पानी के लिए एटा से दिल्ली तक दयाराम ने लड़ी जंग

18 बार भूख हड़ताल कर 108 दिन बिन भोजन पानी भी गुजारे जलेसर के खारा पानी क्षेत्र को उनके संघर्ष से मिलती रही जीत

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Mar 2020 08:58 PM (IST) Updated:Sun, 22 Mar 2020 06:03 AM (IST)
पानी के लिए एटा से दिल्ली तक दयाराम ने लड़ी जंग
पानी के लिए एटा से दिल्ली तक दयाराम ने लड़ी जंग

एटा, जासं। ढलती रही उम्र और 70 बसंत पूरे करने के बावजूद कमर भी झुक चुकी है। ऐसे जल पुरुष दयाराम पागल का खारा पानी क्षेत्र जलेसर में पानी के लिए संघर्ष मिसाल बन चुका है।

उन्होंने एटा से लेकर दिल्ली तक क्षेत्र को पानी उपलब्ध कराने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ी। मोटी फाइलों का पुलिदा बगल में दबाकर अधिकारी और शासन तक आवाज उठाई और जब उनकी आवाज अनसुनी की गई तो भूख हड़ताल को जंग का माध्यम बनाया। खुद भूखे-प्यासे रहकर क्षेत्र के लोगों को मीठा पानी उपलब्ध कराने में सफल हुए।

30 वर्ष की युवा अवस्था में दयाराम किसान ने पानी के लिए शुरू की लड़ाई दो साल पहले तक जारी रही। 71 साल की उम्र में भी वह जल पुरुष के रूप में देखे जाते हैं। उन्होंने 18 बार भूख हड़ताल कर 108 दिन तक एटा से लेकर दिल्ली तक धरना दिया। ब्लॉक जलेसर क्षेत्र के गांव नगला मीरा निवासी दयाराम सिंह पागल का जन्म किसान परिवार में हुआ। उन्हें मीठे पानी के लिए घर कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। स्कूल जाने के समय पर वह पानी ढोने का काम करते थे। जब वह 30 वर्ष के हुए तो उन्होंने मीठे पानी के लिए मांग शुरू की। वर्ष 1982 में गांव में एक कुलाबा बनाने को लेकर विवाद शुरू हुआ। कुछ समय मामला शांत रहने के बाद 1991 से शिकायती पत्र देने शुरू किए।

इसके बाद दयाराम ने पानी की जंग का बीड़ा उठा लिया। पूरा क्षेत्र खारे पानी की समस्या से परेशान था। क्षेत्र में जो रजवाह निकलकर जाता है उसमें पानी नहीं आता था। इसमें पानी लाने के लिए आंदोलन शुरू किए। रजवाह में पानी न आने के कारण पशु भी पानी नहीं पी पाते थे। जो मीठा पानी था वह गांव से करीब चार किमी दूर था। उन्हीं के प्रयासों से रजवाह में हर साल पानी उपलब्ध होने लगा। लोग उनके द्वारा पानी के लिए लड़ी गई जंग को आगे भी याद करेंगे।

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