जंग खा रहे आइसीयू के उपकरण

जिला चिकित्सालय का हृदय रोग विभाग पिछले दो साल से चिकित्सक की राह देख रहा है। मरीज तो हैं, लेकिन चिकित्सक के नहीं रहने से यहां सन्नाटा है। विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव में पिछले दो वर्षों से हृदय रोग विभाग की आइसीयू में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Sep 2018 11:19 PM (IST) Updated:Tue, 11 Sep 2018 11:19 PM (IST)
जंग खा रहे आइसीयू के उपकरण
जंग खा रहे आइसीयू के उपकरण

देवरिया : जिला चिकित्सालय का हृदय रोग विभाग पिछले दो साल से चिकित्सक की राह देख रहा है। मरीज तो हैं, लेकिन चिकित्सक के नहीं रहने से यहां सन्नाटा है। विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव में पिछले दो वर्षों से हृदय रोग विभाग की आइसीयू में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ। वार्ड के कक्षों को दिन में कभी-कभी खोला जाता है और साफ-सफाई के बाद उसे फिर से बंद कर दिया जाता है। यहां रखे उपकरण जंग खा रहे हैं। इमरजेंसी में हृदय रोगी तड़प कर दम तोड़ देते हैं। सिर्फ एक चिकित्सक की कमी से पूरा विभाग सूना पड़ा है। एक हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती हो जाय तो यह पूरा विभाग कार्य करना प्रारंभ कर देगा।

जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन पंद्रह सौ से दो हजार मरीजों का चिकित्सक इलाज करते हैं। इनमें हृदय रोगियों की संख्या भी सैकड़ों में है। हृदय रोगियों का इलाज दो साल पूर्व तैनात चिकित्सक डा.उमाकांत पांडेय करते थे, लेकिन वह दो वर्ष पूर्व वीआरएस ले लिए। इसके बाद से हृदय रोग विभाग में विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी और तभी से यह विभाग खाली चल रहा है। दो स्टाफ नर्स व एक वार्ड ब्वाय की तैनाती दो वार्डाें में की गई है, लेकिन यहां उनके लिए कोई कार्य नहीं है। जिला चिकित्सालय में तैनात चेस्ट फिजीशियन डा.डीके ¨सह ईसीजी लिखते हैं। हृदय रोग विभाग में टेक्नीशियन इसकी जांच करते हैं। बस उनका ही एक कक्ष हर रोज खुलता है। शेष कमरे शो-पीस बन कर रह गए हैं। जनपद में प्रदेश सरकार के दो-दो मंत्री हैं, दो सांसद हैं बावजूद इसके जिला चिकित्सालय को एक हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं मिल सका है। जनपद में हृदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इलाज के नाम पर सरकारी अस्पतालों में कुछ भी नहीं है। प्राइवेट में हृदय रोगियों का शोषण किया जा रहा है।

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कभी हृदय रोगियों के लिए मुफीद था जिला अस्पताल

काफी समय पूर्व सीएमएस रहते डा.यूडी त्रिपाठी ने जनपद में बढ़ रहे हृदय रोगियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रयास किया और हृदय रोग विभाग जिला चिकित्सालय में ही अलग से बनकर तैयार हो गया। दो वार्ड बनाए गए, जिसमें एक वार्ड में चार बेड आइसीयू व चार बेड सामान्य का बनाया गया। मरीजों को देखने और भर्ती करने का भी कार्य बदस्तूर चला, लेकिन अचानक दो वर्ष पूर्व डा.उमाकांत पांडेय के वीआरएस का आवेदन देने के बाद कार्य छोड़ने पर यहां चिकित्सकीय कार्य ठप हो गया। यह वार्ड शो-पीस बनकर रह गया है। यहां अस्पताल में इलाज कराने आईं मदीना खातून मझौलीराज सलेमपुर, शकुंतला देवी देवरिया रामनाथ व देवंती देवी निवासी उमा नगर का बीपी बढ़ा था। उन्हें हृदय रोग के चिकित्सक को दिखाना था, लेकिन इमरजेंसी के चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार कर किसी हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाने को कहा। तीनों मरीज जिला अस्पताल प्रशासन को कोसते हुए प्राइवेट में दिखाने चले गए।

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यह सही है कि हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। इसको लेकर प्रतिमाह शासन को पत्र लिख रहा हूं कि हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती की जाय। संसाधन, उपकरण व आइसीयू सब कुछ है बस एक विशेषज्ञ मिल जाय तो हृदय रोग विभाग में मरीजों को देखने और भर्ती करने का सिलसिला भी शुरू जाय। देखा जाय शासन से कब हृदयरोग विशेषज्ञ की तैनाती होती है।

डा. छोटेलाल, सीएमएस, जिला चिकित्सालय, देवरिया

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