आंगन में गूंजी 'देशभक्ति' की किलकारी तो शहीद की विधवा ने कहा- सेना में भेजूंगी

पति का विरह तो व्यथित कर ही रहा है, मगर वीर नारी ने किलकारी में देशभक्ति की गूंज भर दी। कहा कि वो बेटे को सेना में भेजेगी। उसे पापा की शहादत का बदला लेना है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 07:55 PM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 08:17 PM (IST)
आंगन में गूंजी 'देशभक्ति' की किलकारी तो शहीद की विधवा ने कहा- सेना में भेजूंगी
आंगन में गूंजी 'देशभक्ति' की किलकारी तो शहीद की विधवा ने कहा- सेना में भेजूंगी

एटा(जेएनएन)। बॉर्डर पर लड़ते-लड़ते लाड़ले के शहीद होने पर परिजनों में गम था तो दुश्मन देश की करतूत से गुस्सा भी। बदले की आग में सुलग रहे शहीद के आंगन में मंगलवार को किलकारी गूंजी तो शहीद की पत्नी की कोख धन्य हो गई। ये किलकारी मानो शहादत के तराने गाने लगी। पति का विरह तो व्यथित कर ही रहा है, मगर वीर नारी ने किलकारी में देशभक्ति की गूंज भर दी। कहा कि वो बेटे को सेना में भेजेगी। उसे पापा की शहादत का बदला लेना है।

जम्मू-कश्मीर में 5 दिसंबर 2018 को जलेसर क्षेत्र के गांव रेजुआ के रहने वाले राजेश यादव पाकिस्तानी सेना के हमले में शहीद हो गए थे। उस वक्त उनकी पत्नी रीना यादव गर्भवती थीं। रीना के लिए ये समय बहुत ही दुविधापूर्ण था। पति के बिछुड़ने का गम खाए जा रहा था तो कोख में पल रहे शिशु के जीवन की भी चिंता थी। पति की शहादत से गौरवान्वित रीना तब कहती थी कि बेटा जन्मा तो उसे सेना में भेजूंगी। सोमवार को वीर नारी रीना ने एक सुंदर और स्वस्थ बालक को जन्म दिया। लाडले की भरपाई तो नहीं हो सकती, मगर परिजनों के लिए इस नवजात में ही अपना लाल दिखा।

महीनों बाद आंगन में किलकारी गूंजी तो गम भी हल्का हो गया। वीर नारी तो सबसे आगे निकली। कहा कि जिस तरह से अभिमन्यु ने कोख में ही महाभारत के चक्रव्यूह तोड़ने की कला सीख ली थी, मैंने भी अपनी कोख में लाल को उसके पापा की जांबाजी के किस्से सुनाए हैं। मैं अपने बेटे को सेना में भेजूंगी। उसे अपने पापा की शहादत का बदला लेना है। राजेश अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।

शहीद के पिता नेमसिंह कहते हैं कि नाती के रूप में उनका बेटा आ गया। शहीद की मां रामवती ने कहा कि मेरे लिए तो ये बेटे से भी दुलारा है। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद इस गांव में भी शहीद राजेश की यादें ताजा हो गई हैं। पूरा परिवार शहादत पर गर्व महसूस करता है। इससे पहले भी जलेसर क्षेत्र के कई जवान विभिन्न मोर्चो पर शहीद हो चुके हैं।

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