कोरोना ने बढ़ाया आंवला की खेती से मोह

जागरण संवाददाता एटा आंवला की औषधीय खेती भले ही अब तक जिले के किसानों को कम भाती रही

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 09:19 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 06:05 AM (IST)
कोरोना ने बढ़ाया आंवला की खेती से मोह
कोरोना ने बढ़ाया आंवला की खेती से मोह

जागरण संवाददाता, एटा: आंवला की औषधीय खेती भले ही अब तक जिले के किसानों को कम भाती रही, लेकिन कोरोना संक्रमण के हालातों में आंवला के सेवन की राय से जागरूक किसान रकबा बढ़ाने की तैयारी में है।

फिलहाल स्थिति यह है कि जिले में 100 हेक्टेयर ही आंवला का रकबा है। दस साल पहले किसानों ने 250 से 300 हेक्टेयर तक रकबा बढ़ाया, लेकिन यहां कम खपत और प्रसंस्करण के इंतजाम न होने के कारण रुचि कम हो गई। उत्पादित होने वाला आंवला का तीन चौथाई हिस्सा विभिन्न आयुर्वेदिक कंपनियां ही खरीद कर ले जाती हैं। वर्ष 2008 से 2010 के मध्य कृषि विभाग व उद्यान विभाग ने अनुदान देकर आंवला को प्रोत्साहित किया। उस समय बड़े ही नहीं बल्कि छोटे किसानों ने भी आंवला की खेती में दिल लगाया। भले ही आंवला औषधीय गुणों से भरपूर हो, लेकिन जिले में इसकी खपत उस समय भी काफी कम थी। प्रबुद्ध वर्ग फसल आने के समय ही अचार, मुरब्बा या फिर औषधि चूर्ण तैयार करवाने के लिए खरीदारी करते। अब हाल ही में कोरोना के लिए आंवला का सेवन बताया जा रहा है तो फिर से कुछ प्रबुद्ध लाभ की उम्मीद करते हुए उद्यान विभाग में खेती की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं।

जिले में हरे आंवले की एन-7 प्रजाति का उत्पादन है। प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन तक उत्पादन होता है। खुदरा बाजार में 40 से 45 रुपये किलो। वहीं उत्तराखंड हरिद्वार की फार्मेसी कंपनियां थोक में 25 से 30 रुपये प्रति किलो खरीद कर ले जाती है। कृषक सत्य प्रकाश शर्मा बताते हैं कि शीतगृह में आंवला रखने से खपत न होने के कारण लाभ नहीं मिला, इसलिए फार्मेसी कंपनियों को एकमुश्त बेचकर भुगतान मिल जाता है। सब्जी कारोबारी सलीम बताते हैं कि फिलहाल तो एटा में आंवला उपलब्ध भी नहीं है। कुछ पढ़े लिखे लोग आर्डर करते हैं तो बाहर से मंगाया जाता है। --------

कोरोना के हालात में आंवला सेवन के लाभ खासे प्रसारित हो रहे हैं। कुछ जागरूक किसानों ने इस साल आंवला खेती का मन बनाया है। अनुदान की व्यवस्था नहीं है, लेकिन विभाग और उपलब्ध कराने में सहयोग करेगा। लोगों ने आंवला सेवन में रुचि दिखाई तो अब उत्पादन बढ़ सकेगा। किसान भी कोल्ड स्टोर का सहारा अच्छे लाभ के लिए ले सकते हैं।

सुबोध कुमार, निरीक्षक उद्यान विभाग एटा

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