तैयार माल की निकासी न होना बना संकट

लॉक डाउन के बाद जनपद के एक मात्र हैंडलूम उद्योग को अभी तक गति नहीं मिली है। उद्यमियों व औद्योगिक संगठनों के अनुसार वित्तमंत्री द्वारा पैकेज के बारे में तीन दिन से घोषणाएं की जा रही हैं लेकिन इसमें वस्त्र उद्योग के लिए कोई खास प्रावधान निकल कर नहीं आया है। हैंडलूम उद्योग में कारोबार शुरू तो हो गया है लेकिन बेडसीट व वस्त्र उद्योग चलाने के लिए न रंग न धागा मिल रहा है और न ही तैयार माल के लिए मार्केट खुल रहा है। परिवहन की समस्या भी आड़े आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 May 2020 06:30 PM (IST) Updated:Thu, 21 May 2020 06:30 PM (IST)
तैयार माल की निकासी न होना बना संकट
तैयार माल की निकासी न होना बना संकट

ओम प्रकाश बाथम इटावा :

लॉक डाउन के बाद जनपद के एक मात्र हैंडलूम उद्योग को अभी तक गति नहीं मिली है। उद्यमियों व औद्योगिक संगठनों के अनुसार वित्तमंत्री द्वारा पैकेज के बारे में तीन दिन से घोषणाएं की जा रही हैं लेकिन इसमें वस्त्र उद्योग के लिए कोई खास प्रावधान निकल कर नहीं आया है। हैंडलूम उद्योग में कारोबार शुरू तो हो गया है लेकिन बेडसीट व वस्त्र उद्योग चलाने के लिए न रंग न धागा मिल रहा है और न ही तैयार माल के लिए मार्केट खुल रहा है। परिवहन की समस्या भी आड़े आ रही है।

हैंडलूम कारोबारी नवीन अग्रवाल ने बताया कि 12 मई को प्रधानमंत्री द्वारा की गई आर्थिक घोषणा के बाद से वित्तमंत्री द्वारा अलग-अलग सेक्टरों को मिलने वाली सुविधाओं व प्रावधान के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है। पैकेज में कालीन, ओडीओपी को सीधे सीधे लाभ पहुंचाने का उपाय नहीं किया गया है।

माल तैयार कराने के लिए रंग कानपुर से आता है तथा धागा मेरठ से मंगाया जाता है। तैयार माल दिल्ली, पानीपत, नोएडा व जयपुर जाता है, इन शहरों के बंद रहने तथा छोटे वाहनों का आवागमन न होने से कारोबार ठप पड़ा हुआ है। उनका कहना है कि सरकार को यातायात के नियमों में शिथिलता लानी चाहिए ताकि बुनकर अपनी रोजी-रोटी कमा सके। प्रमुख कारोबारी फारुख अंसारी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण तकरीबन 10 हजार बुनकर माल की डिमांड न होने से खाली हाथ बैठे हुए हैं। कारोबार के प्रमुख बिदु शहर में लूम - 10 हजार

कामगार - 25 हजार

पूर्व में कारोबार - तकरीबन 30 करोड़ प्रति माह

वर्तमान मई माह 18 दिन में कारोबार- 1 करोड़, अप्रैल माह में शून्य यह हैं प्रमुख मांगें - निर्यात ऋण को दो साल के लिए ब्याज मुक्त करें।

- ड्यूटी ड्रा बैंक की दर में 5 फीसद की वृद्धि हो, वर्तमान समय 3 फीसद है।

- लाइसेंस (एमईआईएस) का रेट पूर्व की भांति 7 फीसद हो, अभी 5 फीसद है।

- एमडीए ग्रांट को दो गुना किया जाए यानी सौ फीसद वृद्धि की मांग

- फ्रेड (भाड़ा) में सब्सिडी दी जाए, (मुंबई के लिए 5 रुपये व दिल्ली के लिए 3 रुपये किलो के हिसाब से) भारत सरकार ने लघु उद्योगों के लिए जो पैकेज की घोषणा की है उससे कारोबारियों को राहत मिलेगी। कारोबारियों को शासन के निर्देश पर ऋण दिलाने की व्यवस्था की गई है। बीते एक दिन में 15 कारोबारियों को 172.25 लाख का ऋण वितरित कराया गया है। कुछ दिनों में राहत मिल जाएगी। सुधीर कुमार, उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र

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