जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास

देवरिया : विकास खंड के ग्राम जिगिना मिश्र में प्रभाकर मिश्र के यहां चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्

By Edited By: Publish:Sat, 31 Jan 2015 11:05 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jan 2015 11:05 PM (IST)
जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास

देवरिया : विकास खंड के ग्राम जिगिना मिश्र में प्रभाकर मिश्र के यहां चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के छठवें दिन काशी से पधारे कथाब्यास डा.प्रभाकर पांडेय ने कहा कि महारास की लीला जीवलीला रूपी गोपियों द्वारा परमात्मा रूपी श्रीकृष्ण को पाने के प्रयास का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत के पांच अध्यायों में वर्णित ये महारास देह सुख को छोड़कर आत्मानुभूति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि मानव सेवा ही परम मानवता धर्म है। गंगा, गीता, गायत्री और गोविंद की सेवा करते हुए जो इस जीवन को परम लक्ष्य तक ले जाता है उसे ही भगवत भक्ति मिलती है। सांसारिक जीवन में नीति संघर्ष पैदा करती है, जबकि प्रीति समर्पण को जन्म देती है। जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास है। इस दौरान उन्होंने बलरामजी के विवाह का भी प्रसंग सुनाया। इस अवसर पर सच्चिदानंद द्विवेदी, चंद्रदेव मिश्र, बसंत मिश्र, तारकेश्वर तिवारी, शिवाकांत मिश्र, धर्म नारायण मिश्र, दिवाकर मिश्र, अनिरुद्ध शुक्ल, रामस्वरूप, आदित्यनाथ, मनोज, कृष्ण कुमार, आदर्श, इंदूशेखर मिश्र समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

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