अधूरे 'इज्जतघर' से सांसद का गांव बना ओडीएफ

संवाद सूत्र दरियावगंज (कासगंज) पटियाली क्षेत्र में दरियावगंज के निकट स्थित गांव औरंगाबाद। सांसद के गोद लिए गांव में भी पंचायती राज विभाग शौचालय की निगरानी नहीं कर सका। शौचालय अधूरे पड़े हैं। इस गांव में भी ठेकेदार हावी हैं। चेक ग्रामीणों के नाम से कटे लेकिन धन वापस लेकर किसी को सामग्री दी गई तो किसी के शौचालय कथित ठेकेदार ने बनवाए जो आज तक अधूरे पड़े हैं। महिलाएं एवं युवतियां सुबह लोटा लेकर खेतों की तरफ जाती हैं। अफसरों की कार्यप्रणाली माननीयों की साख को दांव पर लगा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 11 Oct 2019 11:05 PM (IST) Updated:Sat, 12 Oct 2019 06:05 AM (IST)
अधूरे 'इज्जतघर' से सांसद का गांव बना ओडीएफ
अधूरे 'इज्जतघर' से सांसद का गांव बना ओडीएफ

संवाद सूत्र, दरियावगंज (कासगंज): पटियाली क्षेत्र में दरियावगंज के निकट स्थित गांव औरंगाबाद। सांसद के गोद लिए गांव में भी पंचायती राज विभाग शौचालय की निगरानी नहीं कर सका। शौचालय अधूरे पड़े हैं। इस गांव में भी ठेकेदार हावी हैं। चेक ग्रामीणों के नाम से कटे, लेकिन धन वापस लेकर किसी को सामग्री दी गई तो किसी के शौचालय कथित ठेकेदार ने बनवाए, जो आज तक अधूरे पड़े हैं। महिलाएं एवं युवतियां सुबह लोटा लेकर खेतों की तरफ जाती हैं। अफसरों की कार्यप्रणाली माननीयों की साख को दांव पर लगा रही है।

गांव औरंगाबाद को जब सांसद ने गोद लिया था तो ग्रामीणों के चेहरों पर उम्मीद की चमक जगी। सरकार की भी मंशा थी कि जनप्रतिनिधि गांव को गोद लेंगे तो कुछ गांव तो पूरी तरह योजनाओं से संतृप्त होंगे। गांव से सांसद का नाम जुड़ा होगा तो अफसर भी संजीदगी बरतेंगे, लेकिन गांव के प्रति पंचायती राज विभाग की गंभीरता यहां पहुंचते ही पता चल जाती है। ग्राम पंचायत के मजरा नगला काछियान में शांति देवी के घर पर छप्पर पड़ा है। गरीब परिवार होने के बाद भी आज तक शौचालय नहीं बन सका है। पूरी बस्ती में कई घरों में हाल यह है कि कहीं पर दीवार खड़ी है तो कहीं पर कुछ। मगर कहीं भी गड्ढे भी नहीं खुदे हैं। इस मामले में ग्राम प्रधान पूर्व फौजी नाजिर सिंह का कहना है पहले सौ शौचालय का धन आया तो उससे शौचालय बनवाए गए। 50 शौचालय ठेके पर बनवाए गए। इसके बाद धनराशि आने पर चेक दिए गए।

इनके घर में है अधूरे शौचालय

चंद्रपाल पुत्र लटूरीलाल, नन्हेलाल पुत्र नाथूराम, दयाराम पुत्र हरवंश, रामकिशोर पुत्र नेकराम, शांति देवी पत्नी रामलढ़ैते, उपदेश पुत्र रामसिंह, प्रेमपाल पुत्र हरिबाबू, रामकली पत्नी रामकिशोर आदि।

आखिर अपूर्ण शौचालय के लिए कौन जिम्मेदार

गांव में शौचालय अपूर्ण होने के लिए कौन जिम्मेदार है। इसकी भी जांच की जानी चाहिए। कई शौचालय ठेकेदार अधूरे छोड़कर सिर्फ इसलिए चला गया, क्योंकि लोगों ने मानक के अनुसार ही निर्माण की बात कही।

--एक नजर में गांव--

2700 मतदाता।

700 परिवार।

400 शौचालय के लिए धन भेजा। तीन महीने पहले छह हजार रुपये का चेक दिया था। चेक का भुगतान होने के बाद रुपये वापस लिए तथा दीवारें खड़ी कराई। इसके बाद शौचालय को अधूरा छोड़ दिया। परिवार की महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं।

-चंद्रपाल, नगला काछियान हमारे घर पर छत भी नहीं है। प्रधान ने आज तक शौचालय का निर्माण पूर्ण नहीं कराया है। सिर्फ दीवार बनाई गई है, जिसका टैंक एवं सीट आज तक नहीं लगवाई गई है। बेटियां खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं।

-भगवानश्री, नगला काछियान ठेकेदार आए थे शौचालय बनाने के लिए, लेकिन तीन-चार फुट का ही गड्ढा खोद रहे थे, जब मानक के तहत बनाने के लिए कहा तो फिर चले गए, आज तक शौचालय पूरा नहीं हो सका है।

-शीलेंद्र, औरंगाबाद सांसद की बात

गांव में योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ पात्रों को मिलना चाहिए। अगर शौचालय अधूरे हैं तो गलत है। हम खुद इसे देखेंगे तथा शौचालयों को पूर्ण कराएंगे।

राजवीर सिंह उर्फ राजू भैय्या, सांसद एटा।

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