन: परम वैभव की ओर पहुंचाना होगा और इसके लिए दोनों संप्रदायों में आपसी प्रेम पहली शर्त है। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की मुहिम चलाकर सदभाव का परिचय देने वाले बब्लू खान ने कहा, मुस्लिमों को ¨हदुओं का विश्वास जीतना होगा और सच्चाई के प्रति अपना दिल बड़ा करते हुए रामजन्मभूमि ¨हदुओं को सौंप देना चाहिए। यात्रा में दशरथगद्दी के महंत बृजमोहनदास, कारोबारी मो. शोएब बब्बू खान, मित्र मंच के प्रदेश प्रभारी शरद पाठक, रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण समंवय समिति के अध्यक्ष एवं परमहंस के शिष्य आचार्य नारायण मिश्र, भजन गायक देवेंद्र पाठक, राष्ट्रीय एकता मिशन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्रा दुबे, अदनान खान, नूरुल सिद्दीकी, सभाजीत तिवारी, सिराज अहमद, सिद्धार्थ यादव आदि शामिल हुए। नारायण मिश्र ने समाधि पर यात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहा, ऐसे प्रयास से परमहंस जी की आत्मा को शांति मिलेगी।

खूब आई रामघाट की याद

रथयात्रा के दौरान रामघाट की खूब याद आई। कुछ दशक पूर्व तक रथयात्रा वृक्षों की कतार और सरयू से सिक्त कच्ची भूमि से गुजरकर रामघाट तक पहुंचती थी, श्रद्धालु आराध्य के साथ वहीं के मनोरम परिवेश का पान करते थे। आज रामघाट का वजूद मिट चुका है और रथयात्रा प्राकृतिक रमणीयता से दूर पक्की सड़क एवं भीड़-भाड़ से गुजर कर संत तुलसीदास घाट की ओर जाने को विवश है।

जगद्गुरु ने किया यात्रा का स्वागत

रथयात्राओं का जगह-जगह स्वागत हुआ। रामघाट स्थित हरिधाम पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के संयोजन में रथ में विराजमान भगवान की आरती उतारी गई और यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई। हरिधाम के सामने ही राघव मंदिर के महंत कुलदीपदास के संयोजन में भी की ओर से भी रामवल्लभाकुंज, रामकुंज, आदि मंदिरों के सामने भी बड़ी संख्या में मौजूद संतों एवं श्रद्धालुओं ने रथयात्रा का स्वागत किया।

भगवान को अंत:करण से पुकारें: नृत्यगोपालदास

परंपराओं को जीवित रखना और उसे सर्वव्यापी स्वरूप देना संतों-भक्तों का कर्तव्य है। जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा समाज में समरसता और उत्सवधर्मिता का संदेश देती है। यह विचार रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास के हैं। उन्होंने कहा भगवान हर युग भक्तों को दर्शन देने के लिये प्रकट होते हैं अवश्यकता है, भक्त उन्हें अंत:करण से पुकारें। इस अवसर पर कृपालु रामदास पंजाबी बाबा,

सीताराम नाम बैंक के मैनेजर पुनीतरामदास, महंत रामगोपालदास, जानकीदास, पुजारी राममिलन, ब्राह्मणदास, आचार्य श्रुतिुतिधर, स्वामी देवेशाचार्य, विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरदशर्मा आदि ने भगवान जगन्नाथ का रथ खींचकर पुण्य अर्जित किया।

कड़वा बाबा के आश्रम से भावपूर्वक विदा हुईं 'सुभद्रा'

गोलाघाट के उदासीन आश्रम परिसर स्थित रामदास कड़वा बाबा ने भगवान जगन्नाथ की प्रिय बहन सुभद्रा के विग्रह को भाव-भीनी विदाई दी। पौराणिक परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी से आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के बीच के 21 दिन मौसी के घर गुजारकर वापस भाई के घर आती हैं। भगवान जगन्नाथ की यह परंपरा रामकोट स्थित रामकचहरी मंदिर एवं कड़वा बाबा के बीच कई वर्षों से जीवंत है।

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