टीमें खड़ीं रहीं पर गोदाम का ताला नहीं खोला

मिरहची कस्बे में हुए आतिशबाजी विस्फोट के दूरे दिन रविवार को जांच करने के लिए कई टीमें धमाके में मारी गई पटाखा लाइसेंसधारक महिला मुन्नी देवी और उनके परिवार के ही सदस्य गिर्राज सिंह के गोदामों पर पहुंची लेकिन किसी ने भी ताला नहीं खोला। इस कारण जांच टीम बाहर से ही माथापच्ची करके चलीं आईं। यह टीमें यह देखना चाहती थीं कि गोदामों में जो स्टॉक है उसमें किस मानक के पटाखे रखे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 10:58 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 06:21 AM (IST)
टीमें खड़ीं रहीं पर गोदाम का ताला नहीं खोला
टीमें खड़ीं रहीं पर गोदाम का ताला नहीं खोला

जागरण संवाददाता, एटा : मिरहची कस्बे में हुए आतिशबाजी विस्फोट के दूरे दिन रविवार को जांच करने के लिए कई टीमें धमाके में मारी गई पटाखा लाइसेंसधारक महिला मुन्नी देवी और उनके परिवार के ही सदस्य गिर्राज सिंह के गोदामों पर पहुंची, लेकिन किसी ने भी ताला नहीं खोला। इस कारण जांच टीम बाहर से ही माथापच्ची करके चलीं आई। यह टीमें यह देखना चाहती थीं कि गोदामों में जो स्टॉक है उसमें किस मानक के पटाखे रखे हैं।

मृतका मुन्नी देवी का गोदाम उनके घर से लगभग 50 मीटर दूर गली पार करके एक बाग में है। हालांकि गोदाम की दूरी मानक के अनुसार ही है क्योंकि गोदाम रिहायशी आबादी से कम से कम 45 मीटर दूर होना चाहिए, लेकिन गोदाम के अंदर क्या-क्या व्यवस्थाएं होनी चाहिए, इसकी जांच होना जरूरी थी। जांच एजेंसियां जब पहुंची तो उन्होंने गोदाम मालिकों को बुलाया, लेकिन एक भी वहां नहीं पहुंचा। मुन्नी देवी और गिर्राज के गोदामों पर ताले लगे हुए थे। गोदाम कितना बड़ा होना चाहिए इसकी नापतोल अग्निशमन विभाग और आगरा से आए विस्फोटक विशेषज्ञों ने बाहर से ही की। टीम को मुहल्ले के ही कुछ लोगों ने बताया कि जहां पटाखे रखे हुए हैं, वहां जमीन पर प्लास्टर नहीं है। दीवारें भी जितनी मोटी होनी चाहिए वह नहीं हैं। टीम ने भी यही माना कि गोदाम भले ही निर्धारित दूरी पर हैं, लेकिन वे मानक के अनुसार नहीं बने। नष्ट कराए पटाखे

घटनास्थल का दौरा करने पहुंची अधिकारियों की टीम ने रविवार को भी मुहल्ले में छापामारी की और जहां भी पटाखों का जखीरा मिला उसे पानी में डालकर नष्ट कर दिया गया। पटाखों के गोदाम के आसपास नष्ट किए गए पटाखों के ढेर देखे गए। ऐसे होता है स्टॉक का खेल

पटाखा लाइसेंसधारक को यहां 10 या 15 किलो से ज्यादा बारूद रखने की इजाजत नहीं दी जाती। इससे ज्यादा एक्सप्लोसिव अगर मिलता है तो यह कानून का उल्लंघन है, लेकिन यहां थोक में गंधक, पोटाश ओर अन्य केमिकल मंगाए जाते हैं जिन्हें तत्काल ही श्रमिकों को बांट दिया जाता है। कारोबारी बारूद को अपने यहां रखने से बचते हैं। मान लीजिए अगर वे 50 किलो बारूद लेकर आए तो 15-15 किलो करके अलग-अलग स्थानों पर रख देंगे, जिससे अगर छापा भी पड़े तो कम माल ही पकड़ में आए। कच्ची माल एटा जनपद के छोटे कारोबारी कासगंज के बड़े कारोबारियों से खरीद लाते हैं। इसके अलावा फर्रुखाबाद जिले के मोहम्मदाबाद से भी बारूद लाया जाता है।

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